राजधानी से सटे एक जिले में हाल ही में सत्ताधारी दल की मीटिंग हुई। इसमें एक मंत्री ने जो कहा, वह चर्चा का विषय बन गया है।
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दो पूर्व मंत्रियों की मौजूदगी में हुई इस बैठक में मंत्री ने कहा- तुमसे दो बातें नहीं पचतीं। खुद के गिरेबान में झांककर देखो कि तुम क्या हो, कार्यालय में जाकर फोन टेप कर लाते हो। कभी किसी कार्यकर्ता का फोन टेप करके बाजार में सुनाते फिरते हो और अपने आप को कार्यकर्ता बोलते हो। शर्म करना चाहिए।’
ये कहकर मंत्री ने किसे निशाने पर लिया, अब इसके अर्थ निकाले जा रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मंच पर मौजूद दो पूर्व मंत्रियों में से तो कोई निशाने पर नहीं था? या कोई और..
बेटे के आड़े आई उम्र, भतीजे को बनवाया अध्यक्ष सालभर पहले अस्तित्व में आए एक जिले में एक पूर्व मंत्री पार्टी की कमान अपने बेटे को दिलाना चाहते थे। लेकिन बेटे की उम्र काफी कम होने के कारण उन्हें भतीजे का नाम आगे बढ़ाना पड़ा। भतीजे को जिले की कमान तो मिल गई लेकिन विरोधी उन्हें माफिया बता रहे हैं।
वहीं, अब पार्टी लीडरशिप से पूछा जा रहा है कि जिसे जिले की कमान सौंपी गई है, उसकी मेंबरशिप को 6 साल भी नहीं हुए हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं कि पार्टी में किसी ओहदे पर नहीं रहे व्यक्ति को मुखिया कैसे बनाया गया?
नए अध्यक्ष के स्वागत के दौरान मारपीट राजधानी के जिले में सत्ताधारी दल के अध्यक्ष के नाम का ऐलान हुआ। इस घोषणा के बाद अध्यक्ष जी पार्टी हेडक्वार्टर गए और तमाम नेताओं से मेल मुलाकात की। यहां नए अध्यक्ष के स्वागत के दौरान नौजवानों की विंग आपस में उलझ गई। विवाद इतना बढ़ा कि एक कार्यकर्ता से नौजवानों ने जमकर मारपीट कर दी।
इस घटना के बाद पीड़ित पक्ष थाने भी पहुंचा। इसकी खबर सीनियर लीडर्स को लगी तो फिर मामले को संभालने की कोशिशें शुरू हुईं। यूथ विंग के जनरल सेक्रेटरी के करीबियों का नाम पीटने वालों में आ रहा है। आपस का मामला बताकर फिलहाल एफआईआर रोकी गई है।
‘युवराज’ की मालवा के एक जिले पर नजर अपने गृह जिले और राजधानी के बाद विरोधी दल के ‘युवराज’ की अब मालवा के एक जिले पर नजर है। इस जिले में उनकी सक्रियता बढ़ी है। पार्टी ने वैसे तो उन्हें इस जिले का प्रभारी बनाया है। लेकिन अंदरखाने खबर है कि पार्टी की लोकल लीडरशिप में होने वाली नियुक्तियों से लेकर पार्लियामेंट्री कंस्टीट्यूएंसी में शामिल जिलों के मुखिया भी युवराज के करीबी बनाए गए हैं।
चर्चा है कि अब ‘राजा’ के चुनावी राजनीति से तौबा करने का मन बनाने के बाद युवराज इस इलाके से इलेक्शन की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक पत्ते नहीं खोले गए हैं।
चप्पलमार अध्यक्ष का केस वापस लेने की तैयारी वनवासी राम की नगरी की नगर परिषद अध्यक्ष पर दर्ज क्रिमिनल केस वापस लेने की तैयारी चल रही है। पिछले साल 17 जनवरी 2023 को देर रात अवैध खनन रोकने गई पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम पर हमला करने के मामले में नगर परिषद अध्यक्ष पर केस दर्ज हुआ था।
महिला अध्यक्ष पर पुलिस के जवानों को चप्पलों से पीटने के आरोप हैं। सुना है कि इस मामले में राज्य स्तर से जिले के अधिकारियों से अभिमत मांगा गया है।
राजा साहब बोले- मामा पर मूवी बनाओ पिछले दिनों ‘राजा’ ने ट्राइबल लीडर्स पर बनी एक मूवी के प्रीमियर शो का आयोजन किया था। इसमें उन्होंने अपने दल के नेताओं के साथ ही सत्ताधारी पार्टी के लीडर्स को भी बुलाया था। लेकिन सत्ताधारी दल के नेता नहीं आए। हां, उनकी पार्टी में मुखालफत करने वाले यंग लीडर पहुंचे थे।
‘राजा’ ने यंग लीडर से कहा- अब टंट्या मामा पर मूवी बननी चाहिए और इसकी जिम्मेदारी आपको लेनी चाहिए। लीडर ने हामी भर दी। लेकिन बाद में कहा कि टंट्या मामा के कारण फिरंगी भागते फिरे थे। मैं फिल्म बनवाउंगा तो बहुत सारे लोगों को भागना न पड़ जाए।
मंत्री जी ने पूरे ससुराल पक्ष को दे दी वॉर्निंग टेक्निकल ट्रेनिंग से जुड़े डिपार्टमेंट के मंत्री जी के इलाके में सामूहिक विवाह सम्मेलन हुआ। इसमें मंत्री जी ने मंच से ही नव वधुओं के पति, सास और ससुराल के लोगों को वॉर्निंग दे दी।
मंत्री ने कहा- नव वधुओं के पति और सास इस बात का ध्यान रखें कि अगर इन बेटियों को तकलीफ हुई और इनकी शिकायतें आईं तो आप लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा।
सौरभ के गोल्ड जिन्न से दहशत में नामदार ठीक एक महीने पहले राजधानी के मेंडोरी से एक इनोवा कार में मिले 54 किलो गोल्ड और 11 करोड़ रुपए कैश के मामले में एक-एक कर उधड़ रही परतें बड़े और असरदार नामों को प्रभावित कर रही है। अब इसकी लिंक मेडिकल सेंटर्स और पंजीयन कार्यालय से भी जुड़ने लगी हैं।
ईडी ने जिस तरह से कैंसर के क्षेत्र में नामी अस्पताल को बेनकाब किया है, उसके बाद अब कई रिटायर्ड और वर्तमान आईएएस और आईपीएस के बीच भी खलबली मची है। स्थिति यह है कि सौरभ के काले कारनामों में शामिल होने वाले इन असरदारों में भय बना हुआ है कि जाने कब उनके नाम सामने आ जाएं।
और अंत में..
अमला नहीं, संचालनालय घोषित कर दिया सरकार ने हाल ही में प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर संचालित जिला अभियोजन कार्यालय को जिला अभियोजन संचालनालय घोषित कर दिया है। दो दिन पहले जारी आदेश पर अब इस विभाग के अफसर ही चुटकी ले रहे हैं।
अफसरों का कहना है कि दफ्तर में स्टाफ और अधिकारियों की पूर्ति हो नहीं पा रही है और सरकार ने संसाधनों की कमी से जूझ रहे जिला कार्यालयों को डायरेक्टोरेट घोषित कर दिया है।
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