बीते सालों में पराली जलाने के लिए जिम्मेदार ठहराए जाते रहे पंजाब और हरियाणा में इस साल सिर्फ 10682 और 1315 मामले सामने आए हैं जबकि मप्र 14493 मामलों के साथ सबसे आगे हो चुका है। मप्र में 24 नवंबर तक 14493 पराली जलाने के मामले आए। ये आंकड़े अब तक के मप्
.
मप्र में 2020 में रिकॉर्ड अनाज उत्पादन हुआ था और इस वजह से पराली जलने में भी रिकॉर्ड बना था। उस साल 13793 मामले दर्ज हुए थे। इस साल मामले 2020 से भी आगे पहुंच चुके हैं और नवंबर के अंत तक ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। श्योपुर में सबसे अधिक पराली जली है। इस साल जिले में 2506 मामलों दर्ज हैं। जबलपुर 1952 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर तो नर्मदापुरम 1617 मामलों के साथ तीसरे नंबर पर है।
झाबुआ -अलीराजपुर में नहीं जली पराली
जहां बड़े जिले लगातार पराली जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में योगदान दे रहे हैं। वहीं आदिवासी जिलों में पराली के मामले बहुत काम या नगण्य रहे हैं। अलीराजपुर-डिंडोरी में अब तक पराली का एक भी मामला नहीं आया है। शहडोल में सिर्फ 1 तो डिंडोरी में 2, रतलाम में 3, बालाघाट में 13 और सीधी -सिंगरौली में 14 -14 मामले आए हैं। इसकी मुख्य वजह परंपरागत खेती रही है।
आदिवासी जिलों में पराली पशुओं को खिलाते हैं
धान के 100 देसी बीज सहित 400 से अधिक परंपरागत बीजों को संरक्षित कर चुके सतना के बाबूलाल दाहिया ने कहा कि आदिवासी समाज परंपरागत खेती करता है। वहां धान की पराली को जलाते नहीं। उसकों पशुओं को खिलाने, मकान बनाने के गारे में और खेतों में डालने वाली खाद के तौर पर उपयोग करते हैं। साथ ही बड़े किसान मजदूर न मिलने से पराली जला देते हैं।
#आदवस #जल #म #कम #जलत #ह #परल #मपर #न #तड #अपन #ह #रकरड #शयपर #म #परल #जलन #क #सबस #जयद #ममल #Bhopal #News
#आदवस #जल #म #कम #जलत #ह #परल #मपर #न #तड #अपन #ह #रकरड #शयपर #म #परल #जलन #क #सबस #जयद #ममल #Bhopal #News
Source link