मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने देशभर से कला प्रस्तुति देने आए बच्चों को संबोधित करते हुए एक कहावत का अर्थ भी समझाया उन्होंने कहा कि राजा भोज और गंगू तेली की कहावत गलत है।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Fri, 03 Jan 2025 04:17:09 PM (IST)
Updated Date: Fri, 03 Jan 2025 04:20:35 PM (IST)
HighLights
- सीएम ने कहा कि भारत की कला संस्कृति की पहचान बना राष्ट्रीय कला उत्सव
- सांस्कृतिक रुप से समृद्ध विभिन्न विरासतों को देखने समझने का मौका मिलता है।
- उन्होंने मंच से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में NCERT परिसर में आयोजित राष्ट्रीय कला उत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में इस कला उत्सव की शुरुआत की थी। इसके माध्यम से स्कूली छात्रों की कला को पहचानने और प्रतिभा को निखारने का अवसर मिला। साथ ही भारत जिसकी विशेषता अनेकता में एकता की है। वहां सांस्कृतिक रुप से समृद्ध विभिन्न विरासतों को देखने समझने का मौका मिलता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
64 कला 14 विद्याओं में निष्णात थे श्रीकृष्ण
- उन्होंने कहा कि कंस वध के बाद श्रीकृष्ण शिक्षा प्राप्त करने इसी मध्यप्रदेश के सांदीपनी आश्रम आए और गुरुकुल पद्धति के माध्यम से शिक्षा गृहण की. श्रीकृष्ण 64 कला और 14 विद्याओं में निष्णात थे।
- इसीलिए कहा गया कि श्रीकृष्ण वंदे जगतगुरुं यानि शिष्य रहते भी उन्हें गुरु का दर्जा दिया गया।
- श्रीकृष्ण बांसुरी वादन करते थे तो सुदर्शन चक्र भी योग के माध्यम से धारण किया।
- उन्होंने विराट स्वरुप के दर्शन भी कराए। श्रीकृष्ण ने एक ही जीवन में कई स्वरुपों के दर्शन कराएं।
- इनकी कथाओं को भारत की अलग अलग नृत्य विधाओं में प्रदर्शित किया जाता है।
कहां राजा भोज कहां गंगू तेली की सुनाई कहानी
- उन्होंने बताया कि सिंधुराज ने अपने दत्तक पुत्र मुंज को राजपाट सौंपा जिनका एक युद्ध में प्राणांत हुआ। उनके बाद राजा भोज ने राजपाट संभाला लेकिन वे युद्ध की बजाय अन्य कलाओं में रुचि रखते थे।
- इसके बाद राजा भोज को एक नाटक के माध्यम से राजा मुंज के युद्ध में हार और अपमान का दृश्य दिखाया गया।
- तब राजा भोज का खून खौल उठा और उन्होंने एक साथ राजा गांगेय और राजा तैलव की सेना को हराया।
- तभी से ये कहावत चली कि कहा राजा भोज और कहां गांगेय तैलव जो बाद में अपभ्रंश होकर कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली में बदल गई।
आज भोपाल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित ’31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर वर्चुअली उज्जैन के डोंगला में स्थापित ‘वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला की ऑटोमेशन सुविधा’ का लोकार्पण किया। साथ ही वीर भारत न्यास द्वारा प्रवर्तित फिल्म सीरीज… pic.twitter.com/mF61kuxlYg
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) January 3, 2025
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