इंदौर संभाग में चार प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर एक हजार से अधिक अतिक्रमण चिह्नित किए गए हैं। यह खुलासा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा किए गए एआई-ड्रोन सर्वे में हुआ है। अतिक्रमणों को हटाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर हवाई सर्वे किया गया है।
By Kapil Niley
Publish Date: Mon, 03 Feb 2025 09:10:56 AM (IST)
Updated Date: Mon, 03 Feb 2025 09:23:25 AM (IST)
HighLights
- इंदौर-देवास एनएच 52 के 45 किमी लंबे हिस्से पर 47 अतिक्रमण मिले।
- एनएचएआई इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए प्रशासन का सहयोग लेगा।
- एनएच 52 और एनएच 47 जैसे प्रमुख मार्गों पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण मिले।
कपिल नीले, नईदुनिया, इंदौर। राष्ट्रीय राजमार्ग के अंतर्गत सड़क निर्माण के दौरान बाधक व अतिक्रमण की पहचान करने को लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) अत्याधुनिक तकनीक की मदद ले रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ड्रोन पर आधारित प्रणाली का सहारा लिया जा रहा है। इंदौर संभाग के 360 किलोमीटर में आने वाले चार प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों का सर्वे किया गया है, जिसमें एक हजार से अधिक अतिक्रमण चिह्नित किए गए है।
बाधकों की सूची से भौतिक सत्यापन कर हटा दिया
खास बात यह है कि एआई ड्रोन ने सरकारी विभाग की कुछ भवनों को भी अतिक्रमण में चिह्नित किया था। हालांकि एनएचएआई ने इन भवन को बाधकों की सूची से भौतिक सत्यापन करने के बाद हटा दिया।
अवैध अतिक्रमण सामने आए
एनएचएआई ने देशभर के राजमार्गों के अतिक्रमण व बाधकों की पहचान के लिए नई व्यवस्था लागू कर रखी है, जिसमें इंदौर संभाग के चार प्रमुख राजमार्ग भी सामिल है। अधिकारियों के मुताबिक, इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर हवाई सर्वे किया गया, जिसमें एनएच 52 और एनएच 47 जैसे प्रमुख मार्गों पर बड़ी संख्या में अवैध अतिक्रमण सामने आए है।
इंदौर-देवास एनएच 52 के 45 किमी लंबे हिस्से पर 47 अतिक्रमण मिले। वहीं, इंदौर-गुजरात एनएच 47 पर 155 किमी में 448 अतिक्रमण और इंदौर-खलघाट और खलघाट-महाराष्ट्र एनएच 52 के 82 किमी क्षेत्र में 480 अतिक्रमण है।
ड्रोन बनाते है वीडियो
अगस्त से नवंबर 2024 के बीच ड्रोन सर्वे किया गया। एक कार में सवार ऑपरेटर हाइवे के साथ-साथ चलता है और ऊंचाई पर पहुंचने के बाद ड्रोन से हाइवे की तस्वीरें और वीडियो बनाए जाते है। ड्रोन की हाई-डेफिनिशन कैमरा तकनीक अतिक्रमणों की पहचान करती है।
इन अतिक्रमणों में स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार की संरचनाएं शामिल होती हैं। इसमें सड़क किनारे खड़े ट्रक, निर्माण सामग्री, अस्थायी दुकानें और अन्य रुकावटें शामिल हैं। बाद में इन तस्वीरों और वीडियों को एआई टूर में अपलोड किया जाता है, जो बाधक और अतिक्रमण की पहचान करता है। डेटा मिलने के बाद भौतिक सर्वे भी किया जाता है।
हटाए जाएंगे अतिक्रमण
ड्रोन सर्वे से मिले डाटा के आधार पर अब एनएचएआई इन अतिक्रमण को हटाने की तैयारी में जुट गया है। इसके लिए संबंधित जिल प्रशासन का सहयोग लिया जाएगा। मगर उसके पहले एनएचएआई और जिला प्रशासन मिलकर अतिक्रमण व बाधकों का भौतिक सर्वे करेगा। कार्रवाई से पहले लोगों से आपत्तियां भी बुलाएंगे। उसके बाद बाधकों को हटाया जाएगा। ताकि विरोध को रोका जा सके।
बदलेगी तस्वीर
नई तकनीक ने न केवल एनएचएआई के काम को तेज और आसान किया है, बल्कि कार्य में भी सटीकता आई है। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सड़क निर्माण कार्य बिना किसी रुकावट के पूरा हो सके। एनएचएआई ने इस व्यवस्था से भविष्य में हाईवे प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता आएगा। इसके साथ ही समयावधि में कार्य संपन्न हो सकेंगे।
अंतिम सर्वे भी होगा
कई प्रोजेक्ट में ड्रोन सर्वे का इस्तेमाल किया है। हवाई सर्वे से मिले डेटा की पुष्टि के बाद वास्तविक अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया करेंगे। वैसे ड्रोन तकनीक से सटीकता बढ़ी है। चार प्रमुख राजमार्ग में कुछ ऐसे भी बाधक को चिह्नित किया है, जो अस्थायी है। सर्वे में सड़क किनारें खड़े ट्रक या अन्य अस्थायी वस्तुएं भी अतिक्रमण के रूप में चिह्नित किया है, इसलिए इनका अंतिम सत्यापन किया जाएगा। भौतिक सर्वे की रिपोर्ट आना बाकी है। – सुमेश बांझल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई
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