अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के शुभारंभ पर प्रख्यात गीतकार मनोज मुंतशिर शहर आए। आयोजन के पहले उन्होंने भास्कर से चर्चा में श्रीकृष्ण, महर्षि सांदीपनि, धर्म, सिनेमा, बच्चों को गीता का ज्ञान देने पर खुलकर विचार रखे।
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उन्होंने कहा वे सनातन की जागृति, हिंदुत्व की जागृति के अभियान पर हैं, जहां जैसे हो जाए। आज तो हम भगवान महाकाल के दरबार में हैं और बड़ा अद्भुत संयोग है कि महाकाल के दरबार में, महाकाल की धरती पर गीता का और कृष्ण का उत्सव मनाया जा रहा है। यह उज्जैन जो भगवान श्रीकृष्ण की ज्ञान भूमि है, यहां आज श्रीमद्भागवत गीता से जो मैंने सीखा, गीता जो मैं थोड़ा बहुत जान पाया, उसको प्रचारित करने की कोशिश करूंगा।
कृष्ण को श्रीकृष्ण बनाने की धरती उज्जैन की, 64 कलाओं का ज्ञान होने के बाद वे श्रीकृष्ण कहलाए
सवाल- बच्चों को गीता के बारे में कैसे बताएं? – बच्चों को उनकी भाषा में बताना होगा, देखिए हम बच्चों को खारिज करते जाएंगे कि उनको यह समझ नहीं आएगा। यह क्या जाने कि गीता क्या होती है। यह गलती हम करते आए हैं। वे इंस्टाग्राम की भाषा समझते हैं। 60 से 90 सेकंड की रील समझते हैं तो रील बनाओ, जैसे समझते हैं वैसे समझाओ। सरकार, धर्मगुरु, मेरे जैसे व्यक्ति बहुत देर से आते हैं। शुरुआत हमें घर से ही करना होगी।
सवाल- जो विषय आपने छेड़ा, उसमें कहां तक डूब चुके हैं? – बहुत बाकी है, मैं तो अभी ऊपर ही ऊपर हूं। मुझे लगता है कि पूरी जिंदगी भी निकल जाएगी और पढ़ता रहूंगा और जानता रहूंगा और साधु-संतों से सीखता रहूंगा फिर भी शायद नीचे की डुबकी न लगा सकूं, ऊपर ही रहूंगा। हमेशा ज्ञान का अहंकार उसे होता है, जो अज्ञानी हो। अगर आप थोड़ा बहुत भी पढ़ते हो और आप जानते हैं कि शास्त्र क्या, नॉलेज क्या है तो आपको ज्ञान का अहंकार नहीं होगा। यह पूरी दुनिया में लागू है।
सवाल- मप्र में लोक बनाए जा रहे हैं, उसे कैसे देखते हैं? – देखिए… कृष्ण को श्रीकृष्ण बनाने की धरती उज्जैन की है। 64 कलाओं का ज्ञान होने के बाद वे श्रीकृष्ण कहलाए। कृष्ण जब 11 वर्ष के थे, तब यहां आए तो इस धरती का पुण्य प्रताप है। हम इसे सकारात्मक बदलाव के रूप में देखते हैं। हमें आगे भी इसे इसी रूप में देखने की जरूरत है। भविष्य में इन्हीं से सनातन का प्रचार-प्रसार होगा।
सवाल- क्या इस बात से सहमत हैं कि गीता का सूत्रपात उज्जैन से हुआ? – बिलकुल यहीं से हुआ है। जब ज्ञान मिलने का आरंभ यहीं से हुआ तो यह मान लेना चाहिए कि गीता का सूत्रपात उज्जैन से हुआ है। बुजुर्ग हमारे लिए अरबों की संपत्ति छोड़ गए, हम लेना नहीं चाहते। तुम्हारी आयु 10 हजार साल, तुम्हारे बुजुर्गों ने बहुत कुछ कमाया। हम उसे लेना नहीं चाहते। यह जिम्मेदारी हमें लेना होगी। बच्चे तो चलना भी नहीं जानते थे, हमने सीखाया।
सवाल- कमर्शियल लाइफ है, लोगों काे लगता है हमारा क्या फायदा? – यहां चालाकी से तरीके ढूंढने होंगे। हमारे बच्चे पढ़ने के बाद, ट्यूशन के बाद मोबाइल देख रहे होते हैं। वह एक अच्छा जरिए, उससे आप उन्हें दूर करने की जगह कोशिश करें कि वे गीता सुने। कोई भी व्यक्ति गैर राजनीतिक नहीं है। जब आप व्यास गादी पर बैठे हैं तो आपकी जिम्मेदारी है, आप लोगों काे सही बात बताएं।
सवाल- आपको क्या लगता है कब तक आपको नारायण मिल जाएंगे? – नारायण कहीं खोए नहीं है, नारायण मेरे अंदर है। हममें से कोई भी नारायण से अलग नहीं है। मैं उन्हें अपने निकट, पास ही देखता हूं, वहीं पाता हूं। एक तरफ धर्म है, एक तरफ फिल्म। मैं बॉलीवुड में खड़ा होकर अपनी बात कहता हूं कि जो अच्छी है तो मैं जरूर कहूंगा। ऐसी फिल्म जो धर्म के विपरीत है, मैं नहीं कहूंगा।
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