प्रदेश सरकार वायु और जल प्रदूषण को कम करने के लिए काम कर रही है। सिंहस्थ के पहले व्यवस्थाओं को सुधारने के प्रयास भी जारी हैं। उद्योगों से जुड़े कोर्ट मामलों को विशेषज्ञों से जांच करवाकर समाधान निकाला जाएगा। सरकार का कहना है कि उद्योगों को किसी तरह की
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यह बातें पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी ने शुक्रवार को उद्योगपतियों के साथ संवाद में कहीं। यह कार्यक्रम एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश (AIMP) के सभागार में हुआ। प्रमुख सचिव ने बताया कि इस बैठक का मकसद उद्योगों की समस्याएं समझना और उन्हें हल करना है।
उन्होंने पीथमपुर के 50 उद्योगों की शिकायतों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया। साथ ही विभागीय कामकाज को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम लागू करने की बात कही। कोयले पर प्रतिबंध के मुद्दे पर उन्होंने वैकल्पिक समाधान ढूंढने का आश्वासन दिया।
ईटीपी (गंदे पानी की सफाई) पाइपलाइन की समस्या को हल करने के लिए जिला उद्योग केंद्र और नगर निगम के साथ मिलकर समाधान किया जाएगा।
उद्योगपतियों ने रखी अपनी-अपनी समस्याएं बताई।
उद्योगपतियों ने रखी अपनी समस्याएं
बैठक में उद्योगपतियों ने खुलकर अपनी समस्याएं साझा कीं। एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश मेहता ने कहा कि कई बार छोटे ग्रीन कैटेगरी उद्योगों के आवेदनों को बिना कारण अस्वीकार कर दिया जाता है। कई मामलों में उनकी आईडी भी लॉक कर दी जाती है, जिससे उद्योगों को परेशानी होती है। उन्होंने मांग की कि इन उद्योगों को सुधार का अवसर दिया जाए और उनकी फाइलों का समाधान तेज गति से हो।
रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश मित्तल ने कहा कि कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए। उन्होंने बताया कि यहां की रोलिंग मिलों में विभागीय मानकों के अनुसार बैंक फिल्टर लगाए गए हैं, जिससे प्रदूषण फैलने की संभावना नहीं रहती।
पूर्व अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने विभागीय प्रक्रियाओं को सरल बनाने और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की तर्ज पर ऑनलाइन सिस्टम लागू करने का सुझाव दिया।
कोयले का विकल्प नहीं है सीएनजी
पालदा औद्योगिक क्षेत्र के सुरेश नुहाल ने कोर्ट केस का मुद्दा उठाया और राहत की मांग की। नवीन धूत ने कहा कि प्रदूषण विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करने के बावजूद उनके खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं।
उद्योगपति अजय शर्मा ने सीएनजी की बढ़ती दरों पर चिंता जाहिर की। भुवनेश पांडे और अशोक जैन ने बताया कि उनके उत्पाद ऐसे हैं, जो विश्व में कहीं और नहीं बनते। फाउंड्री में कास्टिंग फर्नेस के लिए कोयले का उपयोग अनिवार्य है, क्योंकि सीएनजी इतनी क्षमता से काम नहीं करता।
उन्होंने कहा कि उनकी यूनिट में सीएनजी कनेक्शन होने के बावजूद उन्हें नोटिस देकर खानापूर्ति की जाती है। यह स्थिति उद्योगों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है।
73 की उम्र में यूनिट चलाएं या कोर्ट के चक्कर लगाएं
बैठक में उद्योगपतियों ने कोर्ट केस और अन्य समस्याओं पर गहरी चिंता जताई। उद्योगपति सुभाष खानवलकर ने कहा कि उनकी उम्र 74 वर्ष है, और उनकी यूनिट के नाम पर कोर्ट का समन जारी हुआ है। उन्हें यह तक नहीं बताया गया कि 2012 में यह केस किस कारण से किया गया था।
बैटरी उद्योग से जुड़े मनीष चौधरी ने कहा कि बैटरी गलाने में कोयले का उपयोग केवल केमिकल के रूप में होता है, जलाने के लिए नहीं। वहीं, अजय दासुंदी ने वायु प्रदूषण की एनओसी की अनिवार्यता पर सवाल उठाते हुए इसे छूट देने की मांग की।
भावना जैन ने बताया कि उनके पिता की उम्र 73 वर्ष है, और उन पर भी कोर्ट केस कर दिया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस उम्र में वे यूनिट चलाएं या कोर्ट के चक्कर लगाएं।
सरल और स्पष्ट भाषा में खबर का संशोधित अंश इस प्रकार है:
चार से पांच गुना बढ़ेगी लागत, जताई चिंता
कन्फेक्शनरी उद्योग के दिनेश चौधरी ने कहा कि छोटी इकाइयों में बायलर बदलने और सीएनजी का उपयोग करने से लागत चार से पांच गुना बढ़ जाएगी। इससे उनके व्यवसाय पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
नमकीन उद्योग के अनुराग बोथरा ने कहा कि एक तरफ सरकार विदेशों में जाकर इंदौर में निवेश के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित कर रही है, तो दूसरी ओर यहां के उद्योगों पर कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
कपिल रामनानी, राजेश चौरडिया, राजेश मूंदड़ा और अनिल खारिया सहित अन्य उद्योगपतियों ने भी विभाग से जुड़ी समस्याएं साझा कीं।
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