रामगंज मंडी से भोपाल के बीच रेलवे लाइन के लिए ग्राम सुल्तानपुर, पोस्ट मोया, तहसील व जिला राजगढ़ (ब्यावरा) की जमीन 2010 में अधिग्रहित की गई थी। रेलवे ने एक अधिसूचना भी जारी की थी, जिसमें प्रावधान था कि जिस परिवार की भूमि अधिग्रहित की गई है, उसमें से एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी। प्रभावितों ने 28 फरवरी 2014 को नौकरी के लिए रेलवे को आवेदन भी किया था। लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
दोबारा दिया था आवेदन
इसी बीच 1 मार्च 2017 को जमीन अधिग्रहण का मुआवजे के आदेश के अनुसार उन्होंने इसकी राशि भी ले ली। लेकिन नौकरी की अर्जी पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने 18 अप्रैल 2023 को दोबारा आवेदन दिया। लेकिन रेलवे ने इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। इस दौरान रेलवे की ओर से कोर्ट में इसका विरोध हुआ था।
रेलवे की ओर से तर्क दिया गया था कि पहले ही ये शर्त तय थी कि आवेदन स्वीकार करने के बाद उनकी जांच की जाएगी और पात्रों को इसके बारे में सूचित किया जाएगा। चूंकी याचिकाकर्ताओं के आवेदन सही नहीं पाए गए, इसलिए उन्हें सूचित नहीं किया गया।
पांच याचिकाएं दायर
इस मामले में कोर्ट में पांच याचिकाएं दायर हुई थी। इसमें रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक (भूमि और सुविधा), जनरल मैनेजर पश्चिम मध्य रेलवे, डीआरएम कोटा को भी पार्टी बनाया गया था।
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