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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हिंदू जागरूकता यात्रा का 7वां दिन: निवाड़ी रेस्ट एरिया की ओर बढ़ी, महाराज ने जात-पात को बताया सबसे बड़ा विभाजन – Niwari News

घुघसी में रात्रि विश्राम के बाद निवाड़ी रेस्ट एरिया की ओर बढ़ी यात्रा

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हिंदू जागरूकता पदयात्रा बुंदेलखंड में जारी है। घुघसी में रात्रि विश्राम के बाद यह यात्रा निवाड़ी रेस्ट एरिया की ओर बढ़ रही है। सातवें दिन की यह यात्रा 17 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें उत्तर प्र

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घुघसी में हुआ पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का संबोधन

रात्रि विश्राम के दौरान घुघसी में महाराज ने कहा कि हिंदुओं को मंजिल तब मिलेगी जब जात-पात का भेद मिटेगा, जब रामायण और गीता हर घर में गूंजेगी, जब नारी को भोग्या नहीं, पूज्या माना जाएगा। मंदिरों में बनी मस्जिद वापस मंदिर बनेंगी और गीता-रामायण के सिद्धांत हर उम्र के व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बनेंगे। यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक जागृति का एक बड़ा अभियान है।

जात-पात को बताया सबसे बड़ा विभाजन

साथ ही उन्होंने जात-पात और ऊंच-नीच की मानसिकता को समाज के सबसे बड़े विभाजन का कारण बताते हुए कहा कि मंदिरों में लिखा हो कि जूते-चप्पल उतारकर आएं, लेकिन अब यह भी लिखा जाए कि जात-पात छोड़कर आएं। उन्होंने यह भी जोड़ा, हर व्यक्ति के मन से यह सोच मिटनी चाहिए कि कोई बड़ा है या छोटा। हम सब राम के हैं और राम हम सबके हैं। 9 दिन की यात्रा का विराम दो दिन बाद हो जाएगा, लेकिन जीवन का विराम भी एक दिन जरूर आएगा। इस यात्रा का उद्देश्य आप सभी में एकता और समर्पण की भावना जागृत करना है। इस दौरान महाराज ने भावुक होकर कहा कि एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा, ‘आपको इतना कष्ट हो रहा है?’ मैंने जवाब दिया, ‘हिंदुओं के कष्ट के सामने मेरा कष्ट बहुत छोटा है।

दलित समाज के लिए संदेश

महाराज ने दलित समाज की पीड़ा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार और राजनीति ने समाज को दलित बना दिया है। जब किसी दलित की बारात को घोड़ी से उतारा जाता है, तो यह पूरे हिंदू समाज के लिए शर्म की बात है। ऐसे समय में हमें जात-पात और छुआछूत जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए एकजुट होना होगा। उन्होंने शबरी और राम के उदाहरण देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम शबरी में दीनता और राम में प्रबुद्धता देखें। समाज को समानता और सम्मान के साथ आगे बढ़ना होगा।

धीरेंद्र शास्त्री बोले- गीता-रामायण हर घर में गूंजनी चाहिए

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बोले- हिंदू समाज को एकजुट करना यात्रा का उद्देश्य

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह पदयात्रा हिंदू समाज के भीतर एकता और जागरूकता लाने का माध्यम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह यात्रा केवल बुंदेलखंड तक सीमित नहीं रहेगी। उन्होंने कहा, “अगर आवश्यकता पड़ी, तो यह यात्रा बांग्लादेश तक जाएगी। हमारा उद्देश्य हर व्यक्ति को यह समझाना है कि हम सब राम के हैं और राम हमारे हैं।”

यूपी और एमपी पुलिस के सहयोग से यात्रा का आयोजन​​​​​​​

अपने संबोधन में महाराज ने हास्य और व्यंग्य का सहारा लेते हुए यूपी और एमपी पुलिस पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “हमारी यात्रा कभी एमपी पुलिस के संरक्षण में होती है तो कभी यूपी पुलिस के। यह देखकर अच्छा लगता है कि दोनों राज्यों की पुलिस हमारी यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से संचालित कर रही है।”

उन्होंने अफवाहें फैलाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि हमारी यात्रा में औरंगजेब के फोटो और काले झंडे दिखाए गए लेकिन यह यात्रा पूरी तरह आध्यात्मिक और धार्मिक है। अफवाहें फैलाने वालों से सतर्क रहना चाहिए।

विवादित मुद्दों पर विचार

महाराज ने गरबा पर विवादित टिप्पणी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हमारी बातों को बिना समझे लोग विवाद पैदा कर देते हैं। गरबा पर मेरी बात का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करना था।

महाराज ने एक पत्रकार के सवाल का जिक्र करते हुए कहा कि एक पत्रकार ने मुझसे कहा कि आप साधु हैं, आपकी बातों को लोग गंभीरता से लेते हैं। आपको सोच-समझकर बोलना चाहिए। मैंने कहा, ‘हमने गरबे को लेकर कोई गलत बात नहीं कही। जब एक व्यक्ति ने गरबे में भाईचारे की बात कही, तो मैंने कहा कि भाईचारे के साथ बहनचारा भी चलाना चाहिए। इस पर वह नाराज हो गया और वापस नहीं आया।

महाराज ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम जो सच बोलते हैं, उससे दिक्कत उन्हें होती है, जो देश को बांटना और दंगा फैलाना चाहते हैं। उल्लू को दिन से, कुत्ते को घी से, और चोर को पुलिस से दिक्कत होती है। इसी प्रकार हमारी बात से दिक्कत उन्हें होती है, जो समाज में फूट डालना चाहते हैं। सच तो यह है कि हम देश में किसी भी मजहब के खिलाफ नहीं है, लोगों को लगता है कि हम हिंदू हिंदू करते है तो वो अपना इलाज करवाए।

यात्रा का समापन 29 नवंबर को ओरछा में होगा।

यात्रा का समापन 29 नवंबर को ओरछा में होगा।

29 नवंबर को यात्रा का ओरछा में समापन

पदयात्रा का समापन 29 नवंबर को ओरछा में होगा। महाराज ने कहा, “हनुमान जी राम के उपासक हैं, और बागेश्वर धाम के हनुमान जी ओरछा के रामराजा से मिलने जा रहे हैं।”समापन से पहले एक किलोमीटर की यात्रा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ और ध्वजारोहण किया जाएगा।

श्रद्धालुओं का उत्साह

यात्रा में हर आयु वर्ग के लोग उत्साह से भाग ले रहे हैं। श्रद्धालु इसे सामाजिक और आध्यात्मिक जागरूकता का सबसे बड़ा अभियान मान रहे हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, “हिंदुओं को बचाना है तो सड़कों पर आना ही पड़ेगा। जात-पात, छुआछूत, और महिलाओं के सम्मान जैसे मुद्दों पर आत्ममंथन करना आवश्यक है।

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