भोपाल के समन्वय भवन के सभागार में ऑल इंडिया बहुजन इंटेलेक्ट समिट में कम्युनिस्ट नेता ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर तंज कसा। कम्युनिस्ट नेता द्वारा मजाकिया लहजे में बोली गई बात पर दिग्विजय ने पलटवार करते हुए अपना बचाव किया। पूर्व सीएम ने ‘संविधान विह
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पहले पढ़िए सीपीआई नेता बादल सरोज ने क्या कहा…
मेरे ख्याल से कांग्रेस सबसे ज्यादा पीड़ित है तो दिग्विजय सिंह से….मेरे बहुत सारे दोस्त कहते हैं कि ये मरवाएंगे,आज ये बोल दिया अब ये मरवाएंगे। तो ये गलतफहमियां दूर कर लें कांग्रेस में भी अच्छे लोग हैं।
कम्युनिस्ट लीडर द्वारा मजाकिया लहजे में कही गई इस बात का दिग्विजय सिंह ने भी अपने भाषण में जवाब दिया। दिग्विजय सिंह ने कहा-

हो सकता है कांग्रेस पार्टी को मुझसे आपत्ति हो। लेकिन ये बात सही नहीं हैं। मैं उनसे (CPIM नेता बादल सरोज) सहमत नहीं हूं। कांग्रेस पार्टी ने आज तक मेरे किसी भी वक्तव्य पर नोटिस नहीं दिया। मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने अक्षरशः: जो नीति, विचार या विचारधारा कांग्रेस पार्टी की रही है उसका न केवल पालन किया है बल्कि उसको आगे भी बढ़ाया है।
इस समिट में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बादल सरोज, लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के पूर्व मेंबर टीएन सदाशिव और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया सहित तमाम समाजसेवी और नेतागण मौजूद थे।
मैंने कांग्रेस की विचारधारा का पालन किया दिग्विजय सिंह ने कहा- मैं उनसे सहमत नहीं हूं। कांग्रेस पार्टी ने आज तक मेरे किसी भी वक्तव्य पर नोटिस नहीं दिया। मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने अक्षरश: जो नीति, विचार या विचारधारा कांग्रेस पार्टी की रही है उसका पालन किया है, बल्कि उसको आगे भी बढ़ाया है।

कार्यक्रम के दौरान संविधान की रक्षा की शपथ दिलाई गई।
प्रधान सेवक उस आरएसएस के प्रचारक जिसका लोकतंत्र में विश्वास नहीं दिग्विजय सिंह ने कहा- दो दिन बाद संविधान दिवस आने वाला है। मैंने वक्ताओं को सुना। मैं पूरे तरीके से सबसे सहमत हूं। लोकतंत्र यदि बचाना है तो जन आंदोलन करना पडे़गा। क्योंकि भारतीय संविधान के बारे में बाबा साहब अंबेडकर ने कहा है कि भारतीय संविधान पर अमल करने का अवसर किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में नहीं देना चाहिए जिसको लोकतंत्र में विश्वास नहीं हैं। आज दुर्भाग्य से जो व्यक्ति प्रधान सेवक के रूप में हैं वो उस आरएसएस के प्रचारक रहे हैं, जिसने सदैव भारतीय संविधान का विरोध किया है। वे भारतीय संविधान को नाटकीय ढंग से अपने माथे पर लगाकर सम्मान जरूर करते हैं। लेकिन वे करते वही हैं जो उसके विपरीत होता है। संवैधानिक संस्थाओं को सुप्रीम कोर्ट ने इतना ही कहा था कि चुनाव आयोग की कमेटी का आयुक्त चीफ जस्टिस को होना चाहिए। लेकिन उसका पालन नहीं हुआ।
पिता ने किले के मंदिरों में एसटी-एससी का प्रवेश शुरू कराया था दिग्विजय सिंह ने कहा- मैं इस बात को कह सकता हूं कि मेरा परिवार फ्यूडल बैकग्राउंड का रहा। लेकिन मेरे पिता ने 1940 में खादी पहनना शुरू किया और सन 1941 में हमारे किले में जितने भी मंदिर थे उनमें अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का प्रवेश उसी दिन से चालू हो गया था। मैं मूल रूप से राजतंत्र में पैदा जरूर हुआ। लेकिन पैदा होने के बाद 1947 के बाद राजतंत्र समाप्त हो गया और लोकतंत्र आ गया। इसलिए मेरा जन्म जरूर राजतंत्र में हुआ, लेकिन कर्म मेरा लोकतंत्र में है, विश्वास लोकतंत्र में हैं। आपके हर प्रकार के जन आंदोलन में हम साथ हैं।
कांग्रेस पार्टी संविधान की रक्षा के लिए साथ खड़ी दिग्विजय सिंह ने कहा- खरगे जी, राहुल जी, प्रियंका जी, सोनिया जी और कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता संविधान के संरक्षण के लिए, संविधान का पालन करने और देश में लोकतंत्र बचाने के लिए खड़ा है। हमारे देश में हर वोटर का संवैधानिक अधिकार है कि वो जिसे चाहे उसे वोट दे। जिसे वोट देना चाहता है, वोट उसे ही मिले। वोट की गिनती सही हो। उसका पालन कराने के लिए आप सब लोग जन आंदोलन के रूप में प्रयास करते हैं तो आप बाबा साहब अंबेडकर के सपनों को पूरा करेंगे।
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