मध्यप्रदेश को दो दिन में दूसरे टाइगर रिजर्व की सौगात मिली है। 24 घंटे के अंतराल में एमपी को एक और नया टाइगर रिजर्व रातापानी के रूप में मिला है।
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राज्य शासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके पहले रविवार को एनटीसीए की मंजूरी के बाद शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को एमपी का 8वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने के बाद एमपी में अब 9 टाइगर रिजर्व हो गए हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर सोमवार को रातापानी को प्रदेश का 9वां टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है। प्रस्तावित रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया का रकबा 763.812 वर्ग किलोमीटर और बफर एरिया का रकबा 507.653 वर्ग किलोमीटर है। इस तरह टाइगर रिजर्व का कुल रकबा 1271.465 वर्ग किलोमीटर होगा।
ये इलाके होंगे शामिल
रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया की सीमा के अंदर राजस्व ग्राम झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर, कैरी चौका, दांतखो, साजौली एवं जैतपुर का रकबा 26.947 वर्ग किलोमीटर राजस्व भूमि इन्क्लेव के रूप में बफर क्षेत्र में शामिल है। टाइगर रिजर्व में भौगोलिक रूप से स्थित 9 ग्राम अभ्यारण्य की अधिसूचना में कोर क्षेत्र में शामिल नहीं हैं।
रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से टाइगर रिजर्व का सम्पूर्ण कोर क्षेत्र रातापानी टाइगर अभ्यारण्य की सीमा के भीतर है। इससे ग्रामीणों के वर्तमान अधिकार में कोई परिवर्तन नहीं होगा। इससे स्थानीय ग्रामीणों को पर्यटन से नये रोजगार सृजित होंगे जिससे आर्थिक लाभ होगा। टाइगर रिजर्व गठित होने से भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से बजट प्राप्त होने से वन्य-प्राणियों का और बेहतर ढंग से प्रबंधन किया जा सकेगा। इसके साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को ईको टूरिज्म के माध्यम से लाभ प्राप्त होगा। टाइगर रिजर्व बनने से रातापानी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी तथा भोपाल की पहचान “टाइगर राजधानी’’ के रूप में होगी।
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