कलियुग में व्यक्ति अध्यात्मवाद की ओर बढ़ तो रहा है, लेकिन सुविधाभोगी भी हो गया है। महापुरुषों के प्रवचन, उपदेश और धर्मसभाओं को वह सुनना तो चाहता है, लेकिन बिना कोई कष्ट उठाए। घर बैठे-बैठे टीवी, मोबाइल एवं सोशल मीडिया पर वह भौतिकवाद से अध्यात्म की और
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ये बात जगद्गुरू कृपालुजी महाराज की प्रचारिका ब्रज परिकरी देवी ने गीता भवन में गो लोक धाम ट्रस्ट मुंबई के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में सातवें दिन कही। उन्होंने कहा कि कई बार महापुरुष के चयन में भी सजगता बरतना होती है। एक ब्रह्मनिष्ठ संत हमें ज्यादा सरलता और सहजता से उपदेश, संदेश देकर हमारे भ्रम को दूर कर सकते हैं। ऐसी अनेक बातें हैं, जो आम व्यक्ति के मन में संशय या भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है, इसलिए भले ही भौतिकवाद से आध्यात्मिकवाद की ओर हम जल्दी आकर्षित हो जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद बहुत से विरोधाभास बने रहते हैं। उनका व्याख्यान सुनने के लिए आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु विशेषकर युवा उपस्थित थे। उनके प्रवचनों की यह श्रृंखला भौतिकवाद एवं अध्यात्मवाद के समन्वय पर आधारित है, जो 24 नवंबर तक रोजाना शाम 7 से 9 बजे तक गीता भवन सत्संग सभागृह में चलेगी। 25 नवंबर को शाम 5 बजे जगतगुरुत्तम रथ यात्रा गीता भवन से निकाली जाएगी।
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