मध्य प्रदेश में सरकारी गेहूं की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। बुधवार को ऑनलाइन नीलामी में गेहूं की कीमत 3105 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। सरकार द्वारा नेपाल को 2 लाख टन गेहूं निर्यात करने के निर्णय से भी गेहूं की कीमतों में तेजी आई है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Thu, 09 Jan 2025 01:58:18 PM (IST)
Updated Date: Thu, 09 Jan 2025 10:28:41 PM (IST)
HighLights
- सरकार ने दो लाख टन गेहूं नेपाल को निर्यात करने का निर्णय लिया है।
- अभी मंडियों में आवक सिमट कर हजार से बारह सौ बोरी की रह गई है।
- अभी मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 3170 रुपये क्विंटल तक बिक गया है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन(MP Gehu Rate)। बुधवार को भारतीय खाद्य निगम का गेहूं ऑनलाइन नीलामी में ऊंचे में 3105 रुपये क्विंटल बिक गया। बीते तीन दिन मंडी नीलामी में 75 रुपये क्विंटल की तेजी आ गई है। बता दें कि अभी सरकार ने दो लाख टन गेहूं नेपाल को निर्यात करने का निर्णय लिया है।
इस कारण भी गेहूं में जारी तेजी का असर हुआ है। यह साल गेहूं की तेजी में रिकॉर्ड बनाने को अग्रसर है। बाजार में गेहूं की काफी कमी देखी जा रही है। मंडियों में आवक सिमटकर हजार से बारह सौ बोरी की रह गई है।
मिल क्वालिटी पर पड़ा असर
तेजी का असर मिल क्वालिटी पर काफी पड़ा है। बुधवार को सरकारी गेहूं की साप्ताहिक ऑनलाइन नीलामी में आटा मिल वालों ने उच्चतम भाव 3105 रुपया क्विंटल दिए, जो सागर डिपो का बताया जा रहा है। निम्नतम भाव 3000 रुपये क्विंटल रहे।
35 हजार क्विंटल की बिक्री की गई। बीते तीन दिनों में मंडी नीलामी में करीब 75 रुपये क्विंटल की तेजी आ गई, कारण 1300 बोरी की आवक रही। चमक वाला लोकवन गेहूं 3270 रुपया क्विंटल बिक गया। पोषक के भाव 3144 रुपये क्विंटल रहे।
बाजार पर नहीं पड़ा असर
गज्जर गेहूं 3100 से 3150 रुपया क्विंटल चल रहा है। मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 3170 रुपये क्विंटल तक बिक गया है। ब्रोकर संजय खंडेलवाल के अनुसार गेहूं की तेजी के दौरान दिल्ली व गुजरात में गेहूं के भाव में 50 रुपये क्विंटल की मंदी भी आई। इसका असर बाजार पर नहीं पड़ा।
बाजार में किल्लत जारी
विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को अब खाद्यान्न की महंगाई से कोई सरोकार नहीं रहा। सरकारी गोदामों में ही गेहूं की कमी है। बाजार में किल्लत जारी है। बावजूद खुली बिक्री के तहत गेहूं बिक्री का आवंटन बढ़ाने की बजाय नेपाल की जरूरत की पूर्ति की जा रही है।
गेहूं को मंडियों में आने में दो महीने की देरी
इससे स्पष्ट है कि उपभोक्ताओं को मिल रहा महंगा आटा, गेहूं से सरकार को फर्क नहीं पड़ रहा है। मालूम हो, अभी नए गेहूं को मंडियों में आने में करीब दो माह की देरी है। जब तक बाजार में गेहूं की किल्लत बनी रहने की संभावना है।
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