7 दिसंबर को प्रात: 7 बजे मंगल ग्रह वक्री हो जाएंगे। प्रतिष्ठा, पराक्रम, भूमि, संपत्ति, पुत्र, धन-धान्य और वर्चस्व के कारक मंगल ग्रह वर्तमान में कर्क राशि में ही हैं। मंगल का वक्री काल भी कर्क राशि में ही रहेगा। 80 दिन तक कर्क राशि में वक्री मंगल अलग-
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ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बा वाला ने बताया कि मंगल ग्रह का वक्री काल 24 फरवरी 2025 तक रहेगा। यह स्थिति वैज्ञानिक क्षेत्र में शोध तथा उन्नति का संकेत तो कर रही है। लेकिन इसी क्रम में करीब तीन माह प्राकृतिक अस्थिरता की स्थिति भी दिखाई देगी। ज्योतिष शास्त्र में जब भी कोई पाप ग्रह वक्रत्व काल में प्रवेश करते हैं, तो उनका प्रभाव दिशाओं पर भी दिखाई देता है। कर्क राशि में मंगल का वक्रत्व काल अपनी निम्न स्थिति व दृष्टि के कारण दक्षिण तथा पश्चिम दिशा के राज्यों में राजनीतिक विभागीय परिवर्तन की स्थिति को दर्शा रहा है। परिवर्तन से कहीं अनुकूलता तो कहीं प्रतिकूलता का भी अनुभव होगा।
मंगल-शनि का बनेगा षड़ाष्टक योग
- इस दौरान मंगल-शनि का षड़ाष्टक संबंध बनेगा।
- यह संबंध क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर संकेत करते हैं।
- मंगल व शनि को विज्ञान, पेट्रो पदार्थ, नए शोध, नए आविष्कार एवं नई तकनीक का भी कारक ग्रह माना जाता है।
- इनके दृष्टि संबंध से तकनीकी परिवर्तन के साथ नई-नई प्रणालियों का विकास होगा।
- हथियार और सैन्य साजो-सामान, मेडिसिन, टेक्नोलॉजी, AI, मेडिकल एप्लायंस, केमिकल रिसर्च, मेडिकल स्पेसिफिकेशंस, एनर्जी पावर सेक्टर में प्रगति होगी।
उज्जैन के विकास कार्यों में मिश्रित स्थिति दिखाई देगी
उज्जैन मंगल की भूमि है और मंगल का वर्तमान में कर्क राशि में होना प्रशासनिक दृष्टिकोण से अनुकूल है। लेकिन विकास कार्यों के मामले में यह स्थिति उतार-चढ़ाव को दर्शा रही है। अधिकारियों को सभी वर्ग के साथ सुव्यवस्थित योजनाओं का संचालन करना होगा। अगले तीन माह में कार्य की गति में तेजी तभी आ सकेगी जब कार्ययोजना पर आपसी विचार-विमर्श के साथ कार्य का हस्तांतरण होगा। अन्यथा 3 महीने की खेंच संभावित है।
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