वॉशिंगटन9 घंटे पहलेलेखक: संजय झा/लक्ष्मीकांत राय
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20 जनवरी को राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रम्प अप्रवासी, टैरिफ समेत कई मुद्दों पर अहम फैसले ले चुके हैं।
तारीख 25 नवंबर
जगह- मार-ए-लागो, फ्लोरिडा राष्ट्रपति चुनाव में जीत के महज 20 दिन बाद ही ट्रम्प ने ऐलान किया कि वो शपथ लेते ही कनाडा-मेक्सिको पर 25% और चीन पर 10% टैरिफ लगाएंगे। ट्रम्प के इस ऐलान भर से ही इन देशों की करेंसी में गिरावट आ गई थी।
20 जनवरी को शपथ लेने के बाद ट्रम्प ने ऐसा ही किया। उन्होंने इसके लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किए। हालांकि, ट्रम्प ने शर्तों को मानने के बाद कनाडा और मेक्सिको पर लगे टैरिफ को 30 दिनों के लिए टाल दिया। चीन पर 4 फरवरी से टैरिफ लागू हो गया है।
ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल में भी टैरिफ को लेकर काफी आक्रामक हैं। वे इसका इस्तेमाल दूसरे देशों से अपनी शर्तों को मनवाने के लिए कर रहे हैं। ट्रम्प की टैरिफ धमकी वाले देशों में भारत, ब्राजील और यूरोपीय यूनियन भी शामिल हैं।
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20 जनवरी को पद संभालने के बाद ट्रम्प ने टैरिफ लगाने से जुड़ा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया था।
इस स्टोरी में जानेंगे क्या है टैरिफ जिसे लेकर दुनिया के देश परेशान हैं और ट्रम्प इसे लेकर इतने आक्रामक क्यों हैं। अगर भारत पर टैरिफ लगा तो इसका क्या असर होगा…. आसान शब्दों में कहें तो टैरिफ दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाने वाला टैक्स है। यह टैक्स आयात करने वाली कंपनी पर लगाया जाता है।
जैसे कोई अमेरिकी कंपनी भारत को 10 लाख रुपए की कार भेज रही है। भारत ने उस पर 25% का टैरिफ लगा रखा है तो उस कंपनी को हर कार पर भारत सरकार को 2.25 लाख रुपए का टैक्स देना होगा। यानी कि भारत में आकर वह कार 12.25 लाख की हो जाएगी।
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टैरिफ पर ट्रम्प इतने आक्रामक क्यों हैं? ट्रम्प के टैरिफ को लेकर आक्रामक होने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका का व्यापार घाटा कम करना है। अमेरिकी कंपनियों की भलाई और दुनियाभर के देशों से व्यापार असंतुलन को ठीक करने के लिए ट्रम्प यह कदम उठा रहे हैं।
2023 में अमेरिका को चीन से 30.2%, मेक्सिको से 19% और कनाडा से 14.5% व्यापार घाटा हुआ। कुल मिलाकर ये तीनों देश 2023 में अमेरिका के 670 अरब डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपए के व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि ट्रम्प ने सबसे पहले इन्हीं देशों पर टैरिफ लगाया।
टैरिफ लगाने के फायदे क्या हैं? दरअसल, टैरिफ से दो फायदे होते हैं। पहला, इससे सरकार को रेवेन्यू मिलता है। दूसरा देशी कंपनियां, विदेशी कंपनियों का मुकाबला कर पाती हैं। उदाहरण के तौर पर चीन की कंपनियां मोबाइल फोन बनाती हैं। यह कंपनी अपने फोन अमेरिका बेचने पहुंचती है।
लेकिन अमेरिका में भी बहुत सारी कंपनियां फोन बनाती हैं। अगर चीनी कंपनी वहां अपने सस्ते और आकर्षक फोन बेचना शुरू कर दे तो अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा। इसके साथ ही सरकार के रेवेन्यू पर भी असर पड़ेगा।
ऐसे में रेवेन्यू हासिल करने और घरेलू कंपनियों को बचाने के लिए सरकार टैरिफ लगाएगी। टैरिफ लगाने से चीनी फोन महंगे हो जाएंगे और फोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनियां उनका मुकाबला कर पाएंगीं।
अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में भारत शामिल भारत सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 1990-91 तक औसत टैरिफ 125% तक था। उदारीकरण के बाद यह कम होता चला गया। 2024 में भारत का एवरेज टैरिफ रेट 11.66 % था।
ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत सरकार ने टैरिफ रेट में बदलाव किया। द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने टैरिफ के 150%, 125% और 100% वाली दरों को समाप्त कर दिया है। अब भारत में सबसे ज्यादा टैरिफ रेट 70% है। भारत में लग्जरी कार पर 125% टैरिफ था, अब यह 70% कर दिया गया है। ऐसे में साल 2025 में भारत का एवरेज टैरिफ रेट घटकर 10.65% हो चुका है।
आमतौर पर सभी देश टैरिफ लगाते हैं। किसी देश में इसका रेट कम और किसी में ज्यादा हो सकता है। हालांकि, बाकी देशों से तुलना की जाए तो भारत सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है।
