आमतौर पर डेंगू का वायरस माइक्रोबायोलाजी लैब में पकड़ में आ जाता है, लेकिन वायरल हिमोरेजिक फीवर का वायरस जांच के दौरान पकड़ में नहीं आता। यह वायरोलाजी की लैब में ही पकड़ में आता है, लेकिन इसकी जांच महंगी होती है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 01:30:36 PM (IST)
Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 01:44:56 PM (IST)
HighLights
- इंदौर शहर में इस साल अब तक डेंगू के 550 मरीज मिल चुके हैं।
- डेंगू की वजह से शरीर में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरते हैं।
- कई मरीज ऐसे मिले जिनमें लक्षण थे, पर रिपोर्ट नेगेटिव आई।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर (Dengue in Indore )। इंदौर शहर में बुधवार रात 13 वर्षीय बच्चे की डेंगू से मौत होने के बाद लोगों की चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर चिंता में आ गया है, क्योंकि उसके रिकॉर्ड में 20 नवंबर के बाद डेंगू का कोई नया मरीज दर्ज ही नहीं है।
डेंगू हर दो-तीन वर्ष में अपना स्वरूप बदल लेता है। इस कारण मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लग जाती है। इंदौर में इस वर्ष अब तक डेंगू के 550 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 327 पुरुष और 223 महिलाएं हैं। वहीं मलेरिया के सात और चिकनगुनिया के 20 मरीज मिल चुके हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार डेंगू का स्वरूप बदला हुआ रहा, क्योंकि बड़ी संख्या में मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी थी। वहीं कई मरीज ऐसे भी थे, जिनमें डेंगू के लक्षण थे लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी।
अचानक से प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं
डेंगू में मरीज को लगता है कि वह स्वस्थ हो रहा है, लेकिन अचानक से इसमें प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं। इसलिए इसका समय पर उपचार करवाना काफी आवश्यक होता है। डेंगू के कारण प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरते हैं। लिवर पर तेजी से असर होता है।
मरीजों की बढ़ती संख्या सिर्फ इंदौर में ही नहीं रही, पूरे प्रदेश में इस वर्ष अधिक संख्या रही है। इसके वैरिएंट की जांच के लिए पुणे स्थित लैब में सैंपल भेजे जाते हैं, लेकिन अभी नहीं भेजे गए हैं।
डेंगू के लक्षण वाले मरीजों को वायरल हिमोरेजिक फीवर
बता दें कि इंदौर में इस वर्ष सात हजार लोगों में डेंगू के लक्षण नजर आने पर अलाइजा टेस्ट किया गया है। इसमें से लगभग 550 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। बाकी मरीजों में लक्षण होने के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव पाई गई।
सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ. अमित अग्रवाल ने दावा किया है कि निगेटिव रिपोर्ट आने वाले मरीजों में से 50 फीसदी में वायरल हिमोरेजिक फीवर पाया गया। इसके सारे लक्षण डेंगू बुखार जैसे ही होते हैं। हालांकि इसमें मरीज को डेंगू की अपेक्षा खतरा बहुत रहता है।
निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद लोग समझते हैं कि वह बिल्कुल ठीक है, उन्हें विशेषज्ञ की सलाह से उपचार लेना चाहिए। इससे ठीक होने में पांच से आठ दिन तक का समय भी लग जाता है। वायरल हिमोरेजिक फीवर में प्लेटलेट्स धीरे-धीरे कम होती है।
मच्छरों से बचाव करना चाहिए
डेंगू के चार-पांच वैरिएंट रहते हैं। इनमें बदलाव होते हैं तो यह बीमारी करते रहते हैं। एक बार होता है, तो दूसरी बार में और गंभीर हो सकता है। इससे बचने के लिए हमें मच्छरों से बचाव करना चाहिए। – डॉ. वीपी पांडे, प्रभारी डीन, एमजीएम
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