भोपाल में पुलिस ने साइबर अपराधों पर रोकथाम के लिए 37 थानों में साइबर हेल्प डेस्क की शुरुआत की है। इस डेस्क का संचालन 400 पुलिसकर्मी करेंगे, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इससे पीड़ित ठगी की शिकायत नजदीकी थाने में कर सकेंगे, जिससे कार्रवाई में तेजी आएगी।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Sun, 01 Dec 2024 09:02:06 PM (IST)
Updated Date: Sun, 01 Dec 2024 09:02:21 PM (IST)
HighLights
- भोपाल में 37 थानों में साइबर हेल्प डेस्क हुआ शुरू
- 400 पुलिसकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया
- ठगी की शिकायत अब नजदीकी थाने में दर्ज होगी
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल : साइबर अपराधों पर रोकथाम के लिए पुलिस ने संसाधन बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। भोपाल के 37 थानों में रविवार को साइबर हेल्प डेस्क की शुरुआत हो गई। पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्रा ने हबीबगंज थाने पहुंचकर इसका शुभारंभ किया।
हेल्प डेस्क की जिम्मेदारी शहर में 400 पुलिस कर्मचारी संभालेंगे। इन सभी पुलिसकर्मियों छह दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यह डेस्क पांच लाख रुपये तक के ठगी की शिकायत कर सकेंगे। जल्द शिकायत होने से पीड़ित का रुपये साइबर पुलिस तत्काल होल्ड करा लेगी। इससे रिफंड होने की संभावना बढ़ जाती है।
साइबर क्राइम सेल नहीं जाना पड़ेगा
इस नई व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद साइबर ठगी की शिकायत करने साइबर क्राइम सेल नहीं जाना होगा। नजदीकी थाने में इसकी एफआइआर लिखी जाएगी। साइबर क्राइम सेल केवल बड़े मामलों में कार्रवाई करेगा। अधिकारियों का कहना है कि नई व्यवस्था से लोगों को जल्द राहत मिलेगी। वहीं कार्रवाई में भी तेजी आएगी।
पहली एफआईआर
सेवानिवृत्त सहायक संचालक ने लिखाई पहली एफआइआर लाला लाजपतराय सोसाइटी निवासी 65 वर्षीय जय गोविंद उद्यानिकी विभाग में सहायक संचालक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। रविवार को उन्होंने हबीबगंज थाने पहुंचकर नई व्यवस्था में पहली शिकायत दर्ज करवाई।
उन्होंने बताया कि 15 सितंबर को स्नैपडील से 250 रुपये का सामान का आर्डर किया था। तय समय में सामान नहीं पहुंचने पर होने पर 19 सितंबर को गूगल से स्नैपडील का नंबर सर्च कर फोन किया। फोन उठाने वाले ने खुद को स्नैपडील काल सेंटर का कर्मचारी बताया। बोला कि आपने जो आर्डर दिया था, उसकी कीमत आनलाइन जमा करनी थी।
जय गोविंद ने बताया कि रुपये तो जमा कर चुका हूं। साइबर ठग ने कहा कि रुपये हमारी कंपनी के पास नहीं पहुंचे हैं। इस पर उसने मदद के नाम पर एक वेब लिंक भेजी और उन्होंने जैसे ही उसे खोला। तीन बार में में एक लाख 50 हजार रुपये खाते से कट गए। उन्होंने उस नंबर पर दोबारा फोन किया, तो वह लगा ही नहीं। बाद में उनको ठगी का एहसास हुआ।
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