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विकसित कॉलोनियों का बुरा हाल: सालाना 10 करोड़ विकास शुल्क की वसूली फिर भी स्ट्रीट लाइट तक नहीं, सड़कें बदहाल – Gwalior News

नगरीय क्षेत्र में आकार ले रही और ले चुकीं विकसित कॉलोनियों तक पहुंचने के लिए घनघोर अंधेरे में सफर करना पड़ना है। क्योंकि इन मार्गों पर 15 सालों में नगर निगम स्ट्रीट लाइट्स के पोल तक नहीं लगा सका। सड़कें भी कहीं-कहीं बेहद खराब पड़ी हुई है। ये स्थिति तब ह

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उदाहरण के तौर पर 10 बीघा की जमीन को विकसित करने के एवज में कॉलोनाइजर से निगम 15-20 लाख रुपए की राशि कलेक्ट्रेट रेट के हिसाब से वसूली जाती है। वहीं अवैध कॉलोनियों में माननीय अपनी निधियों से वोट की खातिर पानी, सड़क, सीवर और स्ट्रीट लाइट की सुविधा आसानी से पहुंचा देते है। निगम को साल में औसतन 8-10 करोड़ रुपए की राशि उक्त शुल्कों से आती है।

अभी तक न्यू सिटी सेंटर, सिरोल और अलापुर की तरफ 25 से ज्यादा विकसित कॉलोनी बस चुकी हैं। वहां तक पानी और सीवर तो दूर। स्ट्रीट लाइट की सुविधा तक नहीं दे सका है। घनघोर अंधेरे में लोग वहां से रोज निकलते है।

  • सिरोल थाना रोड: बारिश के मौसम में मुरार नदी में आए बाढ़ के कारण हुरावली पुलिया खतरनाक हो चुकी है। यहां रात में अंधेरे में वाहनों को जोखिमभरा सफर सिरोल रोड तक करना पड़ता है।
  • अलापुर से गुलमोहर सिटी रोड: यह सड़क लोक निर्माण विभाग की है। यहां स्ट्रीट लाइट के पोल नहीं होने से 1.5 किमी क्षेत्र में घनघोर अंधेरा रहता है।
  • विकास शुल्क: कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से 10 लाख रुपए। इसे आवेदन शुल्क भी कहते है। {आश्रय शुल्क- 5 लाख रुपए {सुपर विजन चार्ज- दो लाख रुपए होता है। इसमें निगम के इंजीनियरों को जाना होता है, लेकिन वे बिना जाए ही रिपोर्ट दे देते हैं।
  • न्यू कलेक्ट्रेट के पीछे: जिला कलेक्टर ऑफिस जिस पहाड़ी पर बना है। उसके ठीक पीछे की सड़क पर बिजली कंपनी के पोल लगे है। यहां कई पॉश कॉलोनी होने के बाद भी स्ट्रीट लाइट अब तक नहीं लगाई हैं।
  • विवेकानंद नीडम रोड: ये सड़क नई आरओबी की तरफ विवेकानंद नीडम की तरफ जाती है। यह सड़क जगह-जगह से उखड़ी हुई है। यहां भी कई पॉश कॉलोनियां बस गई हैं। पीएम आवास भी यहां हैं। इसके बाद भी स्ट्रीट लाइट नहीं है। इस कारण राहगीरों को अंधेरे में ही वाहनों से सफर करना पड़ता है।
  • पीएम को लिखा स्ट्रीट लाइट के लिए पत्र: शिवपुरी लिंक रोड से शीतला माता मंदिर जाने वाला मार्ग पर अभी तक स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। उक्त समस्या के निराकरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। वहां से उन्हें पत्र भेजा गया है कि समस्या का निराकरण जल्द से जल्द होगा।

ऐसे समझें शुल्क

10 बीघा जमीन पर विकसित कॉलोनी

  • विकास शुल्क: कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से 10 लाख रुपए। इसे आवेदन शुल्क भी कहते है।
  • आश्रय शुल्क- 5 लाख रुपए
  • सुपर विजन चार्ज- दो लाख रुपए होता है। इसमें निगम के इंजीनियरों को जाना होता है, लेकिन वे बिना जाए ही रिपोर्ट दे देते हैं।

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