0

यूका के जहरीले कचरे पर जबलपुर HC में सुनवाई आज: ट्रायल रिसर्च को लेकर इंदौर के डॉक्टर्स ने लगाई याचिका; कचरा निपटान पर उठाए कई सवाल – Indore News

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जलाने के खिलाफ इंदौर के एमजीएम हॉस्पिटल एल्यूमिनी एसोसिएशन के सदस्य डॉ. संजय लोंढ़े और अन्य सदस्यों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई है। यह याचिका सोमवार को इंदौर हाई कोर्ट में दायर की थी। लेकिन इस

.

याचिका में जहरीला कचरा पीथमपुर पहुंचाने पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता डॉ. संजय लोंढे, डॉ. एसएस नैयर और डॉ. विनीता कोठारी ने प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों पर कचरा निपटान का क्या प्रभाव पड़ेगा, इसे लेकर न्यायिक समिति के गठन की मांग की है। याचिका में आशंका जताई गई है कि 1984 की गैस त्रासदी से बचे कचरे के निपटान से पीथमपुर और इंदौर पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

गैस त्रासदी राहत विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि यूनियन कार्बाइड प्लांट से निकलने वाले जहरीले कचरे को जलाने से गांवों की जमीन और मिट्टी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। फिर भी लैंड फिल बनाया गया है ताकि कचरा जलाने के दौरान पानी या मिट्टी के संपर्क में न आए। उन्होंने आश्वासन दिया कि हाई कोर्ट के आदेश पर एक्सपर्टस की देखरेख में 10 टन कचरे का निपटान पहले ही किया जा चुका है। इससे संबधित क्षेत्र में कोई हानिकारक प्रभाव नहीं हुआ।

मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें अखबारों की रिपोर्ट्स से कचरे को पीथमपुर स्थानान्तरित करने की सरकार की योजना की जानकारी मिली। उन्होंने लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके लिए मौजूदा हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में एक समिति की मांग की है। याचिका में इन मुद्दों पर उठाए सवाल

  • सीनियर एडवोकेट अभिनव धनोतकर ने बताया कि यह पीथमपुर और इंदौर के लोगों के जीवन, कल्याण और स्वास्थ्य का मामला है। रिट याचिका के माध्यम से कोर्ट में अपील की गई है हम नागरिक अधिकार की सुरक्षा चाहते हैं। आरोप है कि इसमें न तो स्थानीय प्रशासन और न ही इंदौर और पीथमपुर के निर्वाचित निकायों को विश्वास में लिया गया। इस तरह के मनमाने कदम उठाकर राज्य शासन लोगों के मौलिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
  • इंदौर घनी आबादी वाला शहर है। पीथमपुर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। डर है कि कचरे का निपटान सीधे लोगों को प्रभावित करेगा। यूनियन कार्बाइड प्लांट से निकलने वाले कचरे में “कैंसरकारी यौगिक, हेक्साक्लोरोइथेन, हेक्साक्लोरो ब्यूटाडीन, पारा, निकल, तांबा, क्रोमियम यौगिक और साइनाइड जैसे एल्डिकार्प अपशिष्ट हो सकते हैं।
  • पीथमपुर में कचरा निपटान प्लांट गंभीर नदी के करीब है जो यशवंत सागर को पानी सप्लाई का स्रोत है। यह इंदौर के 40% हिस्से को पानी की सप्लाई करता है। आशंका जताई गई कि खतरनाक कचरे के कारण यशवंत सागर प्रदूषित हो सकता है। प्रशासन द्वारा इतना बड़ा जोखिम नहीं उठाया जा सकता। याचिका में कचरे के निपटान से संबंधित किसी भी परिणाम से निपटने के लिए एक सक्षम अस्थाई अस्पताल स्थापित करने को लेकर भी दिशा निर्देश मांगे गए हैं।

#यक #क #जहरल #कचर #पर #जबलपर #म #सनवई #आज #टरयल #रसरच #क #लकर #इदर #क #डकटरस #न #लगई #यचक #कचर #नपटन #पर #उठए #कई #सवल #Indore #News
#यक #क #जहरल #कचर #पर #जबलपर #म #सनवई #आज #टरयल #रसरच #क #लकर #इदर #क #डकटरस #न #लगई #यचक #कचर #नपटन #पर #उठए #कई #सवल #Indore #News

Source link