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मध्य प्रदेश में हर दिन दुष्कर्म की 15, अपहरण व बंधक बनाने की 31 और छेड़छाड़ की 20 घटनाएं

मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। पिछले वर्ष में दुष्कर्म, अपहरण और छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ी हैं। पुलिस की सुस्ती और कमजोर खुफिया तंत्र के कारण अपराधियों में पुलिस का डर नहीं है। महिला सुरक्षा के लिए विशेष नीतियों और अभियानों की आवश्यकता है।

By shashi tiwari

Publish Date: Wed, 22 Jan 2025 01:31:32 PM (IST)

Updated Date: Wed, 22 Jan 2025 01:54:46 PM (IST)

सामूहिक दुष्कर्म के मामले भी 200 से ज्यादा। प्रतीकात्मक तस्वीर

HighLights

  1. हर साल बढ़ रहे हैं बच्चियों और महिलाओं के अपहरण के मामले।
  2. सुस्त पुलिसिंग, न पर्याप्त संसाधन हैं, न ही कोई मजबूत रणनीति।
  3. 2024 में महिलाओं के विरुद्ध प्रदेश में 31 हजार से अधिक घटनाएं।

शशिकांत तिवारी, नईदुनिया, भोपाल(Crime Against Women in MP)। मध्य प्रदेश की आधी आबादी यानी बालिकाओं और महिलाओं को घर से बाहर निकलते ही डर सताने लगता है। यह भय है- अपहरण, दुष्कर्म, दुष्कर्म के प्रयास और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं का।

बीते वर्ष 2024 के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में हर दिन दुष्कर्म की 15, अपहरण व बंधक बनाने की 31 और छेड़छाड़ की 20 घटनाएं हुईं। नारी सशक्तीकरण के दावे बहुत हो रहे हैं, नियम-कानून बन रहे हैं।

डराते हैं ये आंकड़े

जनप्रतिनिधि मंच से अपराध घटने और बेटियों को आगे बढ़ाने की बात करते हैं, पर ये आंकड़े डराते भी हैं चेताते भी। महिलाओं और बालिकाओं को डराती हैं ऐसी घटनाएं, जो वे हर दिन देख यह सुन रही हैं।

बंधक बनाने के 10 हजार से ज्यादा केस

लगभग साढ़े आठ करोड़ की जनसंख्या वाले मध्य प्रदेश में बीते वर्ष नवंबर तक बालिकाओं और महिलाओं के अपहरण और बंधक बनाने के 10 हजार 400 मामले सामने आए। यानी हर दिन 31 घटनाएं हो रही हैं।

कहने को तो घटना से एक महिला प्रभावित होती, पर सच्चाई यह है कि पूरा परिवार और हर वह महिला भयग्रस्त हो जाती है, जिसे घटना के बारे में पता लगता है। वर्ष 2022 से 2024 के बीच अपहरण और बंधक बनाने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं।

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दुष्कर्म की घटनाएं 5 हजार से ऊपर

ये तो सिर्फ अपहरण और बंधक बनाने के आंकड़े हैं। दुष्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ते हुए वर्ष 2024 में पांच हजार से ऊपर पहुंच गईं। सामूहिक दुष्कर्म के मामले भले ही पिछले वर्षों की तुलना में घटे हैं पर घटनाएं 200 से अधिक हैं।

सरकार, समाज, जनप्रतिनिधि, पुलिस संबंधित विभागों को विशेष नीतियों और अभियानों के माध्यम से महिला सुरक्षा में आ रही चुनौतियां से निपटना होगा, नहीं तो दावे सिर्फ दावे रह जाएंगे।

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महिला सुरक्षा में चुनौतियां

  • थाना स्तर पर सुनवाई ही नहीं : महिला सुरक्षा के मामले में पुलिस को जिस संवेदनशीलता से काम करना चाहिए वह नहीं दिखता। प्रदेश में कई ऐसे उदाहरण हैं कि पीड़िता की थाने में सुनवाई नहीं हुई। इसी माह गुना में एक दुष्कर्म पीड़िता की सुनवाई तीन माह तक नहीं हुई तो वह आरोपितों के नाम की तख्ती गले में लटकाकर थाने पहुंची।
  • कमजोर खुफिया तंत्र : महिला सुरक्षा के मामले पुलिस का खुफिया तंत्र कमजोर साबित हुआ है। सीधी में पिछले वर्ष वायस चेंजर एप महिला की आवाज में बात कर आरोपित ने सात लड़कियों से दुष्कर्म किया, पर पुलिस को भनक नहीं लगी।
  • पुलिस ही नहीं तो सुरक्षा कौन करे : प्रदेश में पुलिस के एक लाख 25 हजार स्वीकृत बल में से एक लाख ही पदस्थ जो आवश्यकता से बहुत कम हैं। इसके ऊपर दूसरी बात यह कि पहले की तरह पुलिस अब सड़क पर दिखती ही नहीं।
  • अपराधियों में पुलिस का डर ही नहीं : भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों में पुलिस के सामने छेड़छाड़ की घटनाएं हो चुकी हैं। रोकने पर स्वजन के साथ मारपीट की गई, पर पुलिस ने मामूली घटना मान लिया। यही कारण है अपराधियों के मन में पुलिस का डर नहीं है। दिसंबर 2024 में भोपाल के ईंटखेड़ी में छेड़छाड़ से तंग नाबालिग ने खुदकुशी कर ली।
  • महिला पुलिस पर ही भरोसा नहीं : प्रदेश में कुल पुलिस बल में लगभग छह प्रतिशत ही महिलाएं हैं। उन्हें भी फील्ड पोस्टिंग जैसे थाना, चौकी आदि जगह पदस्थ करने की जगह लाइन या आफिस में लगाया गया है।

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