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इंदौर में सानंद फुलोरा में कथाकथन की प्रस्तुति: ‘गोष्ट इथे संपत नाही…में पेश किए शिवाजी महाराज, संभाजी और बाजीराव पेशवा के किस्से – Indore News

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में रविवार शाम सानंद फुलोरा में कथाकथन ‘गोष्ट इथे संपत नाही…’ की अविस्मरणीय प्रस्तुति हुई। छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, बाजीराव पेशवा प्रथम के एक के बाद एक अनसुने किस्से सुनकर श्रोता स्तब्ध र

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महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज को किसी देवता की तरह श्रद्धा दी जाती है। समूचा मराठी साहित्य छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य से ओतप्रोत है। दरअसल, मराठी व्यक्ति शिवाजी महाराज की जिस घटना में अपनी अस्मिता ढूंढता है वो महत्वपूर्ण घटना है अफजल खान वध। प्रत्येक मराठी व्यक्ति छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, बाजीराव पेशवा प्रथम के पोवाडे, कहानियां, कविताएं और कीर्तन सुन सुन कर बड़ा होता है। अफजल खान का वध हमारे इतिहास की ऐसी अभूतपूर्व घटना है जिसके स्मरण मात्र से रोम रोम रोमांचित हो जाता है। इस घटना को जब पुणे के दो आईटी प्रोफेशनल युवा धारा प्रवाह तरीके से सामने रखते हैं तो उठने की इच्छा नहीं होती। सारंग भोईरकर और सारंग मांडके जब अफजल खान का वध और उसके बाद के घटनाक्रम को कथा कथन के माध्यम से बताते हैं, तो समूचा हॉल आंदोलित हो जाता है। सारंग और सारंग नामधारी ये दोनों युवा बी. ई. कम्प्यूटर साइंस करने के बाद 15 वर्षों से आई.टी. कंपनी में कार्यरत हैं। इन दोनों ने इस एतिहासिक कथा कथन के 144 कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। इंदौर में ये उनका 145वां प्रयोग था। कथाकथन के माध्यम से बताया गया है कि अफजल खान कौन था, उसने मराठा स्वराज्य पर आक्रमण क्यों किया, छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस बड़े संकट का सामना कैसे किया। उन्होंने अफजल खान का वध कितनी चतुराई और कूटनीति से किया।

एक भावपूर्ण दृश्य

अनछुए पहलुओं के बारे में जानकारी दी

हालांकि अफजल खान के वध के बारे में सभी को जानकारी है, लेकिन उसके बाद के घटनाक्रम के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। प्रस्तुत कार्यक्रम में इस घटनाक्रम के अनछुए पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई है। इसके अलावा छत्रपति शिवाजी से लेकर बाजीराव पेशवा और पानीपत की लड़ाई तक के मराठा साम्राज्य के 13 अलग-अलग घटनाक्रमों को कथा कथन के माध्यम से बताया गया है। यहां तक कि शिवाजी महाराज दिखते कैसे थे इस बारे में भी रिसर्च करके जानकारी दी गई है।

अतिथियों का प्रतीक चिह्न देते जयंत भिसे

अतिथियों का प्रतीक चिह्न देते जयंत भिसे

कार्यक्रम के निर्माता समीर हंपी एवं सत्यजीत धाडेकर हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ जितेंद्र रत्नपारखी और अनुराधा रत्नपारखी ने दीप प्रज्जलित कर किया। कार्यक्रम का सूत्र संचालन ध्रुव देखने एवं पूर्वी केळकर ने किया। अतिथि एवं कलाकारों का स्वागत किया जयंत भिसे एवं संजीव वावीकर ने किया। जयंत भिसे ने आभार माना।

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https%3A%2F%2Fwww.bhaskar.com%2Flocal%2Fmp%2Findore%2Fnews%2Fpresentation-of-storytelling-at-sanand-fulora-in-indore-133978614.html
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