अरुणोदय चौबे, पूर्व विधायक खुरई
सागर जिले में बीजेपी के विधायकों और नेताओं के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और खुरई के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे को लेकर आर-पार के मूड में हैं।
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भूपेन्द्र सिंह का एक बयान चर्चा में हैं जिसमें उन्होंने कहा कि मैं जिन दो लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ा। उन लोगों ने कार्यकर्ताओं के ऊपर अत्याचार किए। पार्टी चाहे तो कांग्रेस से आए उन दो लोगों को स्वीकार कर ले लेकिन, मैं कभी मन से उन दो लोगों को स्वीकार नहीं कर पाउंगा। भूपेन्द्र ने बिना नाम लिए गोविंद सिंह राजपूत और अरुणोदय चौबे पर निशाना साधा।
भूपेन्द्र सिंह के आरोपों पर दैनिक भास्कर ने खुरई से कांग्रेस के विधायक रहे(अब बीजेपी में) अरुणोदय चौबे से बातचीत की।
सवाल- भूपेंद्र सिंह क्यों इतने आक्रोशित हैं? चौबे- मैं बहुत दिनों से सोच रहा हूं यह मालूम करूं कि वह पता नहीं क्यों आक्रोशित हैं। यह मुझे स्वयं नहीं मालूम।
सवाल- भूपेन्द्र सिंह का आरोप है कि जब आप विधायक थे, तब आपने भाजपा कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किए? चौबे- यह गलत आरोप हैं। मैंने किसी पर अत्याचार नहीं किया। मेरी फितरत में नहीं है किसी पर अत्याचार करना। लोगों के मकान गिरा देना, लोगों को जेल भिजवा देना, उल्टे- सीधे प्रकरणों में फंसा देना यह मेरी फितरत में नहीं है, मैं इस तरह की हरकतें नहीं करता।
सवाल- आप दोनों के दल मिल गए हैं लेकिन दिल क्यों नहीं मिल पा रहे? इसकी वजह आपको समझ में आई? चौबे- मुझे ऐसा लगता है कि वे शुरू से नहीं चाहते थे, मैं भारतीय जनता पार्टी में आऊं। अब मैं यहां पर आ गया हूं वे यहां भी मुझे अपना प्रतिद्वंदी समझते हैं। हो सकता है इसलिए वह दूरी बनाकर रखे हों। या उनके मन में लगता हो कि मैं उनका प्रतिद्वंदी हूं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है वे अपना काम कर रहे हैं मैं अपना काम कर रहा हूं।
सवाल- जब भूपेंद्र सिंह नहीं चाहते थे तो आप भाजपा में किसके कहने और बुलावे पर आए? चौबे- वैसे तो उनसे भी पूछा गया था उन्होंने भी अपनी स्वीकृति तो दी थी। और अगर ऐसा कुछ था तो उन्हें उसी समय मना करना चाहिए था। उस समय पार्टी के जो सारे सीनियर लीडर हैं, चाहे हमारे महाराज सिंधिया जी हों, मुख्यमंत्री जी हों, प्रदेश अध्यक्ष जी हों, वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय हों या जिले के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत हों और नरोत्तम मिश्रा यह सब लोग चाहते थे इन सब की इच्छा थी कि मुझे भारतीय जनता पार्टी जॉइन करना चाहिए।
सवाल- आपने जब बीजेपी जॉइन की, भूपेंद्र सिंह मौजूद नहीं थे। तब क्या उन्हें बुलाया था? चौबे- मैंने उन्हें स्वयं रात में कॉल लगाया था। क्योंकि मुझे खुद ही रात में 9:00 बजे के लगभग पता चला था कि मुझे भोपाल पहुंचकर पार्टी जॉइन करना है। इसकी जैसे ही मुझे जानकारी लगी मैंने उन्हें फोन लगाया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। दूसरे दिन सुबह मैंने फिर फोन लगाया। मैंने सोचा कि वे शायद भोपाल में हों उस दिन उन्होंने फोन उठाया उनसे बात भी हुई। मैंने उनसे कहा कि मैं जॉइन करने जा रहा हूं आप आ जाओ तो उन्होंने कहा कि मैं तो नहीं आ पाऊंगा। मैंने कहा ठीक है..।
सवाल- आपने वजह नहीं पूछी? उन्होंने ऐसा क्यों कहा था कि मैं नहीं आ पाऊंगा। चौबे- उस समय मैं ज्वाइन करने जा रहा था, उस समय उन्हें जो भी लगा हो। ये मैं नहीं कह सकता।
सवाल- आपकी जॉइनिंग के समय गोविंद राजपूत साथ थे। क्या इस वजह से भूपेंद्र सिंह नाराज हैं? चौबे- मैंने भूपेंद्र भाई को भी लगाया था, अगर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया तो मैं क्या करूं। भार्गव जी को भी लगाया था उनका भी फोन बंद आ रहा था। उनके पीए से बात हुई थी उसने बताया था उनकी तबीयत खराब थी।
सवाल- आपको भाजपा में शामिल हुए इतना समय हो गया है। इस बीच आप और भूपेन्द्र सिंह लोग मिले तो कुछ चर्चा हुई? चौबे- हां मंच पर तो दिखे हैं। दुआ सलाम होती है लेकिन कोई बातचीत नहीं होती।
सवाल- आपको कांग्रेस टिकट देने के लिए तैयार थी फिर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने की वजह क्या थी? चौबे- हम लोगों पर बहुत जुल्म हुए हैं। बिना कुछ किए मेरे ऊपर मेरे बेटे के ऊपर मर्डर का केस लगा दिया। यहां तक कि मेरे ड्राइवर पर भी झूठा केस लगा दिया। मर्डर के केस में 14-15 लोगों को बेकसूर फंसाया गया था।
सवाल- फंसाया किसने था? चौबे- वो तो सब जानते हैं किसने फंसाया था। सबको मालूम है गलत फंसाया। किसने फंसाया, क्यों फंसाया?
