कमाल का है ये खिलाड़ी, 40 दिन में 30 मैराथन दौड़कर बनाया रिकॉर्ड, अब विदेशों में अपने हुनर का दिखाएगा जलवा
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जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तब जाकर सफलता मिलती है. ऐसी ही कहानी राजस्थान के तनिष्क गौड़ की है, जिन्होंने 40 दिनों में 30 मैराथन पूरी कर लंदन मैराथन, न्यूयॉर्क सिटी मैराथन और सहारा डेजर्ट मैराथन में क्वालीफाई कर लिया है.
तनिष्क गौड़ जोधपुर
जोधपुर:- अगर कुछ करने की चाह हो और हौसला मजबूत कर लिया जाए, तो मंजिल मिल ही जाती है. ऐसा ही कुछ हौसला मजबूत रखते हुए तनिष्क गौड़ ने 40 दिनों में 30 मैराथन पूरी कर लंदन मैराथन, न्यूयॉर्क सिटी मैराथन और सहारा डेजर्ट मैराथन में क्वालीफाई कर लिया है. वे ऐसा करने वाले राजस्थान के पहले एथलीट बने हैं. साथ ही तनिष्क ने 100 घंटे से ज्यादा मैराथन दौड़ भी पूरी की. तनिष्क का यह रिकॉर्ड अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड, वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड और एशियाई रिकॉर्ड में भी दर्ज हो जाएगा. इससे पूर्व में तनिष्क गौड़ के नाम 41 दिनों मे 4000 किलोमीटर की दौड़ का विश्व रिकॉर्ड है. तनिष्क को 2024 में ही भारत के 10 उभरते युवाओं की सूची में शामिल किया गया था.
तनिष्क ने लोकल 18 को बताया कि मैं स्कूल में क्रिकेट खेलता था. एक दिन मुझे क्रिकेटर ने कहा कि मुझे अपने पैर पर काम करना चाहिए, तो मैंने क्रिकेट छोड़ एथलीट में हिस्सा लिया. गीता पढ़ने के बाद मोटिवेशन मिला कि खुद की ताकत पहचानो. अपनी स्ट्रेंथ पर काम किया, तो सफल हुआ.
प्रेक्टिस के साथ हौसला भी जरूरी
उन्होंने आगे बताया कि ये प्रेक्टिस का गेम है और हौसला भी जरूरी है. हर दिन का शेड्यूल होता है. कम दूरी में तेज दौड़ना और लंबी दूरी में धीमे दौड़ना, जैसे कई टास्क पर काम करना होता है. मेंटली फिटनेस ज्यादा काम आती है. दौड़ने से पहले खुद को रेडी करना और तैयार होने के लिए पहले छह किमी पर खास दौड़ना होता है. मैं भी शुरुआत के छह किमी पर फोकस रखता हूं. 20 साल से कोई भारतीय एथलीट ओलंपिक में विजेता नहीं बना. मैं इसे अपना अगला चरण मानता हूं और इसकी तैयारी करूंगा. दौड़ने से नौ किलो वजन कम हुआ.
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खुद से ही हुआ मोटिवेट
तनिष्क गौड़ ने Local 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि लोगों ने कहा कि मैं अपनी पॉवर पहचानूं, तो मैंने खुद की स्ट्रेंथ पर काम किया. देखा कि मुझे दौड़ने पर थकान नहीं होती और सांस नहीं फूलती थी. मैंने इसे ही ताकत बनाया. ऐसे कामों में कोई मोटिवेट नहीं करता, खुद को ही करना होता है. मैंने भी खुद को ही मोटिवेट किया. जब वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, तो पैरेंट्स चिंतित थे. इस बार भी घुटने और टखने के टिशू डेमेज हो चुके हैं, स्ट्रिप लगा-लगाकर दौड़ा हूं.
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