इंदौर के गवर्नमेंट ऑटोनोमस डेंटल कॉलेज में प्रिंसिपल की कुर्सी को लेकर जमकर खींचतान चल रही है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व डॉ. देशराज जैन की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी पत्नी डॉ. संध्या जैन ने प्रिसिंपल की कुर्सी संभाली थी। वरीयता की सूची में वे पहले नंबर पर थ
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इस बीच शुक्रवार को डॉ. संध्या जैन ने फिर से प्रिंसिपल की कुर्सी संभाल ली। उनका कहना है कि शुक्रवार दोपहर को हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अभी चार्ज हैंडओवर नहीं हुआ है इसलिए स्टेटस वही रहेगा, इसका मतलब चार्ज मेरे पास रहेगा। इस कारण मैंने आज ड्यूटी ज्वाइन कर ली। अभी ट्रेजरी, बैंक, डाक सहित सभी जगह मेरे ही हस्ताक्षर मान्य हैं।
डॉ. संध्या ने कहा- कोर्ट की अगली सुनवाई 20 जनवरी को है तब तक चार्ज मेरे पास ही रहेगा। दूसरी ओर डॉ. अलका गुप्ता का कहना है कि डॉ. जैन ने हाई कोर्ट का आदेश ठीक से नहीं पढ़ा। आदेश में स्पष्ट लिखा है कि एग्जिस्टिंग प्रिंसिपल ही बनी रहेगी। डॉ. जैन 8 जनवरी को कार्यमुक्त हो चुकी है। मैंने 9 जनवरी को ज्वाइन किया था। हाई कोर्ट ने मेरे फेवर में आदेश दिया है। मैं ही प्रिंसिपल बनी रहूंगी।
9 जनवरी को डॉ. अलका गुप्ता ने ज्वाइन किया था प्रिंसिपल का पद।
इस बीच सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी के वायरल हुई। हॉस्पिटल स्टाफ और डॉ. जैन के नजदीकी लोग बुके और मिठाइयां लेकर उनके केबिन में पहुंचे। उन्होंने रिजाइनिंग पर जमकर स्वागत किया और मिठाइयां खिलाई। इसके साथ ही मिठाइयां भी बांटी।
शाम को डॉ. अलका गुप्ता नाराजगी के साथ डेंटल कॉलेज पहुंची। उन्होंने पहले प्रिंसिपल केबिन के बाहर स्टाफ को जमकर लताड़ा। फिर दनदनाते हुए केबिन में घुसी तो कुर्सी पर डॉ. संध्या जैन को देखा तो उनका गुस्सा फूट पड़ा।
ये मेरे केबिन में कैसे घुसे?
डॉ. गुप्ता ने स्टाफ से पूछा ये (डॉ. संध्या जैन) मेरे केबिन में कैसे घुसे। इस पर महिला कर्मचारी ने कहा कि मैडम आपको चार्ज नहीं दिया है। इस पर डॉ. गुप्ता ने कहा कि मैंने आपसे चार्ज नहीं मांगा है। आप (डॉ. जैन) कार्यमुक्त हो चुकी है। उनके कार्यमुक्त होने के बाद शासन ने मुझे चार्ज दिया है। कोर्ट ने यह कहा है जो एग्जिस्टिंग है, मैं चार्ज ले चुकी हूं। मैं यह कॉपी आपको देना चाहती हूं। मैंने प्रमुख सचिव को भी भेज दिया है और आपको भी भेज रहे हैं। आपने हाथ में रिसीविंग नहीं ली है इसलिए मैं अब आपको वॉट्सऐप पर भेज रही हूं।
डॉ. गुप्ता ने स्टाफ को कहा कि मैं सबसे स्पष्टीकरण लूंगी कि मेरे केबिन में मेरी बिना अनुमति के ये (डॉ. जैन) और बाकी लोग कैसे दाखिल हुए। यह बात आप सभी नोट करके रख लीजिए। उनके इस रवैये को देख स्टाफ सहम गया तो कुछेक लोगों ने उनके सामने ही पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना लिया। फिर डॉ. गुप्ता कलेक्टर से मिलने का बात कह स्टाफ को चेताकर चली गई। बाद में फिर वह लौटी और उनकी नाराजगी बनी हुई थी।
पीजी सीट बचाना मेरे लिए चुनौती, निरीक्षण में बताई थी खामियां
प्राचार्य डॉ. अलका गुप्ता का कहना है कि पीजी की सीट बचाना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस वर्ष अनुमति के लिए काउंसिल से टीम आई तो उन्होंने यहां खामियां बताई थीं। यह सभी प्रबंधन स्तर से ठीक हो सकती थी। जैसे ओपीजी मशीन दो माह से रखी है, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुई। डेंटल चेयर सरकार की ओर से नवंबर में मिल गई थी, लेकिन कुछ दिन पहले इंस्टॉल हुई है।
यहां के डॉक्टर विदेश जा रहे हैं, फैकल्टी के भी आने का कोई समय तय नहीं है। इससे मरीज और छात्रों को समस्या हो रही है। सरकार ने उन्हें मौका दिया कि चीजों में सुधार हो, लेकिन सुधार नहीं किया। कोर्ट में केविएट इसलिए लगाई ताकि वह कोर्ट को बरगला नहीं सके। डॉ. गुप्ता ने साथ ही कहा कि 70 से अधिक आयु वर्ग के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
