ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में रीजनल डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव।
डिफेंस क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों, स्टार्टअप्स को एमएसएमई में भागीदारी करने के लिए कई तरह के अवसर हैं। रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा क्षेत्र के लिए नवाचार करने वाले उद्यमियों, स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। एमएसएमई से जुड़ने के बाद उनके नवाच
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यह बात गुरुवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित रीजनल डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव में आर्मी के अधिकारियों और डिफेंस से जुड़े एक्सपर्ट्स ने कही। उन्होंने उद्योगों के लिए कई सुझाव दिए। यह भी बताया कि, पहली बार देश में रक्षा उपकरण बनाने के लिए सरकार लघु उद्योगों को अनुमति दे रही है। कई कंपनियों ने बुलेट, ड्रोन रोप जैसे उपकरणों के डेमो दिए। साथ ही उन्होंने बताया कि अब ये जल्द आर्मी को दिए जाएंगे। आर्मी अधिकारियों ने इन्हें और भी बेहतर बनाने के लिए सलाह दी और इन नवाचारों की खुलकर सराहना की।
आयोजन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफेक्चरर्स (एसआईडीएम) द्वारा किया गया। इसमें भारत सरकार के रक्षा उत्पादन विभाग और मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम की सहभागिता रही।
खास बात यह कि, इंदौर में पहली बार डिफेंस क्षेत्र में काम कर रहे सभी हितग्राहियों को साथ में लाने की कोशिश की गई, ताकि एमएसएमई की भागीदारी के लिए रोड मैप पर चर्चा कर योजना बनाई जा सके। यह आयोजन प्रमुख रक्षा कंपनियों और क्षेत्रीय लघु उद्योगों के बीच सहयोग के लिए अनूठा मंच था। कॉन्क्लेव में AWEIL, AVNL BEL, HAL, L&T और टाटा जैसे DPSU सहित प्रमुख OEM सहित कई एमएसएमई के प्रतिनिधि शामिल हुए। उन्होंने MSME के साथ जुड़ने की प्रक्रिया और प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार की।
कॉन्क्लेव में उद्यमियों को संबोधित करते अधिकारी।
कॉन्क्लेव का B2B नेटवर्किंग सत्र भी था। इसमें एमएसएमई सीधे रक्षा खरीदारों और खरीद अधिकारियों से जुड़े। कॉन्क्लेव रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, एमपीआईडीसी, सीआईआई और भारतीय रक्षा निर्माताओं की सोसायटी (SIDM) द्वारा संयुक्त रूप से एमएसएमई को रक्षा क्षेत्र में बढ़ते अवसरों का लाभ उठाने के लिए आयोजित किया गया।

कॉन्क्लेव में उपस्थित विभागों के अधिकारी और कंपनियों के प्रतिनिधि।
इसमें शामिल उद्यमियों ने खरीद प्रक्रियाओं, गुणवत्ता, वित्तीय अवसरों और रक्षा व्यवसाय में आने वाले अवसरों को लेकर व्यावहारिक सत्रों से लाभ उठाया। इसमें कई डिफेंस उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान एमएसएमई और स्टार्टअप्स द्वारा रक्षा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए समाधान और क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया।
सम्मेलन की शुरुआत रक्षा मंत्रालय की डीडीजी (आई एंड एफ) मुदिता मिश्रा के उद्बोधन से हुई। उन्होंने एमएसएमई के माध्यम से उद्यमियों और स्टार्टअप्स को विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया। गुणवत्ता महानिदेशालय (DGQA) के संयुक्त नियंत्रक आर. एन. अपराजित ने रक्षा विनिर्माण में गुणवत्ता उपायों के महत्व पर जोर दिया।
सीआईआई पश्चिमी क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष और एसआईडीएम सदस्यता समिति के अध्यक्ष प्रवीण तोषनीवाल ने रक्षा क्षेत्र में एसीआईआई और एसआईडीएम के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला। सीआईआई मालवा जोन के अध्यक्ष अक्षत चोरडिया ने सम्मेलन जैसे मंच बनाने के लिए सीआईआई और एसआईडीएम के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, कॉन्क्लेव उद्योग के हितधारकों, नीति निर्माताओं और खरीद अधिकारियों के बीच सार्थक बातचीत को सक्षम बनाता है। इससे क्षेत्र में सहयोग और विकास को बढ़ावा मिलता है।
कॉन्क्लेव में एमएसएमई के सामने आने वाली फंडिंग चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। इसमें वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञों ने रक्षा विनिर्माण में एमएसएमई के विकास के लिए उपलब्ध विभिन्न योजनाओं और तंत्रों की रूपरेखा तैयार की। कॉन्क्लेव में नवाचार को बढ़ावा देने, क्षमता और रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए हितधारकों की सामूहिक प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया।
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