परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की काली कमाई उजागर होने के बाद विभाग के अफसर व कर्मचारी इन दिनों सुस्त हैं। परिवहन अमला पिछले 6 माह से यात्री बसों की जांच के लिए नहीं निकला है। इस वजह से बस ऑपरेटर बिना फिटनेस व बिना परमिट के यात्री बसों का सं
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इस दौरान 100 बसों की फोटो ली। इसके बाद खुद के स्तर पर ऑनलाइन माध्यम से बसों के रजिस्ट्रेशन नंबर जांचें तो पता चला कि इनमें से 10% से ज्यादा ऐसी बस हैं जो बिना परमिट व फिटनेस के दौड़ रही हैं। ऐसी बसों में सफर करने वाले यात्री यदि दुर्घटना का शिकार होते हैं तो बीमा कंपनी से उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिलेगी। बिना फिटनेस के चलने वाली बसों में यात्रियों को मौत का सफर बस ऑपरेटर करा रहे हैं। यह सब परिवहन विभाग के अफसर व बस ऑपरेटर्स की मिलीभगत से हो रहा है।
5 दिसंबर 2024 को इस बस का फिटनेस खत्म हो चुका है, परमिट का पता नहीं। रूट-ग्वालियर से डबरा, इंदरगढ़, आलमपुर-दबोह-समथर
अनदेखी… एक साल से परमिट जारी करने वाले अफसर ही नहीं
संभागीय उप-परिवहन आयुक्त की नियुक्ति नहीं ग्वालियर-चंबल संभाग के 8 जिलों में 1335 बस अलग-अलग रूट पर चल रही हैं। एक साल से ज्यादा समय से परिवहन विभाग ने संभागीय उप-परिवहन आयुक्त ही नियुक्ति नहीं किया है। उक्त अफसर ही रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) के अध्यक्ष होते हैं। आरटीए में ही बसों के परमिट के मामले जाते हैं। दोनों संभागों में संभागीय उप-परिवहन आयुक्त नहीं है। इससे स्थायी व अस्थायी परमिट जारी नहीं हो रहे।
कलेक्टर के निर्देश पर स्कूली वाहनों की जांच सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भी अनफिट बसों में यात्री व स्कूली बच्चों का परिवहन किया जा रहा था। इस तरह की शिकायत कलेक्टर रुचिका चौहान को मिली थी। जिसके बाद परिवहन अमले ने शिवपुरी लिंक रोड स्थित सेंट जोसेफ स्कूल की बसों की जांच की। इस दौरान 3 बस बिना फिटनेस व व एक बस बिना परमिट के पकड़ी गई। अनफिट बसों के मामले में 9 हजार रुपए का जुर्माना वसूल किया गया।
अवैध रूप से चलने वाली बसों को जब्त करेंगे बिना परमिट व फिटनेस के चलने वाली बसों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। अनफिट बसों पर लगाम लगाने के लिए जल्द ही विभाग अभियान चलाएंगे। -विक्रमजीत सिंह कंग, आरटीओ
एक्सपर्ट व्यू – अशोक निगम, रिटायर्ड आरटीओ
फिटनेस व परमिट नहीं होने पर दुर्घटना हुई तो यात्रियों को बीमा नहीं मिलता जिन यात्री बसों का बीमा, परमिट व फिटनेस नहीं हैं और वह दुर्घटना का शिकार होती है। साथ ही यात्रियों के साथ कैजुअल्टी होती है तो यात्रियों को बीमा कंपनी आर्थिक क्षतिपूर्ति नहीं करती। परिवहन विभाग को चाहिए कि बिना परमिट व फिटनेस के जो भी यात्री बस चल रही हैं, उन पर परिवहन एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। बिना परमिट के बस मिलने पर चार गुना तक जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। जबकि बिना फिटनेस की बसों पर 5 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
समाधान यह… अवैध रूप से चलने वाले ट्रक, यात्री बस व स्कूल बसों की मॉनीटरिंग ऑनलाइन हो सके इसके लिए कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की स्थापना भोपाल में परिवहन विभाग ने की है। विभाग के अफसर चाहें तो इस सेंटर के माध्यम से बिना परमिट व फिटनेस चल रहीं बसों को तुरंत पकड़ सकते हैं, क्योंकि ऐसी बस को ऑनलाइन ट्रेस करना आसान है।
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