गुमशुदा 23 वर्षीय रजनीश कुमार, जो शादी से आठ दिन पहले लापता हो गया था। अब पुलिस का दावा है आठ महीने पहले रेलवे ट्रैक पर मिला था शव
ग्वालियर पुलिस की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया हैं, जिसमें 8 महीने पहले पुलिस ने बिना पड़ताल एक शव को दफना दिया था।
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जिसके चलते एसपी की भी कोर्ट में फजीहत हो गई। कोर्ट ने कहा कि एक ही शहर में गुमशुदगी दर्ज हुई और अगले दिन शव मिला लेकिन पड़ताल नहीं की गई, जबकि श्रीनगर और राजस्थान में गुमशुदगी के पोस्टर चिपकाए गए।
मामला हैं एक गुमशुदा बेटे के पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट का, जब हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई तो उसी लावारिस शव को पुलिस ने खोदकर बाहर निकाला है। शव पूरी तरह गल चुका है ,परिजनों ने पहचानने से इनकार किया तो शनिवार DNA टेस्ट कराया गया हैं।
इसी रिपोर्ट से फैसला होगा कि मृतक, वही गुमशुदा है या नहीं। यहां पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। 15 अप्रैल को एक व्यक्ति गुमशुदा होता है। मुरार थाना में उसकी गुमशुदगी दर्ज होती है। अगले दिन 16 अप्रैल को पुरानी छावनी थाना सीमा में अज्ञात शव मिलता है। हुलिया मिलता-जुलता होने के बाद भी दोनों थाना एक ही शहर में होने के बाद भी कोई समन्वय नहीं करते।
गुमशुदा रजनीश का घर, जहां शव मिलने की सूचना के बाद गमगीन माहौल है।
पुलिस ने नहीं की पड़ताल, ली कोर्ट की शरण
ग्वालियर में 16 अप्रैल 2024 को पुरानी छावनी इलाके में रेलवे ट्रैक के पास पुलिस को एक युवक का शव मिला था। स्पॉट पर शिनाख्त नहीं होने पर पुरानी छावनी थाना पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया और बिना पड़ताल किए उसे अज्ञात मानकर गाड़ दिया, जबकि एक दिन पहले 15 अप्रैल को मुरार में रहने वाले रामगोपाल दादोरिया ने 23 साल के बेटे रजनीश कुमार की गुमशुदगी थाने में दर्ज कराई थी। पिता पुलिस के पास भटकते रहे, लेकिन पुलिस ने ढूंढने की कोशिश नहीं की।
परेशान होकर पिता ने मई में बेटे की तलाश में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई। मामले में पैरवी करने वाले अधिवक्ता अकरम खान ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के बेटे रजनीश का 19 अप्रैल को लगुन फलदान होना था और 23 अप्रैल को शादी थी लेकिन 15 अप्रैल को अचानक रजनीश लापता हो गया। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस ने कोई जांच पड़ताल नहीं की। फटकार के बाद शव में तलाशा गुमशुदा जब इस मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोर्ट ने एसपी ग्वालियर धर्मवीर यादव को तलब किया और पुलिस की लापरवाही पर जमकर फटकार लगाई। मामले में फजीहत होते देख पुलिस ने रिकार्ड खंगालना शुरू किया तो चंद दिनों में याद आ गया कि पुरानी छावनी में आठ माह पहले जो शव मिला था।
वह यह गुमशुदा युवक हो सकता है। पुलिस ने शुक्रवार को झांसी रोड स्थित शमसान घाट से शव निकालकर कोर्ट को बताया है कि यही वह गुमशुदा युवक हो सकता है। शव पूरी तरह गल गया है, ऐसे में रजनीश के मां-पिता ने कंकालनुमा शव को पहचानने से इनकार कर दिया हैं। पर आठ माह पूर्व जो कपड़े मिले थे, उसे परिजन रजनीश के ही बता रहे हैं। होगा DNA टेस्ट, 16 दिसंबर को देना है जवाब ग्वालियर की पुरानी छावनी पुलिस ने इस मामले में शनिवार को गुमशुदा के परिजन पिता रामगोपाल व मां को थाना बुला लिया हैं। दोपहर 12 बजे तक दस्तावेज तैयार किए जा रहे थे। दोपहर बाद DNA टेस्ट कराया जाएगा। जिससे इस मामले में साफ हो सके कि शव रजनीश का है या नहीं। पर कपड़े मिलते-जुलते होने और शव मिलने के दौरान लिए गए फोटो में वह रजनीश ही लग रहा है और यह बात परिजन भी मान रहे हैं। कोर्ट ने कहा था-श्रीनगर में पर्चे कैसे लगा आए इस मामले की बीते दिनों हुई सुनवाई में युगल पीठ ने विवेचना अधिकारी से नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि गुमशुदा युवक की तलाश में आप श्रीनगर और राजस्थान के शहरों में पर्चे चिपकाकर आए हैं, इसकी लीड कैसे मिली कि युवक वहां हो सकता है?
इस पर जांच अधिकारी ने कोर्ट से कहा कि वह किसी अन्य मामले की विवेचना के लिए उन शहरों में गए थे इसलिए युवक के गुमशुदा होने के पर्चे भी वहां चिपका आए। हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी कर पुलिस को फटकार लगाई थी। पिता का आरोप-तीन दिन में कैसे मिल गया शव गुमशुदा के पिता रामगोपाल का कहना है कि पुलिस आठ महीने से गुमराह कर रही थी। जब कोर्ट ने फटकार लगाकर सात दिन का अल्टीमेटम दिया तो पुरानी छावनी पुलिस तीन दिन में ही गुमशुदा का शव तलाश लाई। मुझे आशंका है कि मेरे बेटे की हत्या की गई है। उसे ट्रेन एक्सीडेंट का रूप दिया जा रहा है। एसपी ग्वालियर का कहना है कि
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ट्रैक के पास मिले शव की पहचान कराई गई है, पीड़ित पूरी तरीके से नहीं पहचान पा रहे हैं। माता पिता के सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट कराया जा रहा है। रिपोर्ट से सब साफ हो जाएगा।
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