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लड़ेगा परियल, कानबाज में पेंच…. गूंजेगा काट्या है…. | Patrika News

मकर संक्रांति पर शहर में चलेगा पतंगबाजी का दौर, हर वर्ग के लोगों में उत्साह

इंदौर. मकर संक्रांति पर तिल गुड़ के साथ ही पतंगबाजी का विशेष महत्व है। सुबह से कई इलाकों में आसमान पर पतंग नजर आएंगी। हर वर्ग के लोगों में पतंगबाजी को लेकर उत्साह है, आसमान में पतंग उड़ेगी, पेंच लड़ेंगे और गूंजेगा काट्या है….।

वर्तमान डिजिटल दौर में पतंग भी डिजिटल डिजाइन से रंग बिरंगी नजर आ रही है, कार्टून कैरेक्टर पतंग पर दिखाई दे रही है लेकिन एक समय था जब पतंगों के नाम सभी आकर्षित करते थे।

पतंग के विशेष प्रकार में परियल (दो-तीन कलर की पतंग), कान बाज (कान नजर आते), चांद सितारा (चांद व सितारा दिखाई देता), चौपड़ (चौपड़ की डिजाइन रहती), पट्टा (अलग-अलग कलर के पट्टे नजर आते), गिलास (गिलास का फोटो रहता) शामिल है, बच्चों और युवाओं में यहीं पतंग की डिमांड होती थी। कान बाज व परियल के प्रति विशेष लगाव नजर आता था।

लग्गा लेकर निकल जाते थे युवा

पतंग उड़ाने से लेकर पेंट लटाने व कटने पर लग्गा लेकर उसे लूटना का दौर नजर आता था, हालांकि यह अब लुप्त हो गया है। पतंग आसमान में उड़ती दो पतंगों के बीच पेंच लड़ता। जिसकी डोर मजबूत होती वह जीत जाता और दूसरे की कट कर लहराते हुए नीचे गिरने लगती। पतंग कटी तो काट्या है का शोर मचाकर जीतने वाले उत्साहित नजर आते। कटी पतंग को लूटने के लिए कई युवा लग्गा (पेड़ की लकड़ी का हिस्सा जिसमें पतंग को डोर से उलझा लेते) दौड़ लगा लेते थे। डोर का धागन, मांझा कहां जाता और उसे भी लूटने के लिए लोग छतों पर निगाहे गड़ाए रहते थे। हालांकि कई बार हुई डोर व पतंग लूटने वाले लहुलूहान हो जाते इसलिए यह दौर जाता रहा।

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