विदिशा की ऐतिहासिक रामलीला में रविवार रात को कुंभकरण और अतिकाय वध की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान राम और रावण की सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ, जिसका अंत भगवान श्रीराम द्वारा दोनों राक्षसों के वध के साथ हुआ। मंचन के बाद 25 फीट ऊंचे कुंभकरण के पुत
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कथानक के अनुसार, जब रावण के प्रमुख योद्धा मारे गए, तब उसने अपने भाई कुंभकरण को जगाया, जो ब्रह्मा जी के वरदान से छह महीने तक सोता था। जब कुंभकरण को सीता हरण की बात पता चली, तो उसने रावण को फटकारते हुए कहा कि जगत जननी का अपहरण करना उचित नहीं था और श्रीराम साक्षात नारायण के अवतार हैं। फिर भी, अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वह युद्ध में उतरा और अंततः श्रीराम के हाथों वीरगति को प्राप्त हुआ।
मंचन के बाद 25 फीट ऊंचे कुंभकरण के पुतले का दहन किया गया।
चलित प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध है रामलीला
आयोजकों ने बताया कि, 124 वर्षों से चली आ रही विदिशा की यह रामलीला अपनी अनूठी चलित प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध है। इसमें कलाकार एक स्थान पर स्थिर नहीं रहते, बल्कि पूरे मैदान में घूम-घूमकर लीलाओं का मंचन करते हैं, जो इसे अन्य रामलीलाओं से विशेष बनाता है। युद्ध के दृश्य के दौरान पूरा रामलीला परिसर भक्तिमय माहौल में ‘जय श्री राम’ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
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