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इस देश की कोर्ट ने राष्ट्रपति के लिए जारी किया अरेस्ट वारंट, लगे हैं गंभीर आरोप – India TV Hindi

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दक्षिण कोरिया के निलंबित राष्ट्रपति

जांच अधिकारियों ने कहा कि दक्षिण कोरियाई अदालत ने मंगलवार को राष्ट्रपति यूं सुक येओल के लिए गिरफ्तारी वारंट को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति यूं सुक येओल पर 3 दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने के फैसले पर महाभियोग लगाया गया था और उन्हें सत्ता से निलंबित कर दिया गया था। संयुक्त जांच मुख्यालय ने एक बयान में कहा, “संयुक्त जांच मुख्यालय द्वारा निलंबित किए गए राष्ट्रपति यूं सुक येओल के लिए गिरफ्तारी वारंट और तलाशी वारंट मंगलवार की सुबह जारी किया गया है।”

किसी राष्ट्रपति के लिए पहली बार जारी किया गया गिरफ्तारी वारंट

उच्च पदस्थ अधिकारियों के भ्रष्टाचार जांच कार्यालय ने पुष्टि की कि सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय ने वारंट को मंजूरी दे दी है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, दक्षिण कोरिया में किसी मौजूदा राष्ट्रपति के लिए जारी किया गया यह पहला गिरफ्तारी वारंट है। 

सोमवार को, दक्षिण कोरियाई जांचकर्ताओं ने इस महीने के अल्पकालिक मार्शल लॉ लगाए जाने पर यून के लिए गिरफ्तारी वारंट की मांग की थी। यून संभावित विद्रोह के आरोपों में आपराधिक जांच का सामना कर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ की घोषणा की थी

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने मंगलवार की रात एक चौंकाने वाला फ़ैसला करते हुए पहली बार दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की घोषणा की थी लेकिन भारी दबाव के बाद इसे वापस ले लिया गया था। यून ने अपने संबोधन में सरकार को कमज़ोर करने के विपक्ष के प्रयासों का ज़िक्र किया था और कहा था कि वह “तबाही मचाने वाली देश विरोधी ताक़तों को कुचलने के लिए” मार्शल लॉ की घोषणा करते हैं। इस आदेश का अर्थ था कि देश अस्थायी तौर पर सेना के नियंत्रण में चला गया।

आपातकाल के समय लगा था मार्शल लॉ

दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ आपातकाल के समय लगाया गया, इसका मतलब देश में अस्थायी शासन होता है, जिस दौरान देश की कमान सेना के हाथ में चली जाती है। इसकी वजह ये बताई जाती है कि चुनी हुई सरकार अपना कामकाज करने में असमर्थ है। दक्षिण कोरिया में इसकी घोषणा आख़िरी बार साल 1979 में की गई थी, तब दक्षिण कोरिया के तत्कालीन सैन्य तानाशाह पार्क चुंग-ही की तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई थी।

साल 1987 में दक्षिण कोरिया के संसदीय लोकतंत्र बनने के बाद से इसे कभी लागू नहीं किया गया लेकिन राष्ट्रपति यून ने अभी देश में मार्शल लॉ लगा दिया था। उन्होंने देश के नाम संबोधन में कहा था कि वह दक्षिण कोरिया को ‘देश-विरोधी ताक़तों’ से बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

 

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