बुधवार को मौनी अमावस्या पर 144 वर्षों के बाद एक विशेष कुंभ योग बन रहा है। इस दौरान मकर राशि में सूर्य-चंद्र और वृष राशि में गुरु की स्थिति से यह दुर्लभ योग बन रहा है। प्रयागराज के संगम तीर्थ पर इस अवसर पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है।
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ज्योतिष मठ संस्थान के संचालक पंडित विनोद गौतम के अनुसार, मौनी अमावस्या को कलयुगादि तिथि माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। जो श्रद्धालु गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते, वे घर पर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कर सकते हैं।
इस दिन देव-पितृ कार्यों के लिए स्नान, दान और भोजन का विशेष विधान है। तिल, तेल, गर्म ऊनी वस्त्र और अन्य वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पण करने से अनेक जन्मों के पाप नष्ट होने का विश्वास है। इस वर्ष मौनी अमावस्या पर श्राद्ध अमावस्या का योग भी बन रहा है, जो इस दिन को और भी विशेष बना रहा है।
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