श्योपुर जिले के सोइंकला में हो रहे पांच दिवसीय वैदिक सत्संग के चौथे दिन आचार्या निकिता आर्य ने भजन के माध्यम से महर्षि दयानंद के जीवन और उपदेशों पर प्रकाश डाला।
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उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद ने अपने विचारों और त्याग से संसार का महान उपकार किया। विरोधियों के कई बार जहर दिए जाने के बावजूद, स्वामी जी ने न केवल उसे हंसते हुए स्वीकार किया, बल्कि जहर देने वालों को भी क्षमा कर दिया। यह उनके महान चरित्र और उदारता का प्रमाण है।
आचार्या बोली- किसी भी निर्माण से पहले खंडन जरूरी
आचार्या ने दार्शनिक बिंदु रखते हुए कहा कि किसी भी निर्माण से पहले खंडन आवश्यक है। किसी विचार या वस्तु को बेहतर रूप देने के लिए पहले उसका खंडन और फिर मंडन आवश्यक है।
सत्संग का मुख्य संदेश मूर्ति पूजा के संदर्भ में था, जहां उन्होंने मानव निर्मित मूर्तियों के बजाय प्रकृति में भगवान की निर्मित प्राकृतिक स्वरूपों की पूजा पर बल दिया।
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