शादियों का सीजन शुरू होते ही साइबर अपराधियों ने ठगी का नया तरीका निकाल लिया है। शातिर ठग अब वाट्सएप पर ई-कार्ड भेज रहे हैं। जैसे ही फाइल डाउनलोड करते हैं, मोबाइल हैक हो जाता है। 12 नवंबर से अब तक क्राइम ब्रांच में 6 शिकायतें पहुंच चुकी हैं। 4 पीड़ितों
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एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोदिया ने बताया, एपीके फाइल भेजकर ठगी का ये नया ट्रेंड है। कई एंड्राइड फोन यूजर्स बिना सोचे-समझे अंजान या परिचितों के नंबरों से आए ई-कार्ड सीधे डाउनलोड कर लेते हैं। इसी का फायदा साइबर अपराधी उठाते हैं और ठगी कर रहे हैं। ऐसे ई-कार्ड, निमंत्रण या ई-पत्रिकाएं आपके पास आए तो पहले नंबर चेक करें। परिचित हो तो उनसे संपर्क करें फिर डाउनलोड करें। यदि एपीके लिखा है तो डाउनलोड न करें। एक मामले में ऐसी ही सूझबूझ से ठगी की वारदात को रोका भी गया।
एपीके फाइल डाउनलोड का मतलब मोबाइल का एक्सेस दूसरों के हाथों में सौंपना
- ई-कार्ड एपीके (एंड्रोइड पैकेजिंग किट) फाइल वाले हैं।
- एपीके फाइल में एप्लिकेशन कोड होता है। यह फाइल मोबाइल डिवाइस में वायरस इंस्टॉल कर देती है। इससे अपराधी कॉन्टैक्ट लिस्ट, फोटो गैलरी, बैंकिंग ट्रांजेक्शन, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड डिटेल और ओटीपी व वाट्सएप तक हैक कर लेते हैं।
- एपीके आपके डिवाइस का अनधिकृत एक्सेस आरोपियों को दे देती है। इससे हैकर्स डिवाइस (मोबाइल) को नियंत्रित कर सकते हैं।
- एपीके फाइल फिशिंग अटैक के लिए भी उपयोग की जा सकती है, जिससे आपके डिवाइस में मलिशियस कोड इंस्टॉल हो जाता है।
- जिन 4 मामलों में 8 लाख ठगे, उनमें दो मामलों में बैंकिंग, क्रेडिट, डेबिट कार्ड डिटेल और ओटीपी हासिल कर ठगी की।
- एक मामले में आरोपियों ने पीड़ित का वाट्सएप हैक किया। फिर रिश्तेदार बनकर मदद के नाम पर पैसे ठग लिए।
- एक अन्य मामले में फोटो को अश्लील बनाकर ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठे।
ऐसे बच सकते हैं इस तरह की ठगी से
- मोबाइल में किसी भी एप्लिकेशन को ऑफिशियल स्टोर से डाउनलोड करें।
- एप्लिकेशन की रेटिंग और रिव्यू चेक करें।
- एप्लिकेशन के परमिशन की जांच करें।
- अपने डिवाइस में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें।
- अपने डिवाइस को नियमित रूप से अपडेट करें।
डिजिटल अरेस्ट के आरोपी ने कबूला– ऑस्ट्रेलियाई सर्वर, इंटरनेशनल नंबर से कॉल कर डराते थे
शहर की सॉफ्टवेयर डेवलपर महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 12 लाख की धोखाधड़ी करने वाले तेलंगाना के बदमाश के. कृष्ण कुमार ने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। आरोपी ने बताया, उसकी गैंग ऑस्ट्रेलियाई सर्वर का उपयोग कर इंटरनेशनल नंबरों से लोगों को डराने के लिए कॉलिंग करती है।
आरोपी के पास से 2 सैलरी अकाउंट भी मिले हैं। एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोतिया ने बताया कि आरोपी के. कृष्ण कुमार का भाई जय सिम्हा रेड्डी डिजिटल अरेस्ट गैंग का इंटरनेशनल स्तर पर संचालन करता है। पत्नी श्वेता रेड्डी भी गैंग में शामिल है। वह भी दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक व मप्र में कई लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने में लिप्त रह चुकी है। वह पति के साथ धोखाधड़ी के केस में गिरफ्तार भी हो चुकी है। हर बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद जय देश छोड़कर दुबई भाग जाता है।
बड़ी जांच एजेंसियां भी जुटीं
डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं को इंटरनेशनल स्तर पर ठगी करने वाले दूसरे देशों के संगठित गिरोह के बदमाश भी अंजाम दे रहे हैं, क्योंकि इन बदमाशों द्वारा जो पैसा भारतीय लोगों से ठगा जा रहा है, वह दूसरे देशों की करंसी में कन्वर्ट होकर हवाला के जरिए पहुंच रहा है। इस मामले में अब बड़ी जांच एजेंसियां भी जुटी हैं।
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