मध्य प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों के लिए बुरी खबर। अब हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जो निर्णय लिया है वह प्रशंसा योग्य है। एमपी में सबसे ज्यादा पराली खतों में जलाई जाती है। यह बेहद चिंताजनक है। इसीलिए यह कदम उठाना पड़ा है।
By Dheeraj kumar Bajpai
Publish Date: Wed, 20 Nov 2024 01:51:46 PM (IST)
Updated Date: Wed, 20 Nov 2024 03:02:33 PM (IST)
HighLights
- कार्यकारिणी सभा आहूत कर प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
- बार एसोसिएशन ने पर्यावरण हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
- रसायनिक खादों के अधिक प्रयोग से फसलों की गुणवत्ता प्रभावित।
नईदुनिया, जबलपुर (High Court Bar)। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, जबलपुर ने पर्यावरण हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत पराली जलाने के आरोपित किसानों की पैरवी कोई वकील नहीं करेगा। इस संबंध में कार्यकारिणी सभा आहूत कर प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
रसायनिक खाद के अधिक प्रयोग से फसलों की गुणवत्ता प्रभावित
हाई कोर्ट बार अध्यक्ष अधिवक्ता धन्य कुमार जैन ने बताया कि भूमि को नुकसान होने से किसान रसायनिक खादों का अधिक प्रयोग करने लगते हैं। इससे फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। हाल ही में पराली जलाने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश का प्रथम स्थान होने का तथ्य रेखांकित हुआ है।
अवमानना याचिका : हाई कोर्ट ने उपस्थिति माफ कर दी
हाई कोर्ट ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्ती बरती। साथ ही नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के प्रमुख सचिव को हाजिर होने के निर्देश जारी कर दिए। जैसे ही यह निर्देश जारी हुए तत्काल प्रभाव से पूर्व आदेश का पालन सुनिश्चित कर दिया गया।
मामला असिस्टेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर की नियुक्ति से जुड़ा है
इस मामले में 17 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव को वर्चुअली हाजिर होने के निर्देश दिए थे। उसके बाद प्रमुख सचिव ने आठ नवंबर को एक आदेश जारी कर नगर निगम रीवा को कहा कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति दें।
जवाब को रिकार्ड पर लेते हुए प्रमुख सचिव की हाजिरी माफ कर दी
जस्टिस एके सिंह की एकलपीठ ने जवाब को रिकार्ड पर लेते हुए प्रमुख सचिव की हाजिरी माफ कर दी। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। अवमानना याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश सिंह बघेल पक्ष रख रहे हैं।
कम्प्यूटर दक्षता की अनिवार्यता की शर्त को नजरअंदाज करें
हाई कोर्ट ने 22 फरवरी, 2024 को नगरीय प्रशासन विभाग व अन्य को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ता को 30 दिन के भीतर नियुक्ति दें। कोर्ट ने यह भी कहा था कि नियुक्ति प्रक्रिया में कम्प्यूटर दक्षता की अनिवार्यता की शर्त को नजरअंदाज करें।
क्या है मामला :
अवमानना याचिकाकर्ता शहडोल निवासी अभिलाष प्रजापति का कहना है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने नगर निगमों में असिस्टेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर के 310 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं उत्तीर्ण रखी गई थी।
व्यापमं ने भर्ती नियम के विरुद्ध कम्प्यूटर प्रचालन की दक्षता भी जोड़ा
व्यापमं ने भर्ती नियम के विरुद्ध मान्यता प्राप्त संस्था से कम्प्यूटर प्रचालन की दक्षता भी जोड़ दिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने साफ कहा कि भर्ती नियम में दिए प्रविधान के तहत ही विज्ञापन में योग्यता रखी जा सकती है। आदेश का पालन नहीं हुआ तो अवमानना याचिका दायर की गई।
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