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एमपी फॉरेंसिक लैब में सुस्ती, 29 हजार केस पेंडिंग, अपराधियों को कैसे मिले सजा | MP Forensic Lab 29 thousand cases pending how can the criminals be punished

फॉरेंसिक लैब न्याय व्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन स्टाफ की कमी और पेंडिंग मामलों के कारण इनका प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है। सरकार को लैब के लिए स्टाफ की भर्ती और सैंपल प्रिजर्वेशन के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल सुनिश्चित करना होगा। साथ ही नई लैब और संसाधनों की उपलब्धता से पेंडेंसी को कम किया जा सकता है।

2024 में स्थिति में सुधार के बावजूद लंबा सफर बाकी

साल 2024 में 34,941 केस प्राप्त हुए, जबकि 42,900 मामलों की जांच पूरी की गई। पेंडिंग मामलों में 12 हजार की कमी आई, लेकिन फिर भी 28 हजार से अधिक केस लंबित हैं। सबसे बड़ी समस्या टॉक्सिकोलॉजी (जहर की जांच) से जुड़े 19 हजार मामलों की है।

एफएसएल कैसे करती है काम?

एफएसएल अपराध के सबूतों, जैसे डीएनए सैंपल, वॉयस रिकॉर्डिंग, फिंगरप्रिंट, सिग्नेचर और अन्य साक्ष्यों की जांच करती है। इन रिपोर्ट्स से अपराधियों की पहचान होती है और कोर्ट में अहम सबूत पेश किए जाते हैं।

  1. डीएनए
  2. केमिस्ट्री
  3. टॉक्सिकोलॉजी
  4. फिजिक्स
  5. वॉयस एनालिसिस
  6. बैलेस्टिक्स
  7. बायोलॉजी

एमपी में फॉरेंसिक लैब की स्थिति

प्रदेश में वर्तमान में 7 फॉरेंसिक लैब काम कर रही हैं। सबसे पुरानी सागर स्थित स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब है, जहां सभी प्रकार की जांचें होती हैं। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर की लैब में सीमित जांच सुविधाएं हैं। नवंबर 2024 में जबलपुर में डीएनए और टॉक्सिकोलॉजी जांच शुरू हुई है। जल्द ही रीवा और रतलाम में नई लैब शुरू होगी। उज्जैन, नर्मदापुरम और शहडोल में भी नई लैब खोलने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।

विभाग की चुनौतियां

कर्मचारी संकट : वैज्ञानिकों के 54% और लैब टेक्नीशियन के 60% पद खाली हैं।

सैंपल प्रिजर्वेशन: भारी मात्रा में सैंपल्स को लंबे समय तक सुरक्षित रखना मुश्किल हो रहा है। डीप फ्रीज की कमी से सैंपल खराब होने का खतरा बढ़ रहा है।

मोबाइल वैन की कमी: प्रदेश में 116 मोबाइल साइंटिस्ट वैन की जरूरत है, लेकिन फिलहाल केवल 15 जिलों में ही वैन उपलब्ध हैं।

डीएनए जांच में तेजी, लेकिन पेंडेंसी अब भी बड़ी चुनौती

प्रदेश में हर महीने 3,600 सैंपल्स की जांच हो रही है। इंदौर लैब के प्रभारी अविनाश पुरी के अनुसार, डीएनए जांच में तेजी लाई गई है। वर्तमान में 600 केस पेंडिंग हैं, जिन्हें तीन महीने में खत्म करने का लक्ष्य है।

डीएनए जांच से जुड़े बड़े खुलासे

  1. रेप केस: आरोपी के दांत और नाखून से साक्ष्य जुटाकर सजा दिलाई गई।
  2. अपहरण और हत्या: आरोपी की लार से सजा सुनिश्चित की गई।
  3. हत्या के मामले: घटना स्थल पर मिली पत्तियों से खून के दाग और बाल की जांच से अपराधियों को पकड़ा गया।

डीएनए की जांच के कारण प्रशस्ति पत्र

केस स्टडी 1: डीएनए जांच ने दिलाया न्याय

मामला : एक 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में वैज्ञानिक पद्धति के उपयोग से अपराधी को फांसी की सजा दिलाई गई।
पृष्ठभूमि: बच्ची के हाथ में मिले बालों को डीएनए जांच के लिए भेजा गया। जांच ने स्पष्ट रूप से यह साबित किया कि बाल किसके हैं। संवेदनशीलता को देखते हुए इस मामले की जांच को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। डीएनए मिलान से यह पुष्टि हुई कि बाल अपराधी के थे। वैज्ञानिक सबूत इतने मजबूत थे कि तीन महीने के भीतर न्यायालय ने सजा सुना दी।

परिणाम: साक्ष्य की वैज्ञानिक जांच और प्राथमिकता के आधार पर की गई कार्रवाई के चलते न्याय जल्दी मिला। डीएनए जांच की अहमियत और उसकी सटीकता ने इस केस को जल्दी सुलझाने में मदद की।

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