निर्माण कार्यों और सीवरेज के कामों के चलते शहर में चारों तरफ खुदाई चल रही है। कहीं पानी की पाइपलाइन, तो कहीं गैस की लाइन बिछाई जा रही है। साथ ही फोरलेन निर्माण कार्य भी जारी है। इन खुदाई कार्यों के चलते सड़कों पर अन्य विभागों द्वारा हुए पुराने कार्यों
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पिछले एक माह में सड़क खुदाई में 8 जगह पीएचई की पाइपलाइन फूटी है, जिसके चलते कई वार्डों में जलप्रदाय रुका ओर प्रत्येक जगह 50 हजार से एक लाख रुपए तक का नुकसान भी हुआ है। इस नुकसान से बचने के लिए भारत सरकार ने कॉल बिफोर यू डिग (सीबीयूडी) मोबाइल एप्लिकेशन लांच की है।
इसे लेकर दिसंबर माह में वर्कशॉप स्मार्ट सिटी ने रखी थी। इसमें प्रत्येक विभाग और निर्माण एजेंसी से सदस्य आए थे। अफसरों व ठेकेदार-इंजीनियर ने एप के बारे में सीखने के बाद भी अब तक एक ने भी इस एप में रजिस्ट्रेशन नहीं किया। मामले में विभागों के जिम्मेदारों ने बताया कि एप के माध्यम से कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा। वहीं एप का संचालन कर रहे अधिकारी ने कहा- वर्कशॉप में कलेक्टर, स्मार्ट सिटी सीईओ और न ही निगम कमिश्नर ने रुचि ली। ऐसे में हमारे बताने के बाद भी एप पर किसी ने रजिस्ट्रेशन नहीं किया।
जिम्मेदार बोले- एप पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहे, प्रयास किया
पीएचई, स्मार्ट सिटी, एमपीईबी व अन्य विभागों से बात करने पर अधिकारियों ने कहा कि हमने प्रयास किए लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा। जबकि एप प्रशिक्षक ने कहा कि एप पर अपनी जानकारी डालने के बाद ओटीपी आएगी, उसी से रजिस्ट्रेशन हो जाता है व लॉगइन करने पर विभाग को जहां वे खुदाई कर रहे हैं, उसकी लोकेशन डालना होगी, ताकि अन्य विभाग देख पाए कि वहां उनका कोई पुराना निर्माण तो नहीं और अगर है तो फिर निर्माण कर रही वर्तमान विभाग को बता देंगे, ताकि वह खुदाई से पहले ध्यान रखें। एप पर रजिस्ट्रेशन तो हो रहा है। कई शहरों में विभाग का रजिस्ट्रेशन है और हो रहा है।
दिसंबर में रजिस्ट्रेशन करना भी सिखाया: 21 दिसंबर को स्मार्ट सिटी सीईओ संदीप शिवा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में एमपीईबी, पीडब्ल्यूडी, पीएचई, ऊर्जा, शहरी विकास, बीएसएनएल, नगर निगम, स्मार्ट सिटी जैसे सभी संबंधित विभागों एवं अन्य निजी कंपनी के जिम्मेदार मौजूद रहे। यहां एप के बारे में जानकारी देने के साथ ही रजिस्ट्रेशन करना बताया था, ताकि आय, समय और संपत्ति का नुकसान न हो।
इसलिए जरूरी है सीबीयूडी एप
सीबीयूडी एप का उपयोग शहर में विकास कार्यों के चलते खुदाई और तुड़ाई से ही शुरुआत होती है। खुदाई और निर्माण का काम कई विभाग देखते हैं। ऐसे में एक ही सड़क पर एक से ज्यादा विभाग काम कर रहे हैं और विभाग अपने निर्माण के चक्कर में पुराने निर्माण को ध्यान में न रखते हुए सड़क को खोद रहे हैं। इससे शासन-विभागों की आय, समय व संपत्ति का नुकसान होता है। साथ ही इससे दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। इस एप के माध्यम से खुदाई एजेंसियों, ठेकेदारों को मौजूदा उपयोगिता संपत्तियों के मालिकों को उनके आगामी खुदाई मार्ग के बारे में सचेत, सूचित करने के लिए एक इंटरफेस देता है।
अब कह रहे रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा
प्रदेश के कई जिलों में प्रशिक्षण दे रहे हैं, उज्जैन में भी दिया है। लेकिन यहां कलेक्टर, स्मार्ट सिटी सीईओ, निगम कमिश्नर किसी ने भी कोई रुचि नहीं ली। बस सूचना दी गई और वर्कशॉप में 8 से 10 लोग पहुंचे। उन्हें जानकारी भी दी लेकिन किसी विभाग का कोई आईटी कर्मचारी नहीं था व न किसी की विभाग ने कोई रुचि। अगर वे रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे तो एक बार फिर उन्हें प्रशिक्षण दे देंगे। -नीलेशकुमार वर्मा, एप प्रशिक्षक स्मार्ट सिटी में सीबीयूडी एप का वर्कशॉप रखा था। रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो हो सकता है विभागों ने किसी कारण नहीं करवाया होगा। एप को लेकर कुछ नियम, शर्तें थी। और शायद कुछ चार्जेस भी थे। इस बारे में एक बार दिखवाना होगा। -संदीप शिवा, सीईओ स्मार्ट सिटी
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