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4 दिनों तक पानी की टंकी में फंसा जहरीला कोबरा: वर्करों की कोशिश नाकाम, ऑब्जरवेशन के बाद जंगल में छोड़ा – Indore News

साढ़े तीन फीट लंबा कोबरा सांप 10 फीट गहरी पानी की टंकी में गिर गया। ठंड के मौसम में वह चार दिनों तक पानी के भीतर घूमता रहा। जब टंकी में काम कर रहे मजदूरों ने सांप को देखा, तो उसे बाहर निकालने की कोशिश की। उन्होंने बाल्टी, बांस और जाल का सहारा लिया, ले

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आखिरकार, स्नेक कैचर को बुलाया गया, जिसने काफी मशक्कत के बाद बुधवार को कोबरा का रेस्क्यू किया। रेस्क्यू के दौरान सावधानी बरतनी पड़ी, क्योंकि सांप बेहद फुर्तीला और जहरीला था। कुछ घंटे तक उसे ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया।

जानते है कैसे कोबरा का रेस्क्यू हुआ…

मांगलिया से करीब 12-13 किमी दूर एक निर्माणाधिन फैक्ट्री की टंकी में ये सांप आ गया। सांप टंकी में गिरा है या अंदर से कही से आया ये स्पष्ट नहीं हो सका। चार दिनों से सांप 10 फीट गहरी और 8 फीट चौड़ी पानी की टंकी में था। निर्माण काम के चलते यहां कई वर्कर भी काम कर रहे है और यहीं से पानी का इस्तेमाल भी कर रहे थे। दो दिन पहले जब उन्हें पानी में हलचल दिखी तो वे आश्चर्य में पड़ गए। गौर से देखने पर पता चला कि पानी में सांप है।

वर्करों ने उसे निकालने के लिए बाल्टी, बांस और यहां तक की लकड़ी जाल भी लगाया ताकि सांप पानी की टंकी से बाहर आ सके, लेकिन दो दिन बाद भी सांप बाहर नहीं आया। कोबरा बांस के ऊपर चढ़कर बैठ जाता और कुछ हरकत होने में वापस पानी में उतर जाता। टंकी में करीब 2 फीट से ज्यादा पानी भरा था। कोबरा की स्थिति को देखते हुए मालिक ने स्नेक कैचर महेंद्र श्रीवास्तव को बुलाया।

करीब साढ़े तीन फीट का है कोबरा सांप।

गहरी टंकी में उतारना बना चुनौती, प्लास्टिक पाइप से किया गया रेस्क्यू

स्नेक कैचर महेंद्र श्रीवास्तव जब मौके पर पहुंचे, तो स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण थी। टंकी का ढक्कन मात्र दो फीट का था, जिससे भीतर उतरना जोखिम भरा था। टंकी के अंदर रोशनी का भी कोई इंतजाम नहीं था, और जहरीले कोबरा की मौजूदगी ने खतरा और बढ़ा दिया। पानी में उतरने की कोशिश करने पर पानी में मौजूद कचरा फैल सकता था, जिससे कोबरा को ढूंढना और भी कठिन हो जाता।

टंकी के ढक्कन के पास खड़े होकर सांप को बाहर निकालने की कोशिश भी आसान नहीं थी। ढक्कन छोटा होने के कारण कोबरा को पकड़कर बाहर निकालना बेहद जोखिम भरा हो सकता था। ऐसी स्थिति में महेंद्र ने एक प्लास्टिक पाइप का सहारा लिया। उन्होंने पाइप के आगे सांप पकड़ने वाली स्टिक को बांधा और कोबरा को निकालने की कोशिश शुरू की।

रेस्क्यू के दौरान सांप बार-बार पानी में गिर जाता या स्टिक की पकड़ से छूट जाता। कोबरा की फुर्ती और संकरी जगह में काम करने की चुनौती ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया। करीब 20-25 मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद महेंद्र ने कोबरा को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

बाहर निकलते ही भागने की कोशिश

कोबरा सांप जैसे ही पानी की टंकी से बाहर आया वह भागने का प्रयास करने लगा। इससे वहां मौजूद वर्कर भी डर गए। महेंद्र ने कोबरा को हाथों से पकड़ा। कोबरा को ले जाने के लिए एक थैली में उसे डालने का प्रयास किया। एक बार तो कोबरा उस थैली में चला गया, लेकिन वह थैली से वापस बाहर आ गया और भागने की कोशिश करने लगा। महेंद्र ने उसे दोबारा पकड़ा और थैली में डाल दिया, ताकि वह शांत हो सके। थैली में हवा के लिए कील से छेद भी किए गए।

रेस्क्यू के बाद कुछ घंटे के लिए उसे ऑब्जरवेशन में रखा गया। बाद में उसे जंगल में छोड़ दिया।

रेस्क्यू के बाद कुछ घंटे के लिए उसे ऑब्जरवेशन में रखा गया। बाद में उसे जंगल में छोड़ दिया।

ऑब्जरवेशन के बाद जंगल में छोड़ा गया कोबरा

महेंद्र ने बताया कि रेस्क्यू के बाद कोबरा को सुरक्षित एक थैली में रखा गया। सांप की लंबाई करीब साढ़े तीन फीट थी। कड़ाके की ठंड में तीन से चार दिनों तक पानी की टंकी में रहने के कारण उसकी हालत पर ध्यान देना जरूरी था। कोबरा सांप आमतौर पर पानी में रहना पसंद नहीं करते हैं, और लंबे समय तक ठंडे पानी में रहने से हाइपोथर्मिया का खतरा हो सकता था।

महेंद्र ने सांप को कुछ घंटों तक अपने पास ऑब्जरवेशन में रखा। उसकी हरकतें और शारीरिक स्थिति का ध्यानपूर्वक निरीक्षण किया। जब कोबरा की हालत सामान्य लगी और वह पूरी तरह से स्वस्थ दिखाई दिया, तो उसे बुधवार रात को जंगल में छोड़ दिया गया।

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https%3A%2F%2Fwww.bhaskar.com%2Flocal%2Fmp%2Findore%2Fnews%2Fa-poisonous-cobra-stayed-in-a-water-tank-for-4-days-134302218.html
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