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चीन, कनाडा जैसे देशों पर टैरिफ लगने से क्या भारत को फायदा एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीनी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी मार्केट में भारतीय सामान की बिक्री बढ़ेगी। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की एक एनालिसिस के मुताबिक, जब ट्रम्प के पहले कार्यकाल में चीन के साथ टैरिफ वॉर शुरू हुआ था, तो इससे व्यापारिक फायदा पाने वाले देशों में भारत चौथे नंबर पर था।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा, ‘अमेरिका के टैरिफ लगाने से चीन और उसके व्यापारिक सहयोगी देश जैसे- दक्षिण कोरिया और जापान भी प्रभावित होंगे, लेकिन भारत को इससे फायदा होगा, क्योंकि अमेरिकी बाजार में उसे चीन जैसे देशों की कंपनियों से कम टक्कर मिलेगी। इसके अलावा ऐसी कंपनियां जिनकी चीन और भारत दोनों जगह फैक्ट्रियां हैं, उन्हें भारत में ज्यादा ऑर्डर मिलने लगेंगे।’
ट्रम्प के टैरिफ एक्शन से भारत सुरक्षित ट्रम्प शपथ लेने के बाद कनाडा, मैक्सिको, कोलंबिया और चीन (ट्रम्प चीन के अलावा बाकी देशों पर टैरिफ हटा चुके हैं) पर लगा चुके हैं। हालांकि अब तक भारत ट्रम्प के टैरिफ एक्शन से बचा हुआ है। भारत ने ट्रम्प के टैरिफ से बचने के लिए अपने यहां कई अमेरिकी सामानों पर टैरिफ कम करना शुरू कर दिया है।
1 फरवरी को पेश हुए बजट में भारत ने अमेरिका से आने वाले सामान जैसे- 1600 सीसी से कम इंजन की मोटरसाइकिल, सैटेलाइट के लिए ग्राउंड इंस्टॉलेशन और सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस जैसे सामानों पर टैक्स घटा दिए हैं।
रेसिप्रोकल टैरिफ प्लान क्या है जो जैसे को तैसा की तर्ज पर काम करेगा ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ यानी कि जैसे को तैसा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ट्रम्प ने कहा कि जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा मंगलवार या बुधवार को की जाएगी और इसे तुरंत लागू कर दिया जाएगा। यह टैरिफ हर देश पर लागू होगा।
भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा तो निर्यात पर क्या असर पड़ेगा? अगर अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ाया तो इससे नुकसान होगा। भारत अपना 17% से ज्यादा विदेशी व्यापार अमेरिका से करता है। अमेरिका भारत के एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स जैसे फल और सब्जियों का सबसे बड़ा खरीदार है। 2024 में अमेरिका ने भारत से 18 मिलियन टन चावल भी इम्पोर्ट किया है।
अगर अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया तो अमेरिकी बाजारों में भारतीय प्रोडक्ट्स महंगे बिकने लगेंगे। इससे अमेरिकी जनता के बीच इनकी डिमांड कम हो जाएगी।
क्या टैरिफ के बदले टेस्ला की भारत में एंट्री के लिए शर्तों में छूट मिलेगी BBC के मुताबिक इलॉन मस्क ने जनवरी 2021 में बेंगलुरु में टेस्ला कंपनी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की थी। उन्होंने तब ऐलान किया था कि अक्टूबर 2021 तक टेस्ला इंडियन मार्केट में एंट्री ले लेगी। हालांकि यह हो नहीं पाया। ट्रम्प ने कुछ महीने बाद कहा कि हाई टैरिफ ड्यूटी की वजह से टेस्ला की इंडियन मार्केट में एंट्री रुक गई है।
इसके बाद साल 2022 में टेस्ला ने भारत आने की इच्छा जताई थी, लेकिन तब कंपनी और सरकार के बीच बात नहीं बन पाई थी। टेस्ला ने सरकार से पूरी तरह से असेंबल गाड़ियों पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को 100% से घटाकर 40% करने की मांग की थी।
कंपनी चाहती थी कि उसकी गाड़ियों को लग्जरी नहीं बल्कि इलेक्ट्रिक व्हीकल माना जाए, लेकिन सरकार ने कहा था कि दूसरे देशों से इम्पोर्ट किए जाने वाले किसी भी इलेक्ट्रिक व्हीकल पर इम्पोर्ट ड्यूटी माफ या कम करने का कोई भी इरादा नहीं है।
सरकार ने कहा था कि अगर टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का कमिटमेंट करती है तो इम्पोर्ट पर छूट देने पर विचार किया जाएगा। हालांकि मस्क चाहते थे कि पहले भारत में कारों की बिक्री की जाए, इसके बाद प्लांट लगाने पर विचार किया जाए।
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इससे पहले इलॉन मस्क और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2023 में न्यूयॉर्क में मिले थे।
भारत ने विदेशी कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम किया इसके बाद अप्रैल 2024 में मस्क का भारत आना तय हुआ, लेकिन ऐन मौके पर यह भी टल गया। वे भारत की जगह चीन चले गए। हालांकि इस साल की शुरुआत में भारत सरकार ने ईवी व्हीकल के इम्पोर्ट पर लगने वाले टैक्स में बदलाव किए हैं।
40,000 डॉलर से अधिक कीमत वाली कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 125% से घटाकर 70% कर दी गई है और लिथियम-आयन बैटरी पर टैरिफ खत्म कर दिया गया है।
भारत सरकार के इस फैसले को टेस्ला की भारत में एंट्री से जोड़कर देखा जा रहा है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी, इलॉन मस्क से मुलाकात भी कर सकते हैं।
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