दिल्ली में एमपी एटीएस (आतंक निरोधी दस्ता) की कार्रवाई के दौरान गुरुग्राम के सोहना में सात जनवरी को होटल की तीसरी मंजिल से गिरने से युवक हिमांशु की मौत हो गई। इस मामले में एटीएस पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन यह कार्रवाई जिस मामले की कड़ी में की गई थी वह 30
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इसी सात तारीख को एटीएस और साइबर सेल की टीमों ने सतना और जबलपुर से एक दर्जन से अधिक युवकों को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और सबूतों की जांच के बीच एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा हुआ है जो देश भर में साइबर फ्राड की सबसे बड़ी जरुरत बन चुके फर्जी खातों, हवाला और टेरर फंडिंग का बड़ा खेल खेल रहा था। करीब तीन महीने लंबी जांच और 18 गिरफ्तारियों के बाद फर्स्ट लेयर के इंवेस्टीगेशन में ही जो खुलासे हुए हैं वह चौंकाने वाले हैं।
इस घोटाले के केंद्र बिंदु हैं सतना के दो भाई जिन्होंने गिरोह बनाकर अपने कस्बे से लेकर प्रदेश और देश भर के युवाओं को गिरोह में जोड़ा और तीन साल में दो हजार से अधिक फर्जी खाते खुलवा डाले। कुछ ही समय में अलग–अलग गिरोहों का यह गठजोड़ इतना बड़ा हो गया कि दूसरे देशों में बैठे बड़े साइबर और हवाला अपराधियों के साथ भी इनके संपर्क हो गए। अब तक की जांच में इनके खुलवाए फर्जी खातों से 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक के ट्रांजेक्शन का पता चला है। इससे न केवल साइबर ठगी के रुपए गायब किए गए, बल्कि इन रुपयों का उपयोग मौज-मस्ती से लेकर अलग–अलग अपराधों में किया गया।
एमपी एटीएस (एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड) और स्टेट साइबर सेल पिछले तीन महीनों से अधिक समय से फर्जी खाते खोलने, साइबर फ्राॅड के रुपयों को घुमाने और हवाला करने वाले गिरोह की गतिविधियों को ट्रेस कर रही थी।
दैनिक भास्कर ने कार्रवाई से लेकर जांच की अलग–अलग स्तर पर पड़ताल की तो इस गिरोह के काम करने के तरीके से लेकर काम के बड़े स्तर के बारे में कई खुलासे हुए..।
ATS का दावा है कि इसी OYO होटल की तीसरी मंजिल से कूदने से हिमांशु की मौत हुई है।
एक खुराफाती आइडिया …बूस्टर शुरुआत
दैनिक भास्कर ने मामले की पड़ताल की तो पिछले तीन सालों में हुए अपराध की कहानी परत दर परत खुलती गई। कहानी की शुरुआत 2021 की शुरुआत से होती है। सतना से छोटे से कस्बे नजीराबाद के निवासी 24 साल के अंकित कुशवाहा की बी.काॅम. की पढ़ाई लाॅकडाउन के चलते रुकी हुई थी। वह दिन भर मोबाइल पर सर्फिंग किया करता। इस दौरान गेमिंग और सट्टेबाजी के एप में हाथ आजमाने लगा। तेज दिमाग के अंकित को कुछ ही समय में समझ आ गया कि इन्हें खेलने वाले आखिर में ठगाते ही हैं।
अंकित के दिमाग में आया कि इन्हें खेलने के बजाय खिलवाने वाला बना जाए। उसने गेमिंग और सट्टेबाजी कराने वाली कंपनियों के संपर्क तलाशे। कुछ ही दिनों बाद पता चला कि एक महादेव सट्टा एप को चलाने वाले दिल्ली में लड़कों को एक ट्रेनिंग देने वाले हैं (जी हां, यह वही महादेव सट्टा एप है जिसका खुलासा होने पर 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई का खुलासा हुआ। देश भर में हलचल मच गई, अब ईडी इसकी जांच कर रही है) अंकित ने अपने चचेरे भाई अनुराग को साथ लिया और दिल्ली जाकर महादेव सट्टा एप की 10 दिन की ट्रेनिंग ली।
