जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के गृह जिले में उनके ही विभागीय अफसर के खिलाफ जांच बैठ गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने खंडवा के सहायक आयुक्त पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। शिकायत पर कलेक्टर ने 3 सदस्यीय कमेटी बना दी हैं। जो लगाए गए आरोपों की जांच
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खंडवा में जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त विवेक पांडेय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। मामले में आदिवासी विकास परिषद के जिला संगठन ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार से शिकायत की थी। जिन पर जांच और कार्रवाई के लिए उमंग सिंगार ने खंडवा कलेक्टर को पत्र लिखा था। मामले की जांच के लिए कलेक्टर के वास्ते संयुक्त कलेक्टर ने कमेटी बनाई है। बतौर अध्यक्ष खंडवा एसडीएम सहित दो सदस्यों में ईई पीडब्ल्यूडी और ट्रेजरी ऑफिसर को रखा गया है।
सहायक आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार के यह आरोप लगाए
1. आवासीय विद्यालय में फर्जी फर्म के माध्यम से सामग्री क्रय की गई। करीब 10 स्कूलों में सीसीटीवी (एलईडी) की सप्लाई भोपाल के फर्म से क्रय की है। कलेक्टर की आपत्ति के बावजूद संबंधित फर्म को भुगतान कर दिया गया।
मूल कीमत से अधिक राशि के बिल संस्था में लगाए गए हैं। मामला सामने आया तो सहायक आयुक्त ने फाइल को गायब कर दी। उस फाइल पर क्रय समिति द्वारा भुगतान को निरस्त करने के लिए सिफारिश की गई है। अपर कलेक्टर अंशु जावला ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी।
2. कन्या शिक्षा परिसर रजूर, सदलपुर व जामनी गुर्जर में अपूर्ण भवनों को आधिपत्य में ले लिया गया हैं। जबकि तीनों भवनों में करीब 3-3 करोड़ रूपए का काम अपूर्ण हैं। भवन के निर्माण भी गुणवत्ताहीन है। लेने-देन के आधार पर भवन आधिपत्य में ले लिया गया हैं। मामले में आयुक्त आदिवासी विभाग को गलत जानकारी भेजी गई।
3. सहायक ग्रेड-3 मीना पुंडगे को बिना सीपीसीटी परीक्षा के नौकरी पर रखा गया है। कोष एवं लेखा के आपत्ति के बावजूद उन्हें पद से हटाया नहीं गया। माध्यमिक शिक्षक राजेंद्र बामने पर शराब तस्करी का केस है, वह दो महीने जेल में रहा। सहायक आयुक्त ने उन्हें निलंबित नहीं किया। लेन-देन कर छात्रावास का प्रभार सौंप दिया।
4. साल 2021-22 एवं 2022-23 में करीब 150 शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों से रोड किनारे के स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया। आयुक्त आदिवासी विकास के आदेश के बावजूद आज दिनांक तक उन्हें मूल शाला में कार्यरत नहीं किया।
5. 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग महिलाओं को कन्या छात्रावास का प्रभार सौंपा गया हैं। जबकि शासन के निर्देश अनुसार दिव्यांग या असक्षम व्यक्ति को छात्रावास की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाना चाहिए।
6. वरिष्ठ शिक्षक एवं प्रधान पाठकों को उनकी मूल संस्था से सामुदायिक विकासखंड खंडवा, पुनासा में अधीक्षक पद पर कार्य कराया जा रहा है। अशोक कलम प्रधानपाठक सुंदरदेव (खालवा) से पुनासा, संजय वानखेड़े प्रधानपाठक भगावा (खालवा) से खंडवा अधीक्षक बनाया गया है।
7. अनुसूचित जाति बालक छात्रावासों में सामग्री क्रय में लाखों रुपयों का भ्रष्टाचार किया गया है। करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य इनके कार्यकाल में कराए गए है। जिनकी छत बरसात के पानी टपक रही है, प्लास्टर उखड़ रहा हैं।
8. विवेक पांडेय के पास पिछड़ा वर्ग विभाग का अतिरिक्त प्रभार है। इनके द्वारा पिछड़ा वर्ग छात्रावासों में कलेक्टर के बिना प्रतिनियुक्ति के अधीक्षकों नियुक्ति की गई है। जो अधीक्षकों की शिकायत जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद भी उन्हें बिना प्रतिनियुक्ति के अन्य विभाग में अधीक्षक बना दिया गया है।
कलेक्टर ने जांच आदेश को टीएल प्रकरण में दर्ज किया
खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने इस जांच आदेश को टीएल प्रकरण में दर्ज किया है। जांच होने तक टीएल बैठक में इस मामले की समीक्षा की जाएगी। जांच दल से पूछा जाएगा कि स्थिति क्या है। इधर, कमेटी अध्यक्ष एसडीएम बजरंग बहादुर ने बताया कि वे गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट जाएंगे, लौटने पर जांच करेंगे। ईई पीडब्ल्यूडी ह्रदेय आर्य छुट्टी पर है। ट्रेजरी ऑफिसर आरएस गवली ने बताया कि उन्हें एक दिन पहले ही आदेश की कॉपी मिली है।
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