परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त के छापे के बाद उसकी मां उमा शर्मा ने पहली बार भास्कर से बात की है। उमा ने कहा कि जिस गाड़ी से 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए नगद मिलने की बात कही जा रही है, उस गाड़ी को तो ‘दफ्तर’ के सार
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उमा शर्मा से ‘दफ्तर’ का मतलब पूछा तो बोलीं- जो लोग सौरभ से मिलने-जुलते थे, जिनके साथ उसका उठना-बैठना था। वे सारे लोग इस गाड़ी का इस्तेमाल करते थे। हालांकि, उमा शर्मा ने ये नहीं बताया कि वो लोग कौन हैं। पढ़िए और क्या कहा उमा शर्मा ने…
अरेरा कॉलोनी स्थित सौरभ शर्मा का मकान। यहां उसकी मां उमा शर्मा रह रही हैं।
भास्कर रिपोर्टर ने घंटी बजाई तो 45 मिनट बाद खुला दरवाजा
19 दिसंबर को जिस दिन लोकायुक्त की टीम ने सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी स्थिति ई-7/78 मकान पर छापा मारा था तब सौरभ की मां उमा शर्मा घर पर ही थीं। छापे के एक हफ्ते बाद जब भास्कर की टीम इसी मकान पर पहुंची तो बाहर सन्नाटा पसरा हुआ था। भास्कर रिपोर्टर ने डोर बेल बजाई, तो किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला।
10 मिनट इंतजार करने के बाद दोबारा डोर बेल बजाई, उसके बाद भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इस तरह आधा घंटा गुजर गया। 45 मिनट इंतजार के बाद घर के भीतर से एक लड़की ने दरवाजा खोला। उस लड़की से पूछा कि उमा शर्मा घर में हैं, तो लड़की ने इशारे से बात की।
भास्कर की टीम जब मकान के आंगन में पहुंची तो यहां सन्नाटा पसरा था।
हले बातचीत से इनकार फिर दिए सवालों के जवाब
जैसे ही दरवाजा खुला भास्कर रिपोर्टर को सौरभ की मां उमा शर्मा की एक झलक दिखाई दी। रिपोर्टर को देखकर उमा शर्मा ने तत्काल दरवाजा बंद करने की कोशिश की। रिपोर्टर ने अपना परिचय देते हुए उनसे बात करने का आग्रह किया। पहले तो उन्होंने इनकार किया, बाद में दरवाजा खोला और रिपोर्टर को भीतर बुलाया।
रिपोर्टर ने उनसे कहा कि इस पूरे मामले में उनका पक्ष जानना है तो वह रोने लगी। कुछ देर बाद सामान्य होते हुए वह रिपोर्टर को घर के आंगन में लेकर आई और बातचीत की…
सवाल: आपके मकान से करोड़ों रुपए और दो क्विंटल से ज्यादा चांदी की सिल्लियां बरामद हुई हैं।
जवाब: जांच होगी तो सब पता चलेगा। जितना बताया जा रहा है, जरूरत से ज्यादा बताया जा रहा है। ये जो कह रहे हैं कि लाख-लाख रुपए के सामान, 50-50 हजार के मोजे और बाकी सामान की बात सब झूठ है। चांदी की सिल्लियां मेरे घर से नहीं मिली है। सौरभ के दफ्तर से मिली हैं।
सवाल: एक गाड़ी से 54 किलो सोना और 10 करोड़ नकद मिले हैं, क्या वो सौरभ का है?
जवाब: जिस गाड़ी में 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए नकदी मिलना बता रहे हैं, उस गाड़ी को तो पूरा ‘दफ्तर’ इस्तेमाल करता था। हमारा उस गाड़ी से कोई लेना–देना नहीं है। दफ्तर का मतलब पूछा तो बोलीं- दफ्तर यानी जो लोग सौरभ से मेल-मुलाकात करते थे। जिनके साथ वह रोजाना उठता-बैठता था। ये लोग कौन थे? ये पूछने पर बोलीं- मैं नहीं जानती।
सवाल: आपने सौरभ की नौकरी के लिए झूठा शपथ पत्र क्यों दिया था?
जवाब: मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हूं। मैंने तो साइन भी हिंदी में किए। मेरी उम्र 60 साल से ऊपर है। मुझे बताया गया था कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए शर्त ये होती कि परिवार का कोई सदस्य उसी प्रदेश में सरकारी नौकरी में न हो। मेरा बड़ा बेटा सचिन छत्तीसगढ़ में था।
जब हमें ये पता लगा कि परिवार का एक बेटा यदि सरकारी नौकरी में हो तो दूसरे को नौकरी नहीं मिल सकती। ये पता लगने के बाद सौरभ ने नौकरी छोड़ दी थी।
सवाल: क्या आपसे कुछ पूछताछ हुई है?
जवाब: मेरी किसी से भी बात नहीं हुई है। मेरा फोन बंद है। मुझसे लोकायुक्त ने भी अब तक कोई पूछताछ नहीं की है। सौरभ पर इल्जाम लग रहे हैं, लेकिन वह तो लोकायुक्त के छापे के कई दिनों पहले से यहां नहीं था। वह ‘बाहर’ गया हुआ है।
…इधर सौरभ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
गुरुवार को भोपाल कोर्ट में सौरभ ने अपने वकील राकेश पाराशर के जरिए अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश श्रीराम प्रताप मिश्रा ने अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने अपने आदेश में सौरभ को लोक सेवक मानते हुए और अपराध की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
सौरभ के वकील के कोर्ट में तर्क
- सौरभ लोक सेवक नहीं है यानी सरकारी नौकरी में नहीं है। इसलिए लोकायुक्त पुलिस उसके खिलाफ काेई एक्शन नहीं ले सकती। न ही उसके खिलाफ लोकायुक्त में केस दर्ज किया जा सकता है।
- जिस गाड़ी में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए नकद मिले हैं, वो गाड़ी सौरभ के नाम रजिस्टर्ड नहीं है। इसलिए भी वो सीधे तौर पर आरोपी नहीं हो सकता।
- आय से अधिक संपत्ति के जो भी आरोप हैं, उस पर हम दस्तावेज देने तैयार है। हम जांच एजेंसी को इसमें पूरा सहयोग करेंगे।
- जिस तरह से इस मामले को प्रचारित किया जा रहा है, हमें सौरभ की जान की फिक्र है। जिन लोगों पर आरोप लग रहे हैं, उनसे भी सौरभ को जान का खतरा है और पुलिस से भी।
वकील ने कहा- मुझे नहीं पता सौरभ कहां है
भास्कर ने सौरभ के वकील राकेश पाराशर से पूछा कि उन्होंने कैसे अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की तो बोले कि सौरभ के परिवार के सदस्यों के कहने पर भोपाल आए हैं। उनसे पूछा कि सौरभ कहां है? तो पाराशर ने कहा – सौरभ देश में है या देश के बाहर, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
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