पीड़ित ने फाइल गायब होने की शिकायत पार्षद, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगम आयुक्त से की है। पूर्व में हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े(Indore Fake Bill Scam) के बाद ऑडिट शाखा पर लगाम लगाने लिए महापौर ने सख्ती करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद भी कोई असर नहीं हो रहा।
दुकान का पैसा मिलने की अनुशंसा हुई फिर…
पीड़ित मनोज गौर के मुताबिक, उन्होंने वर्ष 2002 में ज्योतिबा फुले मार्केट (नन्दलाल पूरा) में दुकान ली थी। इसके बदले 70 हजार रुपए चुकाए। कुछ समय बाद यह मार्केट तोड़ दिया गया और नए मार्केट को बनाने की योजना बन गई। नगर निगम(Indore NagarNigam) के मार्केट विभाग से मांग की थी कि यहां दुकान के बदले दुकान मिल जाए, लेकिन दुकान नहीं मिली। बाद में निगम ने कहा कि दुकान के लिए जो पैसा जमा किया था उसमें से किराया काटकर वापस किया जाएगा। इसके बाद भी वर्षों तक पैसा नहीं मिला।
फर्जी बिल कांड में भी अफसरों का मिला था ‘खेल’
मालूम हो, निगम में ड्रेनेज विभाग से संबंधित करोड़ों रुपए का फर्जी बिल घोटाला(Indore Fake Bill Scam) सामने आया था। इसमें ऑडिट शाखा से कर्मचारी-अधिकारियों की भूमिका सामने आई थी। एमजी रोड थाना पुलिस ने ऑडिटर सहित अन्य लोगों पर केस दर्ज कर गिरफ्तार किया था। आयुक्त ने वित्त विभाग को चिट्ठी लिखकर व्यवस्था बदलने के निर्देश दिए थे। कई महीनों के बाद भी हालत नहीं बदले हैं।
अफसरों का गैर जिम्मेदार रवैया
मामले(Indore Fake Bill Scam) की जानकारी लेने के लिए ऑडिट शाखा के सीनियर ऑडिटर सोनी को कॉल किए, लेकिन जवाब नही दिया। महिला अधिकारी खुशबू यादव ने कहा, दफ्तर के समय के बाद किसी के कॉल रिसीव नहीं करती, आप क्यूं इस समय कॉल कर रहे हैं। मेरा भी घर परिवार है। मैं दफ्तर में जाकर ही बता पाऊंगी। अभी मुझे कुछ ध्यान नहीं है। मैंने फाइल की जानकारी उनके (पीड़ित) सामने ही उन्हें दी थी। अब वह फोन लगवा रहे हैं।
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