29 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन
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आगरा की श्रद्धा मिश्रा ने सिंगिंग रियलिटी शो ‘सा रे गा मा पा’ का टाइटल जीत लिया। इसके साथ ही उन्होंने ट्रॉफी के साथ 10 लाख रूपए का इनाम भी मिला है।
दैनिक भास्कर से खास बातचीत में श्रद्धा ने बताया कि वह इस राशि से अपने पिता के पैरों का इलाज करवाना चाहती हैं। इसके अलावा, उनका सपना एक म्यूजिक स्टूडियो बनाने का भी है। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
जब आपने इस शो में हिस्सा लिया, तो क्या आपको लगा था कि आप मंच पर खड़े होकर यह ट्रॉफी अपने नाम कर लेंगी?
नहीं, बिल्कुल भी नहीं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस मंच पर खड़ी होकर विजेता बनूंगी। यहां तक कि सपने में भी ये ख्याल नहीं आया था कि मैं जीत पाउंगी। मुझे लगा था कि मैं बस अपना बेस्ट दूंगी, जितना आता है उतना करूंगी। लेकिन जब मैंने खुद को विनर के रूप में देखा, तो वो पल मेरे लिए अविश्वसनीय था। आज भी यकीन नहीं हो रहा है कि ट्रॉफी मेरे पास है और मैं इस टाइटल को जीत चुकी हूं।
आपके पहले ऑडिशन का वो पल कैसा था? क्या उस वक्त कोई यादगार किस्सा हुआ हो, जो आज भी आपको याद हो?
पहला ऑडिशन… वो पल मेरे लिए बहुत ही खास था, लेकिन मैं बहुत डरी हुई थी। इतने बड़े-बड़े दिग्गजों के सामने खड़े होकर गाना आसान नहीं था। सचिन-जिगर सर, सचेत-परंपरा, गुरु सर जैसे लोग मेरे सामने थे। नर्वस होना स्वाभाविक था। लेकिन मैंने सोचा कि जैसा मैं गाती हूं, वैसे ही गाउंगी। कुछ अलग करने की कोशिश नहीं की।
मुझे याद है, जब मैंने अपना परफॉर्मेंस दिया, तो सचेत सर ने मुझे एक गिटार गिफ्ट किया, जिस पर उन्होंने ‘बेखयाली’ कम्पोज किया था। ये मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।
इस लंबे सफर में कौन सा ऐसा खास पल था जिसने आपके दिल को छू लिया?
इस सफर में कई पल ऐसे थे जो मेरे दिल के करीब हैं। लेकिन विनिंग मोमेंट तो हमेशा याद रहेगा। इसके अलावा, जब मैंने गुरु सर के साथ मंच शेयर किया और उनका गाना गाया, वो पल भी मेरे लिए बेहद खास था।
गुरु रंधावा सर ने मुझे इतना कॉन्फिडेंस दिया कि उस वक्त मुझे किसी बात का डर ही नहीं था। और हां, एक और पल जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती, वो था जब जिगर सर ने टीवी पर घोषणा की कि मुझे यूके में परफॉर्म करने का मौका मिलेगा। उस पल मुझे लगा कि मेरी मेहनत रंग लाई है।
आपकी संगीत की जड़ें कहां से शुरू हुईं? क्या बचपन से ही संगीत का रुझान था?
मेरी संगीत की शुरुआत बचपन में हुई थी। मेरी पैदाइश आगरा में हुई, और वहीं मेरी स्कूलिंग भी हुई। मेरी दादी ने मुझे भजन सिखाया। स्कूल में मैंने पहली बार भजन गाया था, और मेरी टीचर ने मम्मी से कहा कि इस बच्ची को म्यूजिक सिखाना चाहिए।
धीरे-धीरे मैंने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया। सांतवीं क्लास में मैंने तय किया कि संगीत ही मेरी जिंदगी बनेगा। फिर मैं मुंबई आ गई। यहां अकेले ढाई साल तक रही, और इसके बाद मम्मी-पापा भी मुंबई आ गए। मेरा पहला प्लेबैक गाना संदेश शांडिल्य सर के साथ था। मैंने फिल्म ‘शिकारा’ में गाया, जो फिल्मफेयर में नॉमिनेट हुआ था।
इस जीत से जो इनाम राशि मिली है, उसका क्या कोई खास प्लान है?
सच बताऊ तो मुझे नहीं पता था कि कोई इनाम राशि भी मिलेगी। मैं सिर्फ ट्रॉफी पर फोकस कर रही थी। लेकिन अब जब राशि मिली है, तो मैंने तय किया है कि इसे पापा को दूंगी। वो इसे सही तरीके से इन्वेस्ट करेंगे।
मेरा एक सपना है कि मैं अपना खुद का म्यूजिक स्टूडियो बनाऊ । एक ऐसा स्पेस जहां मैं म्यूजिक क्रिएट कर सकूं, कम्पोज कर सकूं और खुद को पूरी तरह म्यूजिक के जरिए एक्सप्रेस कर सकूं।
आपके माता-पिता का कोई सपना जिसे आप पूरा करना चाहेंगी?
मेरे पापा का एक पैर कई सालों से ठीक नहीं है। वो चलने में दिक्कत महसूस करते हैं। मेरा सपना है कि मैं उनके इलाज में मदद करूं। मैं चाहती हूं कि उनका पैर पूरी तरह ठीक हो और वो पहले की तरह चल सकें।
बॉलीवुड में वो कौन से कलाकार या संगीतकार हैं जिनके साथ काम करना आपका सपना है?
अरिजीत सिंह मेरे सबसे बड़े फेवरेट हैं। मैं एक बार उनसे मिली थी, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। उनका म्यूजिक मेरे दिल के बहुत करीब है।
साथ ही, मैं ए.आर. रहमान सर के साथ काम करना चाहती हूं। अगर मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला, तो वो मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा अचीवमेंट होगा।
अगर आपको किसी एक्ट्रेस के लिए गाने का मौका मिले, तो वह कौन होंगी?
आलिया भट्ट। मैं उनकी बहुत बड़ी फैन हूं। उनकी एनर्जी और टैलेंट मुझे बहुत इंस्पायर करता है। उनके लिए गाना गाने का मौका मिलना मेरे लिए बहुत खास होगा।
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2025-01-19 01:30:00
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