सवाल- आपके कांग्रेस छोड़ते वक्त यही कहा गया कि आपके ऊपर फर्जी केस लगाए गए थे, इस वजह से आप बीजेपी में जा रहे हैं क्या यह सच है? चौबे- जनवरी का महीना था। एक प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस जनों के साथ हम लोग ज्ञापन देने जा रहे थे। तो इन लोगों (भूपेन्द्र समर्थकों) ने भी अपनी तैयारी रखी थी। इनका मकसद बड़ा था, उसकी जानकारी हम लोगों को नहीं थी। जैसे ही हम लोग ज्ञापन देने पहुंचने वाले थे तो इन लोगों ने हम लोगों के ऊपर पथराव शुरू कर दिया।
पुलिस ने रोकने का बहुत प्रयास किया। यह लोग पुलिस से भिड़ गए तो पुलिस ने लाठी चार्ज किया। पुलिस ने इतना जबरदस्त लाठी चार्ज किया, उसमें कई लोग घायल हो गए। क्योंकि वही लोग पुलिस के ऊपर पत्थर मार रहे थे। लड़-झगड़ रहे थे।
हम लोग तो सब वहां से निकल गए थे। वे लोग लाठियों से पीटते रहे और 307 का केस हमारे ऊपर लगा। न जाने कौन-कौन सी धारा में 60- 70 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। उस समय मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ कि हमारे जो बड़े पदाधिकारी और सीनियर लीडर्स हैं वह खुरई एक बार आ जाते।
25-50 विधायकों को लेकर आ जाते, अनशन करते, प्रदर्शन होता तो कुछ तो प्रेशर बनता। कोई नहीं आया, सब ने हमें अकेला छोड़ दिया।
307 के केस से 2 साल में निपटे। मैं 18 महीने फरार रहा, मेरे बच्चों पर केस लगा था। हमारा सब कुछ तहस-नहस हो गया। करीब 10 साल हम लोगों ने खून के आंसू बहाए हैं। हमारे परिवार में साथियों ने और कार्यकर्ताओं ने उसके बाद हमारे कार्यकर्ताओं को जबरदस्ती बीजेपी जॉइन करनी पड़ी।
ऐसे मौके पर जब कांग्रेस का कोई नहीं आया तो मुझे बहुत पीड़ा हुई कि जब ये लोग(कांग्रेस नेतृत्व) ऐसे मौके पर साथ खड़े नहीं हुए तो ऐसी पार्टी में रहने का कोई औचित्य नहीं है।
सवाल- 2023 में आपको कांग्रेस टिकट देना चाहती थी, फिर पार्टी क्यों छोड़ी? चौबे- हां कांग्रेस से तो लोकसभा का टिकट तो मेरा फाइनल था, विधानसभा के लिए तो मैं ही मना किया था। लोकसभा का मैंने लिया ही नहीं क्योंकि मैंने बीजेपी जॉइन कर ली थी। अगले दिन लिस्ट आने वाली थी। लोगों ने कहा लिस्ट और आ जाने दो।
मैंने कहा-एक बार टिकट घोषित हो जाएगा तो मैं पीछे भी नहीं हटूंगा। मैं मैदान नहीं छोडूंगा।
सवाल- बीजेपी में आने के बाद संगठन के लोग आपको स्वीकार कर पा रहे हैं? चौबे- मुझे किसी से शिकायत नहीं हैं। सब लोग मुझे चाहते हैं मेरे सबसे अच्छे संबंध रहे। जब मैं विधायक था तो जिले के सारे विधायक और बाकी के लोगों से अच्छे संबंध रहे। कभी हम लोगों ने आपस में यह एहसास नहीं होने दिया कि हम किसी और पार्टी के हैं।
आज अगर हम कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए भी हैं तो बाकी हमें किसी से कोई शिकायत नहीं है, सारे लोग प्रेम करते हैं और सबका मेरे साथ सहयोग है।
सवाल- खुरई महोत्सव हो रहा है उसके पोस्टर्स में मुख्यमंत्री की तस्वीर नहीं है? चौबे- मैं तो अभी खुरई में नहीं निकला। क्योंकि मेरी आंख में दिक्कत थी। लेकिन मैंने देखा था कि पोस्टर में मुख्यमंत्री जी का फोटो नहीं था। और कुछ समाचारों में भी आ रहा था।
