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भागवत कथा के आखिरी दिन बोले- पं. मिश्रा: आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है, जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है – Sehore News

भागवत कहती है कि आपका कोई सगा व्यक्ति भी यदि अधर्म के मार्ग पर चलता है तो उसे सजा देने से कोई पाप नहीं लगता। भगवान कृष्ण ने अपने अत्याचारी और अधर्मी मामा कंस को मार कर धर्म की रक्षा की। कंस ने अपनी प्रजा पर अत्यधिक अत्याचार किए। जब धरती पर अधिक पापाच

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कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिन सोमवार को कथा व्यास पंडित शिवम मिश्रा ने यह बात कही। कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा, कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा सहित अन्य ने आरती की।

आजकल स्वार्थ की मित्रता हो रही

पंडित मिश्रा ने कहा कि भगवान अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं, मित्रता भी एक भक्ति की तरह होनी चाहिए, मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है।

उन्होंने कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते हैं और कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है।

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