केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में 18 दिसंबर(बुधवार) को एक महत्वपूर्ण जेण्डर संवेदीकरण-कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में समानता और संवेदनशीलता के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यशाला में मुख्य वक्
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश शासन के अधिवक्ता राज सक्सेना उपस्थित थे। उन्होंने शिक्षा में छात्रों के अधिकारों पर चर्चा करते हुए बताया कि “जब तक हम शिक्षित नहीं होंगे, समानता नहीं आ सकती।” उनके विचारों ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भोपाल परिसर के सह-निदेशक प्रो. नीलाभ तिवारी ने संस्कृत संस्कृति और संस्कारों के महत्व पर बल दिया। उन्होंने ‘मातृवत्परदारेषु परद्रव्येषु लोष्ठवत्’ का उद्धरण देकर विद्यार्थियों को सिखाया कि हर व्यक्ति को समान दृष्टि से देखना चाहिए। साथ ही, उन्होंने पाश्चात्य शिक्षा के प्रभावों पर चिंता जताई और संस्कृत शिक्षा की अहमियत को बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. सोमनाथ साहु द्वारा स्वागत भाषण और प्रास्ताविक से हुई, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अशोक कुमार कछवाहा ने किया। इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. जितेन्द्र तिवारी ने किया। आयोजन समिति के सदस्य डॉ. एस.टी.पी. कनकवल्ली और डॉ. प्रदीप कुमार ने कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अवसर पर परिसर के शिक्षाशास्त्र विद्याशाखा के सभी प्राध्यापक और ITEP छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र के साथ हुआ।
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