सीट पर संकट नहीं, मैं पीएससी से चयनित, सबसे सीनियर हूं
डॉ. संध्या जैन ने शुक्रवार को फिर प्रिंसिपल का पद संभाल लिया। आसपास रखे शुभकामनाओं के साथ मिले बुके।
पूर्व प्राचार्य डॉ. संध्या जैन का कहना है कि पीएससी के माध्यम से चयनित हूं और सबसे सीनियर हूं। वरिष्ठता के क्रम में चौथे नंबर पर हूं। पीजी सीट को लेकर संकट नहीं है। पीजी सीट की अनुमति मिल चुकी है। अंडरटेकिंग दी थी। अनियमितता को लेकर कही जा रही बातें गलत हैं, क्योंकि हमारे पास किसी प्रकार का नोटिस नहीं आया है। 15 वर्ष के कार्यकाल में दो नई बिल्डिंगों का काम पूरा करवाया है।
शासन से 75 डेंटल चेयर के लिए प्रयास किया। ये मिलते ही उन्हें विभाग में इंस्टॉल करवाया। ओपीजी मशीन के इंस्टॉल होने के बाद एईआरबी सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है। उसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लेड पार्टीशन खरीदी के आदेश दे दिए हैं। खाली पदों की भर्ती प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। कोई भी फैकल्टी विदेश जाती है तो वह अनुमति लेकर ही जाती है।
दूसरी ओर डॉ. अलका गुप्ता का कहना है कि 8 जनवरी के आदेश में डॉ. संध्या जैन को कार्यमुक्त कर दिया गया था। इसके बाद मैंने 9 जनवरी को मैंने प्रिंसिपल का पदभार ग्रहण कर लिया गया। शुक्रवार को हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि जो एग्जिस्टिंग प्रिंसिपल यानी मैं ही प्रिंसिपल बनी रहूंगी। मैं सुबह अपने केबिन में ताला लगाकर गई थी। दोपहर को जब मैं हाईकोर्ट गई थी तब डॉ. संध्या जैन स्टाफ की मदद से पीछे वाले दरवाजे का ताला खोलकर गई और प्रिंसिपल की कुर्सी पर बैठ गई।
मैंने उन्हें हाई कोर्ट का आदेश देना चाहा लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया। इस तरह राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने से कोई राष्ट्रपति नहीं हो जाता है। यह हाई कोर्ट का आदेश है इसका पालन करना होगा। मैं तो प्रिंसिपल का काम कहीं भी बैठकर कर लूंगी। हेल्थ एडिमिनिस्ट्रेशन भी संभाल लूंगी। मैं आज कलेक्टर से भी मिली। उन्होंने शनिवार को मु्झे चार्ज संभालने को कहा है।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, तंज
गुरुवार शाम को डॉ. संध्या जैन ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि निकले हैं वो लोग मेरी शख्सियत बिगाड़ने, किरदार जिनके खुद मरम्मत मांग रहे हैं। इसके बाद शुक्रवार शाम को डॉ. अलका गुप्ता की नाराजगी और गुस्से का वीडियो वायरल हुआ। इसके बाद एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें डॉ. जैन प्रिंसिपल केबिन का ताला लगा होने के कारण पीछे के दरवाजे से अंदर घुसते हुए दिख रही है।
डीन पद को लेकर भी हुई थी खींचतान
हाल ही में एजीएम मेडिकल कॉलेज में डीन की कुर्सी को लेकर भी जमकर बवाल हुआ था। यहां सेवानिवृत्त डीन डॉ. संजय दीक्षित ने एमवायएच के सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव को चार्ज सौंपा था। अगले दिन सीनियर प्रो. डॉ. वीपी पांडे डीन का पदभार ग्रहण कर लिया था और विदेश चले गए थे। उनके पास इस संबंध में हाई कोर्ट का आदेश था। डॉ. यादव का कहना था कि शासन ने उन्हें अभी इस संबंध में आदेश नहीं दिया है। इसके बाद फिर मामला हाई कोर्ट पहुंचा था और जमकर फटकार लगाई थी कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद क्या शासन के आदेश का इंतजार करना चाहिए? इसके बाद डॉ. वीपी पांडे अब वर्तमान डीन है। अब डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल पद की लड़ाई काफी चर्चाओं में है।
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