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International Cheetah Day 2024: मध्य प्रदेश में चीता प्रोजेक्ट सफलता की ओर, 19 में से 12 शावकों का जीवित रहना अच्छे संकेत

International Cheetah Day 2024 Special: कूनो के बड़े बाड़े में बंद चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने पर सहमति बन गई है। दो नर चीतों को अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस पर यानी चार दिसंबर को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। आगे चलकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर बनाया जाएगा।

By Sourabh Soni

Publish Date: Wed, 04 Dec 2024 10:00:00 AM (IST)

Updated Date: Wed, 04 Dec 2024 10:00:00 AM (IST)

जब भारत में चीतों की संख्या 500 तक पहुंचेगी, तब सफल माना जाएगा प्रोजेक्ट चीता

HighLights

  1. नामीबिया से 8, दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे
  2. कूनो में अब तक आठ वयस्क चीतों की हो चुकी है मौत
  3. भारत की धरती पर 19 शावकों ने जन्म लिया, 7 की मौत

सौरभ सोनी, भोपाल (International Cheetah Day 2024 Special)। देश में चीतों के इकलौते रहवास मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में चीतों की संख्या बीते दो वर्ष में बढ़ गई है। वर्तमान में शावकों सहित 24 चीते यहां हैं। हालांकि इसे विशेषज्ञ प्रोजेक्ट की आंशिक सफलता ही मान रहे हैं।

जानकारों के अनुसार, जब तक चीतों की संख्या 500 तक नहीं पहुंचती, तब तक प्रोजेक्ट को पूर्ण सफल नहीं माना जाएगा। इसमें भी 15 वर्ष का समय लग सकता है। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अब चीतों का कुनबा तेजी से बढ़ेगा।

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20 चीते कूनो लाए गए, आठ की मौत

  • 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से आठ और 18 फरवरी, 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12, इस तरह 20 चीते कूनो लाए गए थे। अब तक आठ वयस्क चीतों की मौत हो गई है।
  • इस बीच भारत की धरती पर 19 शावकों ने जन्म भी लिया। इनमें से सात शावकों की मौत हो गई। अब यहां 12 चीता शावक और 12 वयस्क को मिलाकर कुल 24 चीता हैं।
  • प्रदेश में तीसरी बार चीतों को केन्या से लाने की भी तैयारी है। इन्हें मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य में रखा जाएगा। कूनो के चीतों की निगरानी और संरक्षण के लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश मिलकर काम कर रहे हैं।

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एक साल में नर और डेढ़ साल में माता चीता हो जाती है वयस्क

चीता का नर शावक करीब एक साल में और मादा शावक डेढ़ साल में वयस्क हो जाते हैं। इन चीता शावकों को प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की आशा के तौर पर देखा जा रहा है। यहां जन्म लेने वाली एक मादा चीता वयस्क भी हो चुकी है।

दरअसल, इन सभी शावकों के सामने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों की तरह जलवायु अनुकूलता न होने जैसी चुनौती नहीं है। ये सभी यहां की जलवायु में पूरी तरह से रचे-बसे होने के साथ बड़े हो रहे हैं।

इसी के साथ कूनो वन्यप्राणी वनमंडल श्योपुर के क्षेत्रफल को नए इलाके शामिल कर बढ़ा दिया गया है। अब कूनो का कुल वन क्षेत्र एक लाख 77 हजार 761 हेक्टेयर हो गया है।

दो नर चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा

दो चीतों को कूनो के खुले जंगल में छोड़ने से पूर्व चीता स्टीयरिंग कमेटी की बैठक होगी। नर चीता अग्नि और वायु को छोड़ा जाएगा। अगले चरण में प्रभाष और पावक को छोड़े जाने की तैयारी है। अब खुले जंगल में पर्यटक चीतों की झलक देख सकेंगे।

चीता प्रबंधन पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। जिस तरह चीतों का प्रबंधन किया जा रहा है, उससे चीता प्रोजेक्ट को सफल होने में 15 वर्ष लग जाएंगे। – अजय दुबे, वन्यप्राणी कार्यकर्ता

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