0

हिंदू विवाह अधिनियम से जैन को अलग मानने के कुटुंब न्यायालय के निर्णय से समाज असहमत

इंदौर में जैन समाज कोर्ट के एक फैसले से नाखुश है। जैन समाज के पक्षकारों के बीच वैवाहिक विवाद हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही निराकृत होते हैं। वरिष्ठ अभिभाषक दिलीप सिसोदिया का कहना है कि कुटुंब न्यायालय के फैसले के बाद जैन समुदाय असमंजस में है। जैन समाज हाई कोर्ट में पक्षकार बनकर अपनी बात रखेगा।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Fri, 14 Feb 2025 05:44:29 PM (IST)

Updated Date: Fri, 14 Feb 2025 07:28:41 PM (IST)

इंदोर में जैन समाज ने कुटुंब न्‍यायालय के निर्णय से जताई है असहमति।

HighLights

  1. कुटुंब न्यायालय के निर्णय के बाद जैन समाज के पक्षकार असमंजस में हैं।
  2. वैवाहिक विवाद आखिर किस अधिनियम के तहत निराकृत किए जाएंगे।
  3. समाज अब इस मामले में हाई कोर्ट में प्रस्तुत अपील में पक्षकार बनेगा

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। विवाह विच्छेद के मामले में जैन दंपती पर हिंदू विवाह अधिनियम लागू न होने संबंधी कुटुंब न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध समाज एकजुट हो गया है। जैन अधिवक्ता परिषद के प्रतिनिधियों का कहना है कि हम भले ही जैन हैं, लेकिन दशकों से हमारे समाज से जुड़े वैवाहिक मामलों में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत फैसला होता आ रहा है।

naidunia_image

जानिए ऐसा क्यों: दिगंबर जैन मुनि नहीं पहनते कपड़े, क्या है कारण

  • वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने जैन धर्म के अनुयायियों को भले ही अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया लेकिन इसके बाद भी वैवाहिक मामलों में हजारों प्रकरण हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत हो चुके हैं।
  • कुटुंब न्यायालय के निर्णय के बाद जैन समाज के पक्षकार असमंजस में हैं। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके वैवाहिक विवाद आखिर किस अधिनियम के तहत निराकृत किए जाएंगे।
  • समाज अब इस मामले में हाई कोर्ट में प्रस्तुत अपील में पक्षकार बनेगा और कुटुंब न्यायालय के निर्णय को खारिज करने की मांग करेगा।

यह है पूरा मामला

  • इंदौर कुटुंब न्यायालय ने पिछले दिनों जैन समाज के पक्षकारों की विवाह-विच्छेद की याचिकाएं यह कहते हुए निरस्त कर दी थीं कि केंद्र सरकार द्वारा जैन समाज को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित किया गया है।
  • 27 जनवरी, 2014 को इस बारे में राजपत्र भी जारी हो चुका है। ऐसी स्थिति में जैन समाज के अनुयायियों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निर्णय प्राप्त करने का अधिकार नहीं है।
  • वे हिंदू धर्म की मूलभूत वैदिक मान्यताओं को अस्वीकार करने वाले और स्वयं को बहुसंख्यक हिंदू समुदाय से अलग कर चुके हैं।

naidunia_image

जानिए कितना प्राचीन है जैन धर्म

  • बहस के दौरान पक्षकारों के वकीलों ने न्यायालय के समक्ष यह तर्क रखा भी था कि जैन समाज के वैवाहिक विवादों का निराकरण अब तक हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही होता आ रहा है।
  • हिंदू विवाह अधिनियम में मुस्लिमों को छोड़कर हिंदू, सिख इत्यादि को शामिल किया गया है। वैवाहिक विवादों के निपटारे के लिए जैन समाज का कोई अपना कानून नहीं है।
  • अन्य न्यायालयों में हो रही है नियमित सुनवाई इंदौर के कुटुंब न्यायालय में वर्तमान में पांच खंडपीठ हैं।
  • जिस न्यायालय ने यह फैसला सुनाया, उसके अलावा अन्य सभी खंडपीठ में जैन समाज के पक्षकारों के मामलों में नियमित सुनवाई हो रही है।

https%3A%2F%2Fwww.naidunia.com%2Fmadhya-pradesh%2Findore-jain-community-united-against-decision-to-consider-jains-different-from-hindu-marriage-act-will-become-a-party-in-high-court-8380163
#हद #ववह #अधनयम #स #जन #क #अलग #मनन #क #कटब #नययलय #क #नरणय #स #समज #असहमत
https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/indore-jain-community-united-against-decision-to-consider-jains-different-from-hindu-marriage-act-will-become-a-party-in-high-court-8380163