सवाल- बड़ोदिया नोनागिर में जो घटना हुई। वो चर्चित मामला था। उस मामले को लेकर आप क्या कहेंगे? चौबे- सबको मालूम है कि एक पक्ष अनुसूचित जाति वर्ग का था और दूसरा पक्ष वहां ठाकुर समाज के लोग थे। ठाकुर परिवार है वह भूपेंद्र सिंह के रिश्तेदार हैं। यह सब को मालूम है। उनमें आपसी कुछ मतभेद हुआ, लोगों ने इकट्ठे होकर एक अहिरवार समाज के लड़के का मर्डर कर दिया।
उसमें ठाकुर परिवार के लोगों का हाथ था। फिर एक दिन और झगड़ा हुआ उसमें वह लड़की जा रही थी, उसका भाई घायल हो गया था। उसे सागर रेफर किया था। सागर से आते वक्त बताते हैं कि उस लड़की को एम्बुलेंस से धक्का दे दिया था, वह गिरी और उसकी मौत हो गई। कुछ लोग जेल में भी है, कुछ लोगों की जमानत भी हो गई है। मामला कोर्ट में हैं।
सवाल- अब आगे आप बीजेपी के संगठन में जाएंगे या निगम मंडल में ? चौबे- अब यह तो ऊपर वाले तय करें। मेरा काम तो फील्ड पर काम करना है, लोगों की मदद करना है और संगठन को मजबूत करना है।
सवाल- दिग्विजय सिंह कई बार कहते थे कि खुरई में बड़ा आतंक का माहौल है, आरोपों में कितनी सच्चाई है? चौबे- यह तो सबको मालूम है और यह हकीकत भी है, मैं कोई अतिशयोक्ति नहीं कर रहा हूं। जो लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं कि मेरी टाइम पर मैंने आतंक फैलाया, अगर मैं आतंक फैलाता था। अगर किसी को इस तरह से चुनाव नहीं लड़ने देता तो 20 साल वहां पर भाजपा का विधायक नहीं जीत पाता।
बीजेपी के धरमू राय वहां से 20 साल जीते और 20-22000 से जीते। उस समय वह रिजर्व सीट थी। लेकिन जब जनरल सीट हुई तो पार्टी ने मुझे टिकट दिया। मैं करीब साढे 17000 वोटों से जीता था। और मेरा चुनाव भूपेंद्र भाई से ही हुआ था। तो पहले इलेक्शन में मैंने इन्हें हराया था उसके बाद में दो चुनाव हारे।
सवाल- उनकी नाराजगी दो लोगों को लेकर है, आपका और गोविंद सिंह राजपूत का वह नाम नहीं। अब दोनों के दल एक हैं, क्या दोनों के दिल मिल पाएंगे?
चौबे- हमारी तरफ से तो कोई दिक्कत नहीं हैं। हमने तो उन पर कभी ज्यादती नहीं की। ना उनके किसी परिवार के व्यक्ति को परेशान किया, ना किसी कार्यकर्ता को परेशान किया। ना भाजपा के कार्यकर्ता को परेशान किया तो हमसे उन्हें क्या शिकायत है?
सवाल- भूपेंद्र सिंह का भी एक बयान आया, जिसमें उन्होंने कहा-उनके भतीजे को जलाकर मारने की कोशिश हुई थी, परिवार के लोगों पर फर्जी मुकदमे लगाए गए थे?
चौबे- यह सब गलत है, वह मुझसे बात करके देखें। मुझे बताएं कौन सा ऐसा भतीजा है, जिसे जलाने की या मारने कोशिश की । इनका जो परिवार वहां रहता है, उनके जो सगे रिश्तेदार हैं मेरे उनके बीच बहुत मधुर संबंध है।
इनसे क्या, उनके रिश्तेदारों से पूछो कि हम लोग एक परिवार की तरह रहे हैं और कभी ऊंच-नीच की बात हम लोगों में नहीं हुई। ना ही कभी उनसे गलत ढंग से बात की है।उनके साथ कभी गलत नहीं किया। ये सब आरोप गलत हैं।
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