इंदौर में साइबर अपराधियों ने फर्जी सिमकार्ड का उपयोग करके ऑनलाइन धोखाधड़ी की। आरोपितों ने ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगाकर सिमकार्ड बेचे और उनकी डुप्लीकेट सिमकार्ड का उपयोग धोखाधड़ी के लिए किया। ठगी का धंधा लाओस से चल रहा था। पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Wed, 15 Jan 2025 09:29:42 AM (IST)
Updated Date: Wed, 15 Jan 2025 09:51:32 AM (IST)
HighLights
- डिजिटल अरेस्ट केस में पुलिस ने तीन आरोपितों को सिवनी से पकड़ा।
- महिला शेयर कारोबारी से 1.60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में शामिल थे।
- आरोपितों ने पुलिस को बताया कि वे किस तरह सिम ठगों तक पहुंचाते थे।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। शेयर कारोबारी वंदना गुप्ता के साथ हुई एक करोड़ 60 लाख रुपये की धोखाधड़ी के तार विदेश से जुड़े हैं। साइबर अपराधियों ने उन्हें लाओस से कॉल लगाया था। पुलिस ने मामले में तीन आरोपितों को पकड़ा है जो फर्जी सिमकार्ड जारी करवाकर थाइलैंड के रास्ते लाओस भिजवाने में शामिल थे।
एक महिला भी इंस्टाग्राम के माध्यम से एजेंट से जुड़ी थी। आरोपित गांवों में कैंप लगाकर सिमकार्ड बेचते थे और उसकी एक डुप्लीकेट सिम अपने पास रखकर उन्हें विदेश भेज देते थे। इन्हीं फर्जी सिमकार्ड का उपयोग ठगी में करते थे।
महिला को किया था डिजिटल अरेस्ट
एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक बिचौली मर्दाना निवासी 59 वर्षीय वंदना को दो महीने पूर्व डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया था। शेयर कारोबार से जुड़ी वंदना को जेट एयरलाइंस के संस्थापक नरेश गोयल केस से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में शामिल होना बताया और सीबीआई, दिल्ली क्राइम ब्रांच, ईडी, आरबीआइ अफसर बनकर तीन दिन तक पूछताछ की।
60 लाख रुपये जमा करवा लिए
आरोपितों ने वंदना से एफडी और बैंक खातों में जमा एक करोड़ 60 लाख रुपये जमा करवा लिए। पुलिस ने इस मामले में अभी तक 13 आरोपितों को पकड़ा है। सोमवार को गौरव तिवारी निवासी कुरई (सिवनी), योगेश पटले निवासी सिवनी और सुजल सूर्यवंशी निवासी सिवनी को पकड़ा।
ग्रामीणों को सस्ते में सिमकार्ड बेचने लगे
गौरव ने पूछताछ में बताया कि वह पूजा-पाठ के साथ निजी कंपनी में सेल्समैन की नौकरी भी करता है। पिछले साल उसने एयरटेल टेलीकाम में पीओएस एजेंट के रूप में काम किया था। उसके साथी योगेश ने फर्जी सिमकार्ड की मांग की और दोनों सिवनी, कुरई व आसपास के गांव में कैंप लगाकर ग्रामीणों को सस्ते सिमकार्ड बेचने लगे।
ई-केवायसी के दौरान आरोपित ग्राहकों को ई-सिमकार्ड तत्काल दे देता था। डी-सिमकार्ड जारी करवाकर स्वयं रख लेता था। इसके बदले उसे 350 रुपये प्रति सिमकार्ड मिलते थे।
आरोपित योगेश पटले
छिंदवाड़ा से बीए कर चुका है योगेश पटले। टेलीकाम कंपनी में प्रमोटर रहा है। उसने साइबर अपराधियों को वॉट्सएप कॉल के लिए फर्जी नंबरों के ओटीपी दिए हैं।
आरोपित गौरव तिवारी
पूजा-पाठ करने का काम करता था। साथ में कैंप लगाकर ग्रामीण क्षेत्रों में सिमकार्ड सप्लाई करने लगा था। आरोपित ने करीब 450 से ज्यादा सिमकार्ड बेचे हैं।
आरोपित सुजल सूर्यवंशी
लाओस में बैठे साइबर अपराधियों के लगातार संपर्क में था। दिखाने के लिए नल फिटिंग का काम करता है। उसकी बहन की ही कैलिस से दोस्ती हुई थी।
इंस्टाग्राम पर युवती की दोस्ती हुई, फिर ठग से शादी कर ली
एडीसीपी के मुताबिक आरोपित ने वंदना को जिस नंबर से वीडियो काल किया वो भी गौरव तिवारी और योगेश पटले ने ही उपलब्ध कराया था। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि सुजल की बहन की इंस्टाग्राम पर कैलिस हैंस से दोस्ती हुई थी। मूलत: फिरोजपुर (पंजाब) निवासी कैलिस ने उससे सिमकार्ड मांगे।
युवती ने सुजल को बताया। उसने कैलिस से 500 रुपये प्रति सिमकार्ड लिए और गौरव से 350 रुपये में सिमकार्ड खरीद लिए। युवती ने कुछ समय बाद कैलिस से प्रेम विवाह कर लिया।
कैलिस ने साइबर अपराधियों को करीब 450 सिमकार्ड सप्लाई किए। उसकी थाइलैंड में ही मुलाकात होती थी। इसके बाद कैलिस भी लाओस चला गया।
फर्जी नंबर से वॉट्सएप चलाते थे साइबर अपराधी
बीए कर चुका योगेश एक टेलीकाम कंपनी में प्रमोटर रहा है। उसकी सिमकार्ड बेचने वालों से दोस्ती है। करीब सात महीने तक उसने साइबर अपराधियों को वॉट्सएप चलाने के लिए सिमकार्ड मुहैया करवाए हैं। योगेश ने करीब 20 नंबरों के ओटीपी गिरोह के सदस्यों को दिए जिनका उपयोग भी वीडियो काल में किया है। वॉट्सएप नंबर ब्लाक होने पर आरोपित तत्काल नए नंबर खरीद लेते थे।
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