MPIDC ने बनाया प्रस्ताव
अधिकांश जमीन पर कब्जा ले लिया, लेकिन किसान विरोध कर रहे थे। बात सीएम डॉ. मोहन यादव तक पहुंची। अब एमपीआइडीसी(MPIDC) ने भू-अर्जन पॉलिसी बदलने का फैसला किया है। इंदौर विकास प्राधिकरण की तर्ज पर विकसित भूखंडों का 50 फीसदी हिस्सा किसानों को दिया जाएगा, जिससे उन्हें खासा फायदा मिलेगा। प्राधिकरण का यह सबसे सफल फॉर्मूला है, जिस पर एमपीआइडीसी ने प्रस्ताव बना लिया है। मंजूरी के लिए सरकार के सामने रखा जाएगा।
एक नजर इकोनॉमिक कॉरिडोर पर
लंबाई – 19.4 किमी क्षेत्रफल – 1290.74 हेक्टेयर योजना लागत – 2124.80 करोड़ अनुमानित निवेश – 10,000 करोड़ रोजगार – 25000 ये भी पढें – महाकुंभ के लिए एमपी से चलेंगी बसें, लखनऊ और प्रयागराज तक डायरेक्ट कनेक्टिविटी
योजना से प्रभावित गांव
टीही, धन्नड़, भैसलाए, सोनवाय, डेहरी, बागोदा, मोकलाय, नरलाय, शिवखेड़ा, सिंदौड़ी, सिंदौड़ा, श्रीराम तलावली, नावदा पंथ, बिसनावदा, रिंजलाय, नैनोद, कोर्डियाबर्डी।
कई मायनों में अहम है योजना
यह कॉरिडोर(Indore-Pithampur Economic Corridor) सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जहां एक सेक्टर एक लैंड यूज होगा। इंदौर में एयरपोर्ट के पीछे से पीथमपुर तक 75 मीटर चौड़ी सड़क बनाई जाएगी, जो इंदौर-अहमदाबाद नेशनल हाईवे को क्रॉस करेगी। इस कॉरिडोर के दोनों तरफ की 300-300 मीटर जमीन ली जा रही है। इसमें फिनटेक सिटी, दलाल स्ट्रीट, आइटी हब के साथ में व्यावसायिक व औद्योगिक प्लॉट होंगे तो बड़ा एरिया रेसीडेंशियल प्लॉट का भी रहेगा, जिसमें 20 मंजिला तक हाईराइज रहेगी। योजना के हिसाब से 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा तो 25 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
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