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तुरंत वापस मिलेंगे रिश्वत में दिए पैसे; CBI में भी ऐसी व्यवस्था नहीं है, लोकायुक्त की जल्द राशि लौटाने की तैयारी

सरकार रिश्वत के मामलों में शिकायतकर्ताओं को राहत देने के लिए एक विशेष निधि बनाने की तैयारी में है, जिससे ट्रैप की राशि तुरंत वापस की जा सके। 40 लाख रुपये का फंड बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।

By Neeraj Pandey

Publish Date: Wed, 20 Nov 2024 06:00:00 AM (IST)

Updated Date: Wed, 20 Nov 2024 06:00:00 AM (IST)

लोकायुक्त पुलिस के लिए व्यवस्था लागू करने की तैयारी।

HighLights

  1. ट्रैपिंग के लिए रिश्वत में दी गई राशि नहीं फंसेगी
  2. लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रैपिंग के बाद लौटेगी राशि
  3. 40 लाख रुपये का विशेष निधि बनाने का प्रस्ताव

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया. भोपाल : रिश्वत लेने वालों को पकड़वाने में लोगों को सबसे अधिक डर इस बात का भी रहता है कि रिश्वत में दी गई उनकी राशि फंस जाएगी। लगभग 25 प्रतिशत मामलों में यह राशि एक से पांच लाख रुपये तक भी होती है। अभी शिकायतकर्ता को यह राशि कोर्ट से निपटारा होने पर सालों बाद मिल पाती है।

अब सरकार यह व्यवस्था करने की तैयारी में है कि इसके लिए विशेष निधि बना दी जाए। इससे शिकायतकर्ता को ट्रैप की राशि लौटा दी जाए। बाद में कोर्ट से मामले का निपटारा होने के बाद यह राशि विशेष निधि में पहुंच जाए। इस तरह राशि का आना-जाना (रोटेशन) बना रहेगा।

विशेष निधि बनाने का प्रस्ताव

विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त जयदीप प्रसाद ने बताया कि इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ राज्यों में पहले से यह व्यवस्था है। शुरुआत में इसके लिए लगभग 40 लाख रुपये का फंड बनाने का प्रस्ताव है।

लोकायुक्त पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि केस का निपटारा होने में औसतन 10 वर्ष लग जाते हैं। तब तक राशि शिकायतकर्ता को नहीं मिल पाती। यह राशि जब्ती में कोर्ट के अधीन रहती है। इसका कहीं उपयोग भी नहीं किया जा सकता। न ही शिकायतकर्ता को इस राशि का ब्याज मिल पाता है।

ईओडब्ल्यू में भी बनाई जा सकती है निधि

माना जा रहा है कि यह व्यवस्था लागू होने से रिश्वत लेने वालों को पकड़वाने के लिए लोग आगे आएंगे। बता दें कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 500 से 700 अधिकारी-कर्मचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा जाता है। रिश्वत की राशि प्राय: 10 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक होती है।

ट्रैप के अधिकतर मामले लोकायुक्त पुलिस ही करती है, इसलिए अभी यहां यह व्यवस्था करने की तैयारी है। बाद में ईओडब्ल्यू में भी ऐसी निधि बनाई जा सकती है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई में भी अभी इस तरह की व्यवस्था नहीं है। वहां भी राशि केस का निपटारा होने तक फंसी रह जाती है।

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