महिला ने ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत की है।
इंदौर की एक महिला ससुराल में 5 साल तक प्रताड़ना सहती रही। शादी के अगले दिन सास ने चरित्र पर सवाल उठाए। पहली बार प्रेग्नेंट हुई तो इतना प्रताड़ित किया गया कि मिसकैरेज हो गया। ससुराल में छोटी-छोटी बातों पर उसकी पिटाई की गई।
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लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के चलते दूसरी बार कोख में ही बेटी की सांसें रुक गईं। तब भी पति और सास-ससुर की प्रताड़ना नहीं थमी। वे कहने लगे कि मृत बच्ची का डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए।
तीसरी बार में पीड़िता ने एक बच्ची को जन्म दिया तो देवर के साथ मायके भेज दिया गया। देवर महिला को अकेला छोड़कर रास्ते से ही लौट गया। इन सबके बावजूद महिला मासूम बेटी के साथ पति और सास-ससुर का रुख बदलने का इंतजार करती रही।
लंबा समय बीत गया तो पीड़िता ने इंदौर जिला कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई। मामले में सुनवाई करते हुए 18 जनवरी को कोर्ट ने घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज कर लिया है। महिला और बाल विकास विभाग से भी जांच रिपोर्ट तलब की है। साथ ही इंदौर के बाणगंगा थाने में भी FIR के निर्देश दिए हैं। पढ़िए, पूरी रिपोर्ट…
इंदौर जिला कोर्ट ने सुनवाई के बाद केस दर्ज कर लिया है।
5 साल पहले भोपाल में हुई थी शादी पीड़िता के वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे के मुताबिक इंदौर की बाणगंगा निवासी संगीता (परिवर्तित नाम) की शादी 12 दिसंबर 2019 को भोपाल के एक युवक से हुई थी। शादी के अगले दिन ही उसकी सास ने वर्जिनिटी को लेकर सवाल उठाए थे। इसके बाद से लगातार छोटी-छोटी बातों को लेकर तानाकशी की जाने लगी। उसके साथ कई बार मारपीट की गई। दहेज में 2 लाख दहेज रुपए मांगे गए। इस बीच पहली बार पीड़िता प्रेग्नेंट हुई। महिला का आरोप है कि लगातार प्रताड़ना के चलते उसका मिसकेरेज हो गया। जब दूसरी बार प्रेग्नेंट हुई तो 9 माह पूरे होने पर जांच कराई। जिसमें बच्चे की धड़कन बंद मिली। प्रेग्नेंसी के 9 माह 9 दिन बाद ऑपरेशन से मृत बच्ची का जन्म हुआ। तब ससुराल वालों ने चरित्र शंका करते हुए कहा कि बच्ची मृत पैदा हुई है, ऐसे में इसका डीएनए टेस्ट कराना चाहिए।
आरोप- नाली में घसीटा, गन्ने से भी पीटा पीड़िता ने बताया कि उस पर अत्याचार का दौर यही नहीं थमा। एक बार होली पर रंग लगाने की बात पर मारपीट करते हुए उसे नाली में घसीटा गया। देवउठनी ग्यारस पर भी उसकी पिटाई की गई। उसे गन्ने से इतना पीटा गया कि एक के बाद एक चार गन्ने टूट गए। इस बीच पीड़िता फिर प्रेग्नेंट हुई। उसने एक बेटी को जन्म दिया। तब भी ससुराल वालों ने कहा कि वंश चलाने वाला बेटा पैदा नहीं किया। वे रोज ताने मारने लगे। यह सब चल ही रहा था कि 4 अप्रैल 2024 को देवर को उसे बच्ची के साथ मायके छोड़ने भेज दिया गया। वह भी घर तक नहीं गया। उसने बाणगंगा में सुबह 4 बजे अकेला छोड़ दिया और वही से भोपाल लौट गया। तब से पीड़िता और बच्ची की ससुराल वालों ने कोई पूछपरख नहीं की।
महिला बाल विकास विभाग ने सौंपी रिपोर्ट इंदौर जिला न्यायालय ने पीड़िता की याचिका पर महिला एवं बाल विकास विभाग से जांच प्रतिवेदन तलब किया था। संरक्षण अधिकारी ने गोपनीय जांच प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत किया है। पति, ससुर, सास और देवर पर घरेलू हिंसाओं से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है। प्रथम दृष्टया घरेलू हिंसा का आधार प्रकट होने पर नोटिस जारी किया गया है। बाणगंगा थाने में शिकायत दर्ज कर ली गई है।
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