इसके बाद दोनों वापस आ गए लेकिन कुछ समय बाद अंकित फिर जबलपुर गया और वहां भी ट्रेनिंग ली। इसी बीच दोनों भाई युवाओं को भी अपने साथ जोड़ने में लगे थे। एक खुराफाती विचार के जमीन पर उतरने की यह बूस्टर शुरुआत थी।
दर्जन भर से ज्यादा को बनाया अपना एजेंट
मामले की जांच से जुड़ी साइबर निरीक्षक नीलेश अहिरवार बताती हैं कि आरोपियाें ने पहले कुछ अकाउंट खोले और इन्हें पांच–पांच हजार में बेच दिया। हाथों–हाथ रुपए आ गए। इसके बाद इन्होंने कस्बे के ही कुछ युवाओं को इस काम पर लगा दिया। जैसे ही हाथ बढ़े अकाउंट तेजी से खुलने लगे।
ये युवा सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ग्रामीणों के अकाउंट खुलवाते थे। गांवों में शिविर की तरह लोगों को जोड़कर एक–एक बार में दर्जनों अकाउंट खोले। सरकारी योजना का लाभ मिलने की बात सुनकर ग्रामीण दस्तावेज दे देते, जिससे खुलने वाले अकाउंट को यह थोक के भाव में गुड़गांव, दिल्ली से लेकर झारखंड, बिहार में बैठे आपराधिक गिरोहों को बेचकर लाखों रुपए बना रहे थे। कुछ ही समय में वेल आर्गनाइज सेटअप बन गया जिसके तहत एजेंटों से खाते खुलवाने, फर्जी सिम लाने जैसे काम कराए जाते बल्कि इसके लिए टारगेट दिए जाते।
ठेले वाले काे बना डाला फ्रूट सेलर फर्म का मालिक, खोल डाला खाता
कुछ ही समय में खातों की मांग भी बढ़ने लगी तो कीमत भी बढ़ती गई। बाद में तो सेविंग अकाउंट 20 हजार, करंट अकाउंट 50 तो एक करोड़ तक के ट्रांजेक्शन की सुविधा देने वाले कार्पोरेट अकाउंट एक लाख तक में बिकते। तेजी से रुपए कमाने के लिए इन युवाओं ने बैंक के कुछ कर्मचारियों से सेटिंग की और ज्यादा ट्रांजेक्शन की सीमा वाले करंट और कार्पोरेट अकाउंट भी तेजी से खोले। जांच से जुड़े अधिकारी बताते हैं, करंट, कार्पोरेट अकाउंट खोलने के लिए भी व्यक्ति वही छोटा–मोटा काम करने वाले होते, यह ठेले वाले को एक दुकान में खड़ा कर फ्रूट सेलर फर्म दिखाते, कागज तैयार करते और उसके नाम से बिजनेस अकाउंट खुलवा लेते। इस तरह एक मामूली फल या सब्जी वाला बिजनेस का मालिक होता और उसे पता भी नहीं चलता कि उसका बिजनेस अकाउंट करोड़ों की हेराफेरी के लिए अपराधी गिराेहों के पास पहुंच चुका है।
कई राज्यों में फैलाया नेटवर्क
सतना के नजीराबाद से जबलपुर और दिल्ली के युवाओं का गिरोह देश भर के साइबर अपराधियों के साथ जुड़ता जा रहा था। 2023 तक कारोबार इतना फैल चुका था कि छत्तीसगढ़, झारखंड बिहार से होते हुए उड़ीसा, तेलंगाना और बंगाल तो दूसरी ओर गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा से लेकर उत्तरप्रदेश तक फैल चुका था। तकनीक के जमाने पर सभी ओर से साइबर अपराध हो रहे थे तो एक राज्य के खाते दूसरे राज्यों तो दूसरे के खाते पहले राज्य में पुलिस की जांच को चकरघिन्नी करने के लिए घुमाए जा रहे थे। इन खातों से न केवल अपराध बल्कि हवाला की रकम भी घुमाई और गायब की जा रही थी। गिरोह ने अलग–अलग गिरोहाें से मिलकर 3 साल में इन युवाओं ने सतना से जबलपुर होते हुए प्रयागराज, गुड़गांव में फर्जी खाते खुलवाने के लिए सेंटर खोले।
रईसों जैसी जिंदगी जीने लगे
मामले में कार्रवाई को अंजाम देने वाली टीम की हेड जबलपुर साइबर सेल की निरीक्षक नीलेश बताती हैं कि अपराध की दुनिया से रुपए आने शुरू हुए तो युवक जुड़ते गए। कमाई बढ़ने से इनकी लाइफ स्टाइल बदलने लगी।
विदेश भी गए, ब्लैक रुपए व्हाइट करने का आरोप
जांच से जुड़े अधिकारी बताते हैं, आरोपी युवक न केवल दिल्ली, मुंबई से लेकर झारखंड, बिहार तक चक्कर काट रहे थे बल्कि कमाई बढ़ने पर यह दुबई भी गए। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं इन यात्राओं में ब्लैक मनी ठिकाने तो नहीं लगाया गया। एसीपी खरया बताती हैं, विदेश यात्राओं के रिकार्ड की जांच की जा रही है यह सैकेंड लेयर के इंवेस्टिगेशन में शामिल है।
ऋषभ, शाहनवाज और अमितेश कुंडे फरार
पूरे मामले को लीड करने वाली सायबर पुलिस अधीक्षक जबलपुर रश्मि खरया बताती हैं, इस मामले में अब तक 18 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। पूरे गिरोह में कुशवाहा भाईयों के अलावा मुरादाबाद के 30 वर्षीय ऋषभ त्यागी की भूमिका महत्वपूर्ण थी। वह गुडगांव के सेंटर का काम संभालता था। 18 गिरफ्तारियों के बावजूद गिरोह के दो बड़े नाम अंकित का भाई अनुराग कुशवाह और ऋषभ त्यागी हैं। वहीं जबलपुर में अपराध की दुनिया में भी सामने आ चुके अमितेश कुंडे की भी तलाश साइबर सेल और आतंक निराेधी एजेंसी कर रही है।
ये हुए अब तक गिरफ्तार
–अनुराग कुशवाहा, पिता रमाकांत कुशवाहा खैरमाई रोड सतना
– अंजर हुसैन पिता असलम हुसैन निवासी नजीराबाद, सतना
– शशांक अग्रवाल पिता दिलीप अग्रवाल गौशाला चौक, सतना
– अमित निगम पिता कृष्ण कुमार निगम, मुख्तयारगंज सतना
– स्नेहिल गर्ग पिता प्रीतम गर्ग गौशाला चौक, सतना
– सगील अख्तर पिता मोहम्मद सरीफ अख्तर, निवासी नजीराबाद सतना
– सुमित शिवानी पिता श्रीचंद शिवानी पंजाबी मोहल्ला सतना
– रितिक श्रीवास पिता सुनील कुमार श्रीवास, मांडवा बस्ती जबलपुर
– अमित कुशवाहा पिता संजय कुशवाहा मुख्यतायरगंज, सतना
– संदीप चतुर्वेदी पिता विष्णु चतुर्वेदी पन्ना नाका सतना
– मेंदनीपाल चतुर्वेदी पिता सुदामा प्रसाद चतुर्वेदी ज्ञानगंगा कालोनी मैहर
– नितिन कुशवाहा पिता रमेश कुशवाहा,मुख्तयारगंज सतना
– मोहम्मद मासूक उर्फ मसूद पिता मोहम्मद हनीफ निवासी कामता टोला सतना
– चंचल विश्वकर्मा पिता राम विश्वास विश्वकर्मा टिकुरिया टोला सतना
– नीरज यादव पिता सदन यादव निवासी कराई पटना बिहार
– रामनाथ कुमार पिता सुनेन्द्र सिंह निवासी सहरसा बिहार
– गोविंद कुमार पिता नंद किशोर सिंह निवासी सहरसा बिहार
– साजिद खान पिता जाहिद खान नजीराबाद सतना
अभी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं
साइबर पुलिस अधीक्षक रश्मि खरया बताती हैं कि सात जनवरी को सतना, जबलपुर और हैदराबाद में छापा मारकर आधा दर्जन से अधिक युवाओं को हिरासत में लिया। इसके बाद लगातार कार्रवाई करते हुए 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
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