भोपाल के रविन्द्र भवन में क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित जिजामाता सम्मान समारोह में सीएम मोहन यादव ने कहा कि जब बेटा मैडल लेने वाला होता है तब मां के मन में क्या चल रहा होता है। मां को ये चिंता होती है कि बेटे को चोट न लग जाए। तो मां उस वक्त खेल देखने के बजाय जब बेटा जीत जाता है उस वक्त टीवी देखती है। ये मां की आत्म होती है। क्रीडा भारती के माध्यम से खेल की संक्रांति को सामने लाने का प्रयास सराहनीय है। कार्यक्रम के दौरान संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा भोपाल में क्रीड़ा भारती ने यह आयोजन करके यहां के लोगों को मौका दिया। खिलाड़ियों की माताओं का सम्मान किया है। खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं और पदक मिलता है तो हम सबको अच्छा लगता है। उनसे परिचय नहीं लेकिन खुद को गर्व महसूस होता है। तो हम अपनी कॉलर ऊपर करके घूमते हैं। ऐसे लोगों के पीछे जिन्होंने त्याग और परिश्रम किया खिलाड़ियों के पीछे जिन्होंने सबल दिया उनकी भी उतनी ही भूमिका है। क्रीडा भारती ने जिजामाता की तरह प्रयास किया। जिजामाता कुशल प्रशासक थीं। जब महिला गर्भवती होती है। तब तरह-तरह की इच्छा होती है। लेकिन जिजामाता ने कहा मुझे कोमल संगीत नहीं बल्कि जंगल में शेर पर बैठकर शिकार करने की इच्छा है। जब जिजामाता ने ऐसे विचार रखे तो उनके बेटे शिवाजी ने विशाल हिंदवी स्वराज्य का साम्राज्य स्थापित किया। दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कुछ ही खेलों का आगे बढ़ना हितकारी नहीं। सभी प्रकार के खेलों को आगे बढ़ना चाहिए। खो-खो का प्रथम वर्ल्ड कप भारत में हो रहा है। जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की प्रतियोगिता में भारत के नंबर नीचे होने पर दुख होता था। आज भारत के नंबर ऊपर हैं। भारतीय खेलों को आगे बढ़ाने के लिए क्रीड़ा भारती ने जिजामाता के नाम से सम्मान करने का निर्णय किया। इसके लिए क्रीड़ा भारती साधुवाद का पात्र है। बेटा कभी गड़बड़ हो सकता है लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती। आज नौजवानों में कई प्रकार की गलत आदतें बढ़ रही हैं। नशा, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, हिम्मत हारना, आत्महत्या करना ये युवाओं के अंदर क्यों हो रहा है। अच्छे संस्कार देना ये सरकार का अकेले काम नहीं परिवार के अंदर संस्कार देना चाहिए। इसके लिए खिलाड़ियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। समाज में दो प्रकार के लोग होते है। एक पदक लाकर देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ी, दूसरे हैं राष्ट्र की सीमा की रक्षा करने वाले सैनिक। इनकी कोई भाषा जाती नहीं होती। सैनिक सिर्फ देश का होता है। वो किसी क्षेत्र गांव से आए लोग उसके माता पिता का सम्मान करते है । उसी प्रकार खिलाड़ी किस प्रांत से है लेकिन उसकी पहचान होती है भारत का खिलाड़ी। वो जब जीतता है तो भारत का झंडा उठाता है। कार्यक्रम में केंद्रीय खेल मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया, खेल मंत्री विश्वास सारंग और मंत्री चैतन्य काश्यप मौजूद भी मौजूद रहे। देशभर के नामी खिलाड़ियों की माताओं को किया गया सम्मानित सरोज चोपड़ा – जैवलिन थ्रो ओलंपिक गोल्ड विजेता नीरज चोपड़ा की मां उषा श्रीजेश – हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश की मां का सम्मान कमला देवी – इटारसी निवासी हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर की मां श्वेता लेखरा – पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर अवनि लखेरा की मां मोनी देवी – ओलिंपिक बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन की मां गौरी करमाकर – ओलंपिक में भारत की पहली महिला जिम्नास्ट दीपिका करमाकर